उत्तरी निगम के छह में से चार जोन पर भाजपा पार्षदों का निर्विरोध निर्वाचन
उत्तरी दिल्ली नगर निगम की सभी छह वार्ड समितियों के अध्यक्ष उपाध्यक्ष तथा स्थायी समिति के एक एक सदस्य समेत कुल 18 पदों के लिए कांग्रेस ने 3, आप न ने 6 और भारतीय जनता पार्टी ने 18 प्रत्याशी उतार दिए हैं
नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की सभी छह वार्ड समितियों के अध्यक्ष उपाध्यक्ष तथा स्थायी समिति के एक एक सदस्य समेत कुल 18 पदों के लिए कांग्रेस ने 3 आम आदमी पार्टी ने 6 और भारतीय जनता पार्टी ने 18 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। निगम सचिव कार्यालय के मुताबिक नामांकन के अन्तिम दिन बुधवार शाम पांच बजे तक कुल 27 पार्षदों से नामांकन पत्र प्राप्त हुए हैं।
उक्त पदों के लिए आगामी 29 अगस्त को चुनाव कराए जाएंगे। हालांकि इन नामांकनों ने छह में से चार जोन भाजपा की झोली में डाल दिए हैं लेकिन दो अन्य जोन के चुनाव परिणाम पर अब भी रहस्य बना हुआ है। सचिव कार्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक केशवपुरम, सिविल लाईन्स, करोल बाग और रोहिणी की वार्ड समितियों से संबंधित पदों पर भाजपा पार्षदों के अलावा किसी भी अन्य दल या पार्षद द्वारा दावेदारी पेश न करने के चलते भाजपा की निर्विरोध जीत तय हो गई है जिसका औपचारिक ऐलान किया जाना बाकि है।
लेकिन नरेला एंव शहरी सदर, पहाड़गंज वार्ड समिति से संबंधित पदों पर आम आदमी पार्टी (आप) के साथ कांग्रेस के पार्षदों ने भी ख़म ठोक दिया है। लिहाजा इन दोनों ज़ोन की वार्ड समितियों के चुनाव काफी दिलचस्प रहेंगे। सभी छह जोन का नए सिरे से परिसीमन करने के बाद नरेला वार्ड समिति में कुल 16 वार्ड और 22 पार्षद (16 निर्वाचित और 6 मनोनीत) आ रहे हैं। यहां भाजपा के 10 निर्वाचित पार्षद हैं तो वहीं, आप के भी 10 पार्षद (4 निर्वाचित और 6 मनोनीत) हैं। वहीं, 1 पार्षद निर्दलीय और 1 बहुजन समाज पार्टी के हैं। यहां जीतने के लिए 9 का आंकड़ा चाहिए जो स्पष्ट रूप से भाजपा के पास है और अस्पष्ट रूप से आप के पास भी है।
उधर, शहरी सदर पहाड़गंज जोन में वार्डों की कुल संख्या 13 और पार्षदों की संख्या 17 है। इनमें 13 निर्वाचित और 4 मनोनीत पार्षद शामिल हैं। इनमें सर्वाधिक 8 (4 निर्वाचित और 4 मनोनीत) पार्षद आप के हैं। वहीं, कांग्रेस के 6 पार्षद और भाजपा के 3 पार्षद हैं। यहां जीत दर्ज करने के लिए 7 का आंकड़ा चाहिए जिसके लिए क्रॉस वोटिंग होना तय है। अगर मनोनीत पार्षदों को 29 अगस्त तक शपथ ग्रहण करवा दी जाती है तो मौजूदा चुनावी परिदृश्य बदल भी सकता है जिसकी संभावना लगभग नगण्य है।


