2024 से एक साथ हो सकते हैं लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव
चुनाव आयोग के संसाधनों के तौर पर तैयार होने के बावजूद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना 2019 में पूरा होता तो नहीं दिखता

नयी दिल्ली। चुनाव आयोग के संसाधनों के तौर पर तैयार होने के बावजूद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना 2019 में पूरा होता तो नहीं दिखता लेकिन 2024 से यह व्यवस्था दो चरणों में लागू होने के आसार हैं।
चुनाव आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सितंबर 2018 में आयोग के पास आवश्यक संसाधन के रूप में करीब 28 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और इतनी ही वीवीपीएटी मशीनें आ जाने की संभावना है जिसके बाद लोकसभा एवं सभी विधानसभा चुनाव एक साथ कराना संभव हो सकेगा। वर्तमान में लोकसभा एवं चार विधानसभा चुनाव एक साथ कराने में आयोग को 1.10 करोड़ कर्मचारियों की ज़रूरत पड़ती है।
अगर लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने हों तो करीब 1.60 करोड़ कर्मियों की ज़रूरत पड़ेगी। सूत्रों के अनुसार सरकार के साथ साथ नीति आयोग ने भी चुनाव एकसाथ कराने को लेकर विभिन्न दलों में राजनीतिक स्तर पर एक राय कायम करने की पहल की है ।
फिलहाल 2019 के आम चुनावों में ऐसा होना शायद संभव नहीं होगा, पर 2024 के आम चुनावों के साथ आधे राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव संपन्न होने और ढाई साल के बाद बाकी आधे राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव कराये जाने को लेकर सहमति बनायी जा सकती है। सूत्रों का कहना है कि लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव साथ कराने के लिये संवैधानिक एवं राजनीतिक प्रक्रिया भी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के जैसी ही पेचीदा है।
इसके लिये जन प्रतिनिधित्व कानून में बदलाव के साथ साथ संविधान के अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा। संसद में संविधान संशोधन करने के साथ देश की कम से कम 15 विधानसभाओं में भी इस आशय के विधेयक पारित करने होंगे।


