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बिजली कर्मचारी करेंगे प्रदेशव्यापी आंदोलन

यूपी पावर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा सातवें वेतन पुनरीक्षण को जुलाई के वेतन के साथ लागू करने के लिखित वायदे पर कोई कार्रवाई न करने के कारण बिजली कर्मचारियों का आंदोलन शुरू करने का फैसला किया

बिजली कर्मचारी करेंगे प्रदेशव्यापी आंदोलन
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मथुरा। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबन्धन द्वारा सातवें वेतन पुनरीक्षण को जुलाई के वेतन के साथ लागू करने के लिखित वायदे पर कोई कार्रवाई न करने के कारण बिजली कर्मचारियों एवं अभियंताओं ने 22 अगस्त से राज्यव्यापी आंदोलन का पहला चरण शुरू करने का फैसला किया है।

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आज यहां बताया कि पिछली 28 जून को कारपोरेशन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने संघर्ष समिति को लिखित आश्वासन दिया था कि जुलाई के वेतन के साथ 7वें वेतन पुनरीक्षण का भुगतान किया जाएगा, लेकिन आज तक इस सम्बन्ध में कुछ भी नहीं किया गया है। इसी कारण समिति ने अब आंदोलन करने का निश्चय किया है।

उन्होंने बताया 22 अगस्त को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, प्रदेश से जुड़े सभी सेवा संगठनों एवं श्रम संघों की केंद्रीय कार्यकारणी की संयुक्त बैठक लखनऊ में होगी।
बैठक के बाद सभी पदाधिकारी शक्ति भवन मुख्यालय तक मार्च करेंगे।

संयुक्त बैठक के लिए संघर्ष समिति से जुड़े सभी 15 श्रम संघों ने प्रदेश भर से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को लखनऊ आने के निर्देश जारी कर दिये हैं। उन्होंने बताया कि आंदोलन के अगले चरण में 30 अगस्त को राजधानी लखनऊ सहित समस्त जिला मुख्यालयों एवं परियोजनाओं पर सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक सामूहिक सत्याग्रह किया जाएगा। इसके बावजूद भी सरकार और प्रबंधन ने कर्मचारियों की मांगे न मानी तो सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी व अभियंता 12 सितम्बर को

सुबह 08 बजे से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू कर देंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। दुबे ने कहा कि कर्मचारियों की मांग कर्मचारियों तथा पेंशनरों के लिए 7वें वेतन पुनरीक्षण के आदेश जारी किये जाने की है वहीं दूसरी मांग सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण करने व निजी घरानों से बिजली खरीदने के लिए सरकारी क्षेत्र के बिजली घरों को किसी भी सूरत में बंद न करने की है।उनका कहना था कि समिति की तीसरी मांग 18 फरवरी 2009 की स्थिति बनाये रखने की है जिसमें सभी कार्मिकों को पूर्ववत मिल रही प्रारम्भिक वेतन वृद्धियां और तीन समयबद्ध वेतनमान प्रदान करना है।

इसी श्रंखला में चौथी मांग 14 जनवरी 2000 के बाद नियुक्त हुए सभी कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन प्रणाली लागू करना एवं पांचवीं मांग संविदा कर्मियों को ठेकेदार के रहम पर न छोड़ कर सीधे ऊर्जा निगमों से भुगतान किया जाना है।उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से इस मामले में प्रभावी हस्तक्षेप करने की मांग की है।


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