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शिक्षण संस्थानों ने एक स्वर में कहा, 12वीं की परीक्षा रद्द किए जाने का फैसला सही

12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द किए जाने के फैसले का न केवल छात्र, बल्कि विभिन्न स्कूलों के प्रबंधक, शिक्षक और प्रिंसिपल भी सराहना कर रहे हैं

शिक्षण संस्थानों ने एक स्वर में कहा, 12वीं की परीक्षा रद्द किए जाने का फैसला सही
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नई दिल्ली। 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द किए जाने के फैसले का न केवल छात्र, बल्कि विभिन्न स्कूलों के प्रबंधक, शिक्षक और प्रिंसिपल भी सराहना कर रहे हैं। फिक्की अराइज सह-अध्यक्ष व सुचित्रा अकादमी के संस्थापक प्रवीण राजू कहा कि "आज के हालात देखते हुए सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाएं रद्द करना सही फैसला है। बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ किए बिना हम परीक्षा नहीं ले सकते थे, इसलिए हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। आशा है, इसके सभी भागीदारों से सलाह कर शीघ्र ही इस मुद्दे का हल निकाला जाएगा।" वहीं द हेरिटेज स्कूल्स के सीईओ विष्णु कार्तिक ने कहा कि बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने के इस निर्णय से विद्यार्थियों और अभिभावकों के सामने मामला स्पष्ट हो गया है। सभी का तनाव भी कम हुआ है। हालांकि किसी विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिहाज से कक्षा 12 की परीक्षाओं की गंभीरता देखते हुए यह निर्णय लेना आसान नहीं था। परंतु सरकार के पास कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि विद्यार्थियों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। अब सीबीएसई के सामने चुनौती 12वीं कक्षा के मूल्यांकन का वैकल्पिक मानक कायम करने का है। नई ग्रेडिंग व्यवस्था में विलंब या भ्रम होने से विद्यार्थियों में असमंजस और तनाव पैदा होगा। इस सिलसिले में भारतीय विश्वविद्यालयों को प्रवेश के मानक में संशोधन को लेकर स्पष्ट निर्देश देना लाजमी होगा, ताकि विद्यार्थियों की योग्यता और निष्पक्षता से कोई समझौता न हो।

सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन शिशिर जयपुरिया ने कहा कि यह निर्णय बच्चों के हित में लिया गया है। हालांकि इसके बाद की प्रक्रिया भी बराबर महत्व की है और बच्चों के मूल्यांकन का मानक तय करने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें यह ध्यान रखना होगा कि बहुत-से बच्चे अंतिम चरण की तैयारी तक तन-मन से करते हैं और इसलिए उन्हें इसका उचित लाभ दिया जाना चाहिए।

निर्मल भारतीया स्कूल की प्राचार्य चारु वाही ने कहा कि बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का निर्णय स्पष्ट रूप से विद्यार्थियों और शिक्षकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित में लिया गया है। अधिकतर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों ने राहत की सांस ली है। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से उत्पन्न बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं की अनिश्चितता से वे सभी चिंतित और घबराए हुए थे।

उन्होंने कहा, "लेकिन अब हमारे सामने अगली चुनौती इन विद्यार्थियों का निष्पक्ष और विश्वसनीय शैक्षिक मूल्यांकन का मानक कायम करने का है। विद्यार्थियों के वार्षिक प्रदर्शन के आधार पर उनकी योग्यता के अनुरूप ग्रेड या अंक दिए जाने चाहिए। लेकिन बहुत सोच-समझ कर सावधानी से शैक्षिक मूल्यांकन करना होगा। मुझे विश्वास है कि स्कूल और बोर्ड इस चुनौती को पार कर लेंगे और विद्यार्थियों के हित में जो सबसे अच्छा होगा वह जरूर करेंगे।"


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