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कर्नाटक में चुनावी पारा चढ़ा, नेताओं की जुबानी जंग तेज

कर्नाटक चुनाव के लिए प्रचार समाप्त होने में अब केवल तीन दिन शेष बचे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आरोपों ने सोमवार को चुनावी तपिश बढ़ा दी है

कर्नाटक में चुनावी पारा चढ़ा, नेताओं की जुबानी जंग तेज
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नई दिल्ली। कर्नाटक चुनाव के लिए प्रचार समाप्त होने में अब केवल तीन दिन शेष बचे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आरोपों ने सोमवार को चुनावी तपिश बढ़ा दी है। मनमोहन ने अर्थव्यवस्था से निपटने और अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर हमले के लिए निम्ननतम स्तर पर उतर जाने के लिए मोदी की कड़ी आलोचना की। कर्नाटक के कोलार में चुनाव प्रचार करने पहुंचे सिह और उनकी पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर पेट्रोलियम उत्पादों के जरिए 10 लाख करोड़ रुपये कर वसूलने का आरोप लगाया कि और कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद केंद्र सरकार ने इसका फायदा आम जनता को नहीं दिया।

मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ जमकर हमला बोला है, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाने और 'सिद्धा रुपैया सरकार' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बी.एस. येदियुरप्पा के खिलाफ मानहानि का नोटिस जारी किया है।

वहीं दूसरी तरफ, मोदी ने कांग्रेस के उस आरोप को खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा है कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश में रोजगार सृजन में विफल रही। मोदी ने दावा किया कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में केंद्र सरकार की पहल से नौकरियों का सृजन हुआ है।

पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हमारे देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया है, जैसा मोदी दिन-रात करते हैं। यह प्रधानमंत्री के लिए शोभा नहीं देता कि वह इतना नीचे गिर जाएं और यह पूरे देश के लिए भी अच्छा नहीं है।"

उन्होंने कहा, "पेट्रोल-डीजल की कीमतें देश में ऐतिहासिक उच्चस्तर पर हैं। जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी घट गई हैं। मोदी सरकार ने इसका लाभ आम जनता को देने के बदले पेट्रोलियम पर अत्यधिक उत्पाद कर लगाकर हमारे लोगों को सजा देने का काम किया है।"

उन्होंने कहा, "संप्रग सरकार के कार्यकाल(2004-14), में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने की स्थिति में, हमने आम जनता को इसकी आंच नहीं लगने दी। जब से यह सरकार सत्ता में आई है, अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतों में 67 प्रतिशत कमी आई है, लेकिन पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 110 प्रतिशत इजाफा हुआ है।"

सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार ने आम जनता की कीमत पर लगभग 10 लाख करोड़ रुपये वसूले हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्विटर के जरिए भाजपा सरकार पर हमला बोला और कहा कि पेट्रोल, डीजल, एलपीजी पर कर लगाकार 'ईंधन' के नाम पर केंद्र सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपये जनता से 'लूट' लिए और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने के बावजूद इसका फायदा आम जनता को नहीं दिया।

राहुल ने ट्विटर पर एक मिनट 40 सेकेंड का वीडियो साझा किया और कहा, "यह वीडियो प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में ईंधन की कीमतों की सच्चाई बयान करता है।"

मनमोहन सिंह ने कहा, "हमें निश्चित रूप से पूछना चाहिए कि इस पैसे का क्या और कहा इस्तेमाल किया जाएगा? एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था में एक सुचारु रूप से संचालित बैंकिंग सेक्टर की जरूरत होती है। लेकिन न तो बैंक ऋण दे रहे हैं और न तो निवेश के लिए निजी क्षेत्र ऋण ले रहा है।"

मनमोहन ने कहा कि सरकार के पास 'विचार व विश्लेषण का अभाव' है और इसके कारण देश व हमारा सामूहिक भविष्य प्रभावित हो रहा है।

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने 'अनुकूल अंतर्राष्ट्रीय माहौल' के बावजूद विकास दर के मामले में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने को लेकर सरकार की आलोचना की।

उन्होंने कहा कि सरकार के पूर्ववर्तियों ने 'संकटग्रस्त वैश्विक स्थिति' के बावजूद अच्छा काम किया था।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर(जीएसटी) लागू करने की जल्दबाजी जैसी दो गलतियों से बच सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, और इसकी वजह से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों में हजारों की संख्या में नौकरियां समाप्त हो गईं।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण लोगों का बैंकिंग प्रणाली पर से विश्वास कमजोर हो गया है।

वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने बेरोजगारी की स्थिति के लिए उलटे कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस ईवीएम और आधार जैसी प्रौद्योगिकियों/पहलों का विरोध करती है।

मोदी ने 'नमो एप' के जरिए भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भाजपा कार्यकर्ता के एक सवाल के जवाब में कहा, "सार्वजनिक और निजी क्षेत्र पर जोर देने के साथ ही हम रोजगार के लिए वयक्तिक क्षेत्र पर भी ध्यान दे रहे हैं। आधारभूत संरचना परियोजनाओं पर काम की गति बढ़ी है।"

मोदी ने कहा कि देश का बुनियादी ढांचा क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और अधिक लोगों की भर्ती के बिना इस विकास को हासिल करना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि सरकार की पहल की वजह से भारत विदेशी निवेश के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थान के रूप में उभरा है और कई क्रेडिट एजेंसियों ने इसे स्वीकार किया है।

उन्होंने कहा, "भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है, जो लगातार बढ़ रहा है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा योजना के तहत कर्नाटक के युवाओं को बिना किसी अतिरिक्त जांच के 1.27 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया।

मोदी ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षो में ईपीएफओ खातों में भारी वृद्धि देखी गई।

उन्होंने कहा, "नोटबंदी और जीएसटी के कारण औपचारिक क्षेत्र में बड़ा बदलाव हुआ है। सामाजिक क्षेत्र के श्रमिकों को उचित लाभ मिल रहा है। ईपीएफओ खातों के आंकड़े साबित करते हैं कि औपचारिक क्षेत्र में वृद्धि हुई है।"

वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी.एस. येदियुरप्पा को खुली बहस की चुनौती दी।

सिद्धारमैया ने ट्वीट किया, "प्रधानमंत्री गैर मुद्दों पर आडंबरपूर्ण (बम्बॉस्टिक) भाषण देकर कर्नाटक के मतदाताओं को भ्रमित कर रहे हैं। सब बात फूला हुआ गुब्बारा है, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है। मेरा मुकाबला उनसे नहीं है। मेरा मुकाबला येदियुरप्पा के साथ है।"

उन्होंने कहा, "मैं किसी भी मंच पर उन्हें खुली बहस की चुनौती देता हूं। क्या वह स्वीकार करेंगे? मोदी का भी स्वागत है।"


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