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देवघर के उपायुक्त पर कार्रवाई का चुनाव आयोग का आदेश, झारखंड में सियासी आरोप-प्रत्यारोप

केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ कार्रवाई के आदेश पर झारखंड में सियासी घमासान छिड़ गया है

देवघर के उपायुक्त पर कार्रवाई का चुनाव आयोग का आदेश, झारखंड में सियासी आरोप-प्रत्यारोप
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रांची। केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के खिलाफ कार्रवाई के आदेश पर झारखंड में सियासी घमासान छिड़ गया है। निर्वाचन आयोग ने झारखंड सरकार से मंजूनाथ भजंत्री को देवघर उपायुक्त के पद से हटाने, उन्हें भविष्य में किसी भी चुनावी ड्यूटी से अलग रखने और उनके खिलाफ 15 दिनों के भीतर विभागीय कार्यवाही और दंडात्मक कार्रवाई करने को कहा है। देवघर के उपायुक्त ने मधुपुर नामक विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव संपन्न होने के छह महीने बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में एक दिन में पांच एफआईआर दर्ज कराई थी। आयोग ने इस मामले में देवघर उपायुक्त को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया था और अब उनके जवाब को असंतोषजनक मानते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया गया है। आयोग के इस आदेश पर राज्य में सियासी आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। भाजपा ने जहां आयोग के आदेश का स्वागत किया है, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव आयोग पर भारतीय जनता पार्टी के एजेंट की तरह काम करने का आरोप लगाया है।

केंद्रीय चुनाव आयोग प्रधान सचिव राहुल शर्मा द्वारा देवघर के उपायुक्त के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश को लेकर राज्य सरकार को लिखा गया पत्र सोमवार देर शाम को सार्वजनिक हुआ तो झारखंड में प्रशासनिक से लेकर सियासी गलियारों में हलचल मच गई। सबसे पहले गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने आयोग के आदेश की प्रति ट्वीट करते हुए इसे सत्य की जीत बताया।

उन्होंने लिखा, "मेरे खिलाफ साजिश के तहत गलत केस करने के कारण देवघर के उपायुक्त के खिलाफ आयोग ने कार्रवाई की है। मेरे खिलाफ जिस मुकदमे को दर्ज करके मंजूनाथ जी हेमंत सोरेन के लिए निष्ठा साबित करने में जुटे थे, उसे चुनाव आयोग ने गलत ठहरा दिया है।"

बता दें कि दुबे ने ही देवघर उपायुक्त की कार्रवाई को राजनीति और विद्वेष से प्रेरित बताते हुए चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई थी।

मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस की। उन्होंने कहा कि जब राज्य में चुनावी प्रक्रिया नहीं चल रही है, तो किसी उपायुक्त को उनके पद से हटाने का आदेश चुनाव आयोग कैसे दे सकता है? सामान्य प्रशासन की व्यवस्था देखना और किसी अधिकारी की पोस्टिंग राज्य सरकार का क्षेत्राधिकार है। आयोग इस क्षेत्राधिकार में दखल नहीं दे सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी के एजेंट की तरह आचरण करते हुए यह आदेश जारी किया है।

इधर, भाजपा के कई नेताओं ने आयोग की इस कार्रवाई का खुलकर स्वागत किया। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार की चापलूसी में लगे प्रशासनिक अधिकारियों के लिए यह एक सबक है।

निर्दलीय विधायक सरयू राय ने एक बयान में कहा है कि देवघर के उपायुक्त के बारे में चुनाव आयोग का निर्णय एक बड़ी घटना है। झारखंड के प्रशासनिक अधिकारी इसे सबक समझें। उन्हें नियुक्ति के समय ली गई शपथ का पालन और लोक सेवक का दायित्व निभाना चाहिए। निजी सेवक की तरह आचरण से परहेज करना चाहिए। संविधान, नियम, कानून के हिसाब से काम होगा तो राज्य आगे बढ़ेगा।


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