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एजुकेशन पॉलिसी, चीन और चीनी भाषा पर जामिया में संवाद

जामिया मिलिया इस्लामिया ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी और चीन एवं चीनी भाषा पर एक पैनल चर्चा आयोजित की

एजुकेशन पॉलिसी, चीन और चीनी भाषा पर जामिया में संवाद
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नई दिल्ली। जामिया मिलिया इस्लामिया ने नेशनल एजुकेशन पॉलिसी और चीन एवं चीनी भाषा पर एक पैनल चर्चा आयोजित की। 'द नेशनल एजुकेशन पालिसी इम्प्लिकेशंस फॉर चाईनीज लैंग्वेज टीचिंग इन इंडिया' शीर्षक से इस चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें यूजीसी चीन अध्ययन केंद्र और एमएमएजे अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन अकादमी भी शामिल रहे। इस मौके पर चीन में भारत के राजदूत रह चुके टीसीए रंगाचारी भी मौजूद रहे। उन्होंने भारत में चीन अध्ययन के महत्व और चीन को अधिक ज्ञान अर्जन करने की दिशा में चीन और चीनी भाषा को सिखाने में भारतीय विश्वविद्यालयों की भूमिका को रेखांकित किया।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चीनी भाषा के प्रोफेसर प्रियदर्शी मुखर्जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्य पर विस्तार से बताया और दीर्घकालिक संभावनाओं के साथ भारतीय युवाओं के लिए एक व्यापक रोजगार बाजार बनाने में इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने चीनी भाषा को समझने और सीखने के महत्व के बारे में भी विस्तार से बताया। भारत और चीन के बीच पड़ोसी संबंधों को देखते हुए भारत के राष्ट्रीय हित के लिए इसकी उपयोगिता पर चर्चा की।

इस संबंध में उन्होंने, भारत और चीन की बेहतर समझ के लिए अभिलेखीय स्रोतों पर अनुसंधान के महत्व को दोहराया। उन्होंने चीन के अध्ययन पर बेहतर विचार-विमर्श के लिए भारत भर में चीनी भाषा के शिक्षण संस्थानों के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र का विचार सामने रखा।

विश्वभारती विश्वविद्यालय में चीनी भाषा के प्रोफेसर अविजित बनर्जी ने बताया कि चीन को समझने के लिए भाषा सिर्फ आधी कार्रवाई है, बाकी आधी उस देश की संस्कृति और समाज की समझ है। उन्होंने ग्लोबलाइजेशन पृष्ठभूमि में व्यापार, कूटनीति और कुशल श्रम की आपूर्ति के लिए एक विदेशी भाषा के रूप में चीनी भाषा सीखने के महत्व को स्पष्ट किया।

उन्होंने आज के भारत में चीनी भाषा शिक्षण के भविष्य के संघर्ष के लिए आपातकालीन तैयारी के साधन के रूप में भाषा शिक्षण के ²ष्टांत का उपयोग किया, जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था।

इस चर्चा में भारत के सभी हिस्सों से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और चीनी भाषा शिक्षा से संबंधित कई विषयों पर चर्चा की। इनमें भारत में चीनी भाषा शिक्षार्थियों के लिए चीनी भाषा में नेट परीक्षा और बेहतर नौकरी के बाजार बनाने में सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों की भूमिका जैसे विषय शामिल थे।


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