Top
Begin typing your search above and press return to search.

पहलगाम त्रासदी को भुनाने की कवायद शुरू

27 लोगों की जान लेने वाले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले को अभी 48 घंटे भी नहीं हुए हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसका लाभ लेने की कवायद प्रारम्भ कर दी

पहलगाम त्रासदी को भुनाने की कवायद शुरू
X

27 लोगों की जान लेने वाले जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले को अभी 48 घंटे भी नहीं हुए हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसका लाभ लेने की कवायद प्रारम्भ कर दी। बिहार के मधुबनी के झंझारपुर की लोहना पंचायत में 'पंचायती राज दिवस' पर आयोजित आम सभा को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आतंकियों को यह कहकर 'मिट्टी में मिलाने' की धमकी दी कि 'उन्होंने सिर्फ निहत्थे पर्यटकों पर नहीं वरन भारत पर हमला किया है।' इस राज्य में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिये मोदी की इस सभा को चुनावी प्रचार का आगाज़ भी माना जा रहा है। मोदी ने इस सभा से बिहार की 13,480 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

बेशक यह सभा विकास कार्यों के शिलान्यास-उद्घाटन के लिये आयोजित की गयी थी परन्तु पहलगाम हादसे के बाद भी इसे रद्द न करने से बात साफ हो गयी थी कि इसका लाभ लेने की कोशिश होगी। सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर लौटे प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली हवाईअड्डे पर ही बैठक की और पाकिस्तान के खिलाफ़ कई फैसले लिये लेकिन इसे लेकर न तो कोई अधिकृत बयान दिया, न कोई जनता को संदेश। सत्ता समर्थक मीडिया तथा सोशल मीडिया में बुधवार से ही यह बात घूमने लगी थी कि 'प्रधानमंत्री पाकिस्तान को कड़ा संदेश बिहार की धरती से देंगे।' यह सचमुच आश्चर्यजनक था कि अंतरराष्ट्रीय महत्व की इस बड़ी घटना के बारे में कुछ कहने के लिये उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली को नहीं चुना, न ही संसद में या सर्वदलीय बैठक में चेतावनी देनी पसंद की। रेडियो- टीवी पर वे देशवासियों को सम्बोधित कर सकते थे। साफ है कि वे इसका लाभ लेने की पहले से ठान चुके थे।

इन अनुमानों को मोदी ने गलत साबित नहीं होने दिया। सभा में उन्होंने आतंकियों के हाथों मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिये सभी से दो मिनट का मौन धारण कराया तथा उनके परिजनों को यह कहकर सांत्वना दी कि 'देश उनके साथ है।' फिर इस घटना का ज़िक्र करते हुए आतंकियों को चेतावनी दी कि 'उनकी बची-खुची जमीन भी खत्म कर दी जायेगी।' उन्होंने ऐलान किया कि 'अब उन्हें मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। जिन आतंकियों ने देश की आत्मा को चोट पहुंचाई है उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।'

देश भर से इस घटना को लेकर समर्थन मांगने की कोशिश में मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि 'हमले में किसी ने बेटा खोया, तो किसी ने भाई। किसी ने अपना जीवन साथी खोया है। उनमें कोई बांग्ला बोलता था, कोई कन्नड़ बोलता था, कोई मराठी था, कोई ओड़िया था, कोई गुजराती था तो कोई यहां बिहार का लाल था।' भावुकता की रौ में बहे मोदी दुख और गुस्सा दोनों का इज़हार करते नज़र आये। उन्होंने कहा कि 'पहलगाम में आतंकियों ने मासूम लोगों को जिस बेरहमी से मारा है उससे करोड़ों देशवासी दुखी हैं। सभी पीड़ित परिवारों के इस दुख में पूरा देश उनके साथ है। सरकार इसके भी प्रयास कर रही है कि जिन घायलों का इलाज जारी है वे जल्द स्वस्थ हों।' प्रधानमंत्री ने दावा किया कि 'पर्यटकों को मारने वाले आतंकियों को 'उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा' दी जाएगी।' उन्होंने कहा-'मैं बिहार की धरती से पूरी दुनिया को कहना चाहता हूं कि भारत सभी आतंकियों की पहचान कर उन्हें सजा देगी। इस तरह के हमले से आतंकी देश के मनोबल को नहीं तोड़ सकेंगे। आतंकी हमले के बाद अब न्याय दिलाने के लिए भारत सब कुछ करेगा। जो लोग मानवता में विश्वास करते हैं वे हमारे साथ हैं।'

मोदी ने आतंकी घटना के लिये सीधे-सीधे पाकिस्तान का नाम तो नहीं लिया लेकिन यह ज़रूर कहा कि '140 करोड़ भारतीयों की इच्छा शक्ति 'आतंक के आकाओं' की कमर तोड़ देगी।' फिर भी, उनकी रैली में 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' के नारे लगाए गए जो इस बात का इशारा है कि हमलावरों का मददगार कौन है; या कम से कम किसे समझा जा रहा है। यह समझ से परे हैं कि आखिर पाकिस्तान का नाम लेने में दिक्कत क्या है जबकि वे सिंधु जल बंटवारा संधि तोड़ चुके हैं, पाक उच्चायुक्त के कुछ लोगों को वापस जाने के लिये कह चुके हैं, पाकिस्तान से अपने कुछ अधिकारियों को बुला रहे हैं तथा देश में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में लौट जाने का हुक्म दे चुके हैं।

मधुबनी की सभा से यह संकेत निकला है कि भारतीय जनता पार्टी को बिहार चुनाव के लिये एक मुद्दा मिल गया है। यदि वह विकास की बात करेगी तो श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ले जायेंगे। वैसे यह मुद्दा इसके बाद होने वाले पश्चिम बंगाल चुनाव के लिये कारगर होगा या नहीं, कहना मुश्किल है क्योंकि तब तक यह पुराना पड़ चुका रहेगा तथा वहां के मतदाता इससे शायद ही प्रभावित हों। बिहार में इसका असर पड़ा तो खतरा भाजपा के सहयोगी दल तथा नीतीश बाबू की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को होगा। वहां भाजपा अगली बार अपना मुख्यमंत्री देखना चाहती है। राज्य इकाई कह चुकी है कि 'ऐसा होने पर ही अटल बिहारी वाजपेयी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।' नीतीश के कथित सुशासन के मुकाबले भाजपा इस मुद्दे को आगे बढ़ाती है तो वह कोशिश करेगी कि जेडीयू से ज्यादा सीटें या बेहतर स्ट्राइक रेट लाकर सीएम पद पर दावा करे। हालांकि सीट बंटवारे पर भी काफी कुछ निर्भर करेगा। फिर, इस मसले को छह माह तक जीवित रखना आसान नहीं रहेगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it