कचरा प्रबंधन के लिये कारगर उपाय-वेस्ट डिकम्पोसर
झाल के किसानों को वैज्ञानिकों द्वारा फसल अपशिष्ट अपघटक के निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया

बेमेतरा। कृषि विज्ञान केन्द्र जिले के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. सी.आर. नेताम के मार्गदर्शन में ग्राम झाल के किसानों को वैज्ञानिकों द्वारा फसल अपशिष्ट अपघटक के निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में किसानों को अपने खेत पर ही अपघटक के निर्माण करने के तरीके को प्रदर्शन द्वारा समझाया गया।
भारतीय शहरों में प्रति व्यक्ति कचरे का प्रतिदिन उत्पादन 200 ग्राम से लेकर 600 ग्राम तक है और गांवों में यह मात्रा 300-400 ग्राम प्रति परिवार प्रतिदिन है। वर्तमान में ऐसे कचरे को आमतौर पर जला दिया जाता है या उन्हें सड़ने के लिये छोड़ दिया जाता है। इस समस्या को दूर करने के लिये कचरा, अपशिष्ट अपघटक राष्ट्रीय जैविक खेती केन्द्र कृषि एवं कल्याण मंत्रालय गाजियाबाद के द्वारा तैयार किया गया है। कचरा अपघटक स्वच्छ भारत की दिशा में एक सुगम प्रयास है, जो जैविक खेती को भी प्रोत्साहित करता है।
अपशिष्ट अपघटक (वेस्ट डिकम्पोसर) लाभकारी सूक्ष्मजीवों का एक समूह है। रसोई, कृषि व पशु आदि से उत्पन्न सभी प्रकार के कचरे को 40 दिनों के भीतर उपयोग करने योग्य रूप में परिवर्तित करने में सक्षम है। यह एकल उत्पाद केवल कुछ दिनों में एक लाख मीट्रिक टन कचरे को परिवर्तित करने में सक्षम है।


