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इला भट्ट ने कहा - गरीबी एक तरह की हिंसा 

प्रसिद्ध गांधीवादी समाज सेविका इला भट्ट ने कहा है कि गरीबी एक तरह की ‘हिंसा ’है जो समाज में सबकी सहमति से लगातार बरकरार है

इला भट्ट ने कहा - गरीबी एक तरह की हिंसा 
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नयी दिल्ली। प्रसिद्ध गांधीवादी समाज सेविका इला भट्ट ने कहा है कि गरीबी एक तरह की ‘हिंसा ’है जो समाज में सबकी सहमति से लगातार बरकरार है । अपनी एक पुस्तक के हिंदी अनुवाद ‘अनुबंध -सौ मील के दायरे में ’ के विमोचन के मौके पर भट्ट ने कल यहां कहा कि गरीबी एक हिंसा है और इसमें सबका योगदान है ।

गरीबी ,भुखमरी , अशिक्षा ,पेयजल की कमी और बीमारी जैसी विकराल समस्याओं का हल संभव है । स्वयं सहायता समूह ‘सेवा ’ के जरिये आर्थिक स्वावलंबन का सफल माडल पेश करने वाली वयोवृद्ध समाज सेविका ने कहा कि सत्ता और संसाधनों का विक्रेन्दीकरण करके भुखमरी और हिंसा खत्म की जा सकती है ।

किसानों की समस्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अब किसान अपनी जरूरत की चीजें उगाने की बजाय नकदी फसलों की ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं । जब तक स्थानीय स्तर पर उत्पादित चीजों का उपभाेग नहीं होगा और आवास की नीतियां दूर बैठकर बनायी जाएंगी ,रोटी ,कपडा और मकान की समस्या दूर नहीं की जा सकती । उन्होंने स्थानीय जरूरतों को पूरा करने के लिए शोध कार्य करने तथा सबके लिए उपयोगी प्रौद्योगिकी के विकास की जरूरत बतायी ।

वयोवृद्ध समाज सेविका ने कहा कि वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के ‘गरीबी हटाओ ’ के नारे से काफी प्रभावित थीं , हालांकि उसमें राजनीतिक रंग भी आ गया था लेकिन उस नारे में दम था । उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि आज शिक्षित शहरी युवा पेशेवरों को गरीबी ,शोषण और अभाव जैसी सामाजिक समस्याओं की पूरी जानकारी तो है लेकिन वे इनकी जटिलताओं को समझने के लिए तैयार नहीं हैं । उन्हें इन समस्याओं का जवाब नहीं मिल रहा है ।

सिक्किम के पूर्व राज्यपाल वाल्मीकि प्रसाद सिंह का कहना था कि सरकार की कोई भी योजना तब तक सफल नहीं हो सकती जब तक उसमें आम जनता की भागीदारी नहीं होगी । किताब का हिंदी अनुवाद पत्रकार नीलम गुप्ता ने किया है ।


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