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दिल्ली में बिजली बिल करना था हाफ, लेकिन हुआ डबल : कांग्रेस

कांग्रेस ने दिल्ली में बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में केजरीवाल सरकार के विरोध में प्रदर्शन किए

दिल्ली में बिजली बिल करना था हाफ, लेकिन हुआ डबल : कांग्रेस
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नई दिल्ली। कांग्रेस ने दिल्ली में बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में केजरीवाल सरकार के विरोध में प्रदर्शन किए। इस दौरान उसने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार ने बिजली बिल हाफ करने का वादा किया था, लेकिन बिल दोगुने हो चुके हैं।

प्रदर्शनकारी कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए 'केजरीवाल हाय-हाय', 'बढ़े हुए बिजली के दाम कम करो, कम करो', 'वादा था बिल हाफ, बढ़े हुए बिलों से जेब साफ' जैसे नारे लगा रहे थे।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने मंडी हाउस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और एकत्रित आम लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली वालों से बिजली बिलों को हाफ करने का वादा किया था। लेकिन, जो बिल हाफ होने थे, वो दुगने हो गए हैं। सरकार पिछले 10 वर्षों से बिजली उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल रही है। जुलाई 2022 में छह प्रतिशत, जून 2023 में 10 प्रतिशत और अब 2024 में बिजली बिल पर पीपीएसी सरचार्ज में नौ प्रतिशत की वृद्धि करके दिल्ली की जनता की कमर तोड़ दी है।

उन्होंने कहा कि जहां 2015 में बिजली बिल पर पीपीएसी शुल्क 1.7 प्रतिशत था, वह पहले 8.7 प्रतिशत और अब 46 प्रतिशत हो गया है। सरकार बिजली की दरों में वृद्धि न करके हर वर्ष पिछले दरवाजे से पीपीएसी में बढ़ोत्तरी कर रही है। वर्ष 2015 से 2020-21 तक पांच साल में उपभोक्ताओं को 200 यूनिट के अंतर्गत 11,743 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई और बिलों पर पीपीएसी, पेंशन, फिक्स चार्ज, सरचार्ज, बिजली, रेगुलेटरी चार्ज आदि के रूप में 37,227 करोड़ रुपये की लूट की गई। बंद पड़े मकानों, व्यापारिक संस्थानों के भी बिजली के बिल सरजार्च लगाकर आ रहे हैं, जो उपभोक्ताओं के साथ नाइंसाफी है।

उन्होंने कहा कि खपत से कहीं ज्यादा बिजली के बिल लोगों को मिल रहे हैं। कांग्रेस के समय औसतन प्रति यूनिट लगभग पांच रुपये का बिल आता था, जो हाफ होकर 2.50 रुपये होना चाहिए था। लेकिन केजरीवाल सरकार उपभोक्ताओं से औसतन प्रति यूनिट 10 रुपये वसूल रही है, जिससे मध्यम वर्ग, छोटे दुकानदारों, लघु उद्योगों, औद्योगिक इकाइयों और व्यावसायिक संस्थानों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा। देश की राजधानी में रिहायशी और व्यावसायिक दोनों उपभोक्ताओं के लिए बिजली सबसे महंगी है।


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