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रोड शो के बाद वाराणसी में चुनावी रंग में अफवाहों की भांग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राहुल गांधी के रोड शो के बाद वाराणसी में चुनावी रंग चोखा हो चला है। इस रंग में अफवाहों की भांग ने रही-सही कसर पूरी कर दी है।

रोड शो के बाद वाराणसी में चुनावी रंग में अफवाहों की भांग
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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राहुल गांधी के रोड शो के बाद वाराणसी में चुनावी रंग चोखा हो चला है। इस रंग में अफवाहों की भांग ने रही-सही कसर पूरी कर दी है। चूंकि यह बनारस है और होली करीब है, इसलिए यहां चुनावी चर्चा चाय की दुकानों से बाहर निकल कर भांग और ठंढई की दुकानों तक पहुंच गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो शनिवार को जिस गोदौलिया चौराहे से गुजरा था, वहां भांग और ठंढई की कई दुकानें हैं। इन्हीं में एक है राजू ठंढई कार्नर। ठंढई के साथ सिल-बट्टे पर पिसी भांग यहां बनारसियों के लिए उपलब्ध है। रविवार शाम इसी दुकान पर चुनावी चर्चा हुई।

अधेड़ उम्र के राम कुमार यादव ने कहा, "गुरु अब माहौल जम गया है। मोदी ने रंग जमा दिया है। बड़ी भीड़ थी रोड शो में। लग रहा है अखिलेश, राहुल के भिड़ा देही बनारस में।" लगभग इसी उम्र के विजय जायसवाल ने नहले पे दहला मारा- "अबे राहुल, अखिलेश को कम नहीं समझना। मोदी से कम भीड़ नहीं रहा दोनों के रोड शो में। तीन लाख से ऊपर मनई रहन। दोनों चप गए हैं, नहीं तो मोदी तीन दिन बनारस में न बिताते।"

चर्चा में शामिल तीसरे व्यक्ति अखिलेश शर्मा बात को दूसरी दिशा देते हैं- "यार बहिन जी (मायावती) का अता-पता नाहीं है।" इस बार चौथे व्यक्ति चंचल विश्वकर्मा ने जवाब दिया-"अबे पता नहीं है? भाजपा से सेटिंग हो गई है बहन जी की। जहां बहन जी कमजोर हैं, वहां भाजपा को सपोर्ट कर रही हैं और जहां भाजपा वाले कमजोर हैं, वहां वे बहनजी को सपोर्ट कर रहे हैं। बाद में दोनों मिल जाएंगे, देख लेना। दक्षिणी में यहीं खेल चलत हौ गुरु। बसपा वाला अंत में भाजपा को सपोर्ट कर देगा। उसके बदले पिंडरा में भाजपा वाला बसपा को सपोर्ट करने वाला है।"

वाराणसी की पिंडरा सीट से भाजपा के डॉ. अवधेश सिंह, बसपा के बाबूलाल पटेल और कांग्रेस से अजय राय उम्मीदवार हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां अवधेश सिंह की स्थिति मजबूत है, लेकिन ठंढई की दुकान पर चुनावी चर्चा ठीक इसके उलट है।

विजय बात को बीच में काटते हंैं- "अबे खबर तो कांग्रेस और बसपा की भी आ रही है। दूनों एक-दूसरे के उम्मीदवारों के खिलाफ इसलिए गरमा नहीं रहे हैं। जरूरत पड़ने पर कांग्रेस सरकार बनाने में बसपा को भी सपोर्ट कर सकती है। ऐसी चर्चा आ रही है। आज रात तक और क्लीयर हो जाएगा गुरु।"

ठंढई का प्याला खाली हो चुका है और चारों चर्चेबाज बाइक पर सवार होकर दफा हो गए।चर्चा कोई भी हो, उसका कोई न कोई सूत्र जरूरत होता है और उसी सूत्र को जानने के लिए आईएएनएस के इस संवाददाता ने आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से संपर्क किया।

संघ के इस पदाधिकारी ने नाम जाहिर न करने के आग्रह के साथ कहा, "वाराणसी में इस तरह की चर्चा हमें भी सुनने को मिली है। लेकिन इस चर्चा का कोई आधार नहीं है। हां, संघ के लोग अच्छे उम्मीदवारों का कहीं भी समर्थन करने के लिए स्वतंत्र हैं। चुनाव है और होली भी है, इस तरह की बहुत सारी चर्चाएं सुनने को मिलेंगी।"

कांग्रेस ने भी इस तरह की चर्चा को सिरे से खारिज कर दिया। पार्टी के प्रदेश स्तर के एक नेता ने कहा, "भाजपा और बसपा के बीच समझौते की चर्चा तो मैं भी सुन रहा हूं। लेकिन कांग्रेस और बसपा के बीच समझौते की बात बिल्कुल निराधार है। कांग्रेस का गठबंधन सपा से है और दोनों दल मिलकर सरकार बनाएंगे।"

बयान देने के लिए अधिकृत न होने के कारण इस नेता ने नाम न जाहिर करने का अनुरोध किया। कांग्रेस नेता ने कहा, "यह बनारस है, इस तरह की अफवाहें मतदान तक उड़ती रहेंगी, मतदाताओं को इसपर ध्यान नहीं देना चाहिए।" बहरहाल हम भी इस चर्चा को यहीं विराम देते हैं।


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