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हाथी ने वृद्ध को पटककर मार डाला

सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र बंशीपुर के धुमाडांड़ जंगल में सोमवार की सुबह करीब 6 बजे दल से बिछड़े दंतैल हाथी ने एक वृद्ध को पटक-पटक कर मार डाला......

हाथी ने वृद्ध को पटककर मार डाला
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मृतक तेंदूपत्ता तोड़ने गया था जंगल, वन विभाग ने हाथियों के मौजूद होने की नहीं दी थी जानकारी

जरही/भटगांव। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र बंशीपुर के धुमाडांड़ जंगल में सोमवार की सुबह करीब 6 बजे दल से बिछड़े दंतैल हाथी ने एक वृद्ध को पटक-पटक कर मार डाला। मिली जानाकारी के अनुसार सोमवार की सुबह धुमाडाढ निवासी महेश आत्मज दुखन उम्र 58 वर्ष अपनी पत्नी व बच्चे और पड़ोसियों के साथ जंगल में तेंदु पत्ता तोड़ने जंगल की ओर गया हुआ था। इसी बीच अचानक दल से बिछड़े दंतैल हाथी को देख दुखन की पत्नी ने आवाज लगाई तथा भागने को कहा। जिस पर ग्रामीण भागने लगा। हाथी ने ग्रामीण को भागता देख उसका पीछा किया और लगभग 100 मीटर दौड़ाकर महेश को सूड़ में पकड़ पटक-पटक कर व घसीट-घसीट कर मार डाला। किसी तरह वहां मौजूद अन्य लोग भागने में सफल रहे।

ग्रामीणों का कहना था कि वन विभाग द्वारा हाथियों के आने की सूचना ग्रामीणों को नहीं दी गई थी। जिसके कारण ग्रामीण तेंदूपत्ता तोडने जंगल की ओर गये हुये थे। बताया जा रहा है कि मृतक अपने ससुराल में ही रहता था। ग्रामीणों का कहना था कि पिछले डेढ वर्ष पूर्व मृतक के ससुर को भी हाथियों ने कूचल कर मार डाला था। घटना की जानकारी मिलने पर वन विभाग की टीम व भटगांव थाना से थाना प्रभारी पीके तिवारी अपने दल-बल के साथ घटना स्थल पहुंच शव को पंचनामा करा परिजन को सौंप दिया।

हाथियों का दो दल कर रहे विचरण

बताया जा रहा है कि सोनगरा, बंशीपुर सर्किल में दो हाथियों के दल विचरण कर रहा है, जिससे ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है। हाथियों के इस तरह से विचरण करने से क्षेत्रवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वे रोजमर्रा की जिन्दगी भी ढंग से नहीं जी पा रहे हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से हाथियों को खदेडने उचित पहल करने की मांग की है, ताकि क्षेत्रवासी रोजमर्रा की जिन्दगी सहित हाथियों के भय से मुक्त हो सके।

सोलर बिजुका भी असफल
एक ओर जहां हाथियों से बचने के लिये वन विभाग द्वारा सोलर बिजुका तैयार किया गया था, वहीं हाथियों के बढ़ते इस दहशत से ये सोलर बिजुका भी असफल साबित हो रहा है। ज्ञात हो कि ये सोलर बिजुका एक मात्र पुतला है। इसमें करंट प्रवाहित कर हाथियों को इंसानों से दूर रखने का प्रयास किया गया है, लेकिन यह उपाय भी कोई काम नहीं आ रहा है। दिन ब दिन हाथियों द्वारा ग्रामीणों को कूचल कर मार दिया जा रहा है और वन विभाग द्वारा इस ओर की जा रही सारी कोशिशें भी असफल साबित हो रही है।

ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि कब तक हाथी और इंसानों के बीच यह संघर्ष जारी रहेगा? कब तक इंसान हाथियों के चपेट में आते रहेंगे? क्या यही स्थिति क्षेत्र में बनी रहेगी? क्या शासन प्रशासन को भी हाथियों को भगाने में विफलता का सामना करना पड़ रहा है? हाथियों के दिन ब दिन क्षेत्र में आ धमकने व किसी न किसी ग्रामीण को अपनी चपेट में ले लेने से क्षेत्रवासियों में काफी आक्रोश है।
ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से इस ओर कड़ी पहल करने की मांग की है, ताकि क्षेत्रवासियों को इस दहशत भरी जिन्दगी से राहत मिल सके।


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