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चुनावी बॉन्ड : एसबीआई की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर समय सीमा बढ़ाने की भारतीय स्टेट बैंक की याचिका खारिज कर दी

चुनावी बॉन्ड : एसबीआई की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर समय सीमा बढ़ाने की भारतीय स्टेट बैंक की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने मंगलवार शाम तक बैंक से सारी जानकारी मांगी और चुनाव आयोग को 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर उसे डालने का आदेश दिया.

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने के मामले में फैसला सुनाते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 12 मार्च तक पूरी जानकारी देने को कहा है. एसबीआई को अब एक दिन के अंदर चुनाव आयोग को यह जानकारी देनी होगी. साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग को शुक्रवार, 15 मार्च, शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाइट पर पूरी जानकारी प्रकाशित करने के लिए कहा है.

दरअसल एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी देने के लिए समय सीमा को 30 जून 2024 तक बढ़ाने की याचिका डाली थी. कोर्ट ने एसबीआई की इस याचिका को खारिज कर दिया और साथ ही यह चेतावनी भी दी कि अगर एसबीआई मंगलवार तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराती है तो अदालत बैंक के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी.

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली संविधान बेंच कर रही है. इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं.

भारतीय स्टेट बैंक को कोर्ट की चेतावनी

बेंच ने सुनवाई के दौरान बैंक से कड़े सवाल किए. बेंच ने पूछा कि 15 फरवरी के आदेश पर अब तक क्या-क्या हुआ. कोर्ट ने पूछा 26 दिनों से आपने (एसबीआई ने) आंकड़े देने के लिए क्या कदम उठाए. एसबीआई की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा बैंक को जानकारी जुटाने में और समय की जरूरत है.

साल्वे ने कहा कि बैंक ने कोर बैंकिंग प्रणाली के बाहर चुनावी बॉन्ड योजना के बारे में जानकारी संग्रहित करने के लिए एक एसओपी का पालन किया है. उन्होंने कहा, "हमें आदेश का पालन करने के लिए थोड़ा और समय चाहिए. हम जानकारी एकत्र करने की कोशिश कर रहे हैं और हमें पूरी प्रक्रिया को उलटना होगा. एक बैंक के रूप में हमें बताया गया था कि इसे गुप्त रखना पड़ेगा. बॉन्ड खरीदने वाले का नाम और खरीदने की तारीख कोड की गई है, जिसे डिकोड करने में समय लगेगा."

साल्वे ने कोर्ट को यह भी बताया कि दान देने वाले की जानकारी को बैंक की तय शाखाओं में सील बंद लिफाफे में रखा जाता है. इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "आप कह रहे हैं कि जानकारियों को सीलबंद लिफाफे में रखा गया है और मुंबई शाखा में जमा कराया गया है. हमारे निर्देश जानकारियों का मिलान करने के लिए नहीं थे. हम चाहते थे कि एसबीआई दानदाताओं की जानकारी सामने रखे."

सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, "आपको सिर्फ सीलबंद लिफाफा खोलना है, डिटेल्स एकत्र करना है और जानकारी देनी है."

इसके जवाब में साल्वे ने कहा, "हमारे पास पूरी जानकारी है कि बॉन्ड किसने खरीदा और हमारे पास पूरी जानकारी है कि पैसा कहां से आया और किस राजनीतिक दल ने कितना भुनाया. हमें अब खरीददारों के नाम भी डालने हैं. बॉन्ड नंबरों के साथ नामों का मिलान कर उसे क्रॉस चेक किया जाना है."

चीफ जस्टिस ने सवाल किया, "हमने 15 फरवरी को फैसला दिया था. आज 11 मार्च हो गई है. पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं. आपको जानकारी देनी चाहिए. आपको स्पष्टता दिखानी थी."

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर को चेतावनी दी है कि अगर समय सीमा के भीतर उसके आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो उन्हें अवमानना कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा.

कोर्ट ने कहा था चुनावी बॉन्ड असंवैधानिक

15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में पांच जजों की संविधान बेंच ने केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और उसे असंवैधानिक करार दिया था. साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए बॉन्ड्स की जानकारी 6 मार्च तक निर्वाचन आयोग के पास जमा कराने का आदेश दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में निर्वाचन आयोग से कहा था वह चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई रकम और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करें.

चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी निर्वाचन आयोग के पास नहीं जमा कराने पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एसबीआई के खिलाफ अवमानना की याचिका दायर की थी.


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