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बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बाधकर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल का किया विरोध

उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों तथा इंजीनियरों ने सोमवार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के विरोध में काली पट्टी बाँध कर विरोध दर्ज किया और केंद्र सरकार से बिल वापस लेने की मांग की।

बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बाधकर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल का किया विरोध
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों तथा इंजीनियरों ने सोमवार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के विरोध में काली पट्टी बाँध कर विरोध दर्ज किया और केंद्र सरकार से बिल वापस लेने की मांग की।

बिजली कर्मचारियों कहा कि कोविड -19 की महामारी के बीच जब सारा देश एकजुट होकर संक्रमण से संघर्ष कर रहा है तब केंद्र सरकार इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 जारी कर निजीकरण करने में लगी थी। बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों के संगठनों ने बिल के उपभोक्ता और किसान विरोधी प्राविधानों से सभी प्रांतो के मुख्यमंत्रियों और संसद सदस्यों को पत्र भेजकर अवगत कराया है और उनसे मांग की है कि वे इस बिल का प्रबल विरोध करे और इसे वापस कराने के लिये केंद्र सरकार पर दबाव डालें |

उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति पदाधिकारी शैलेन्द्र दुबे ने सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के वायदे को खारिज करते हुए कहा है कि निजीकरण किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है। निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी। कोविड -19 संक्रमण के दौरान लाकडाउन का फायदा उठाते हुए निजीकरण करने की निंदा करते हुए संघर्ष समिति ने इसे देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है |

उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में कहा गया है कि नई टैरिफ नीति में सब्सिडी और क्रास सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी। किसी को भी लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी किसानों , गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती है जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है। अब नई नीति और निजीकरण के बाद सब्सिडी समाप्त होने से स्वाभाविक तौर पर इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी |

श्री दुबे ने कहा कि बिजली की लागत का राष्ट्रीय औसत रु 06.78 प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा एक्ट के अनुसार कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने के बाद आठ प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं मिलेगी | एक किसान को लगभग छह हजार रूपये प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को छह हजार से आठ रूपये प्रति माह तक बिजली बिल देना होगा| उन्होंने कहा कि निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो इसीलिये सब्सिडी समाप्त कर प्रीपेड मीटर लगाए जाने की योजना लाई जा रही है| अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है |

उन्होंने कहा कि सब्सिडी समाप्त होने से किसानों और आम लोगों को भारी नुक्सान होगा जबकि क्रास सब्सीडी समाप्त होने से केवल उद्योगों और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ होगा|| उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार राज्य सरकार के कहने पर राज्य का विद्युत् नियामक आयोग किसानों , गरीबों और कम बिजली उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी को सम्मिलित करते हुए बिजली की तर्कसंगत दरें तय करता है |नए बिल में यह प्राविधान किया गया है कि नियामक आयोग बिजली की दरें तय करने में सब्सिडी को सम्मिलित नहीं कर सकता और सभी उपभोक्ताओं को बिजली की पूरी लागत देनी होगी | इस प्रकार बिजली की दरें तय करने में गरीब उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने के राज्य के अधिकार को छीना जा रहा है |


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