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धार्मिक उन्माद की बलि चढ़ते युवा

उत्तर प्रदेश के बहराइच के महराजगंज कस्बे (महसी तहसील) में दुर्गा विसर्जन पर गाने-बजाने को लेकर दो समुदायों में हुई भिड़ंत से उपद्रव हो गया

धार्मिक उन्माद की बलि चढ़ते युवा
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उत्तर प्रदेश के बहराइच के महराजगंज कस्बे (महसी तहसील) में दुर्गा विसर्जन पर गाने-बजाने को लेकर दो समुदायों में हुई भिड़ंत से उपद्रव हो गया। एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई, तो वहीं एक गम्भीर रूप से घायल है। इसके कारण पूरे जिले में बवाल मचा हुआ है। जुलूस में शामिल लोगों का आरोप है कि एक घर से उन पर पथराव किया गया इसलिये मामला बिगड़ा। यह भी आरोप है कि एक समुदाय के लोग रामगोपाल मिश्रा (24 वर्ष) नामक युवक को घर के भीतर घसीट ले गये जहां उसको गोली मार दी गई। उसकी वहीं मौत हो गई। उसे बचाने गये 28 साल के राजन को भी गोली मारी गई। वह गम्भीर रूप से ज़ख्मी है। दूसरी तरफ ऐसे वीडियो भी वायरल हुए हैं जिसमें दिख रहा है कि वह युवक (रामगोपाल) एक घर की छत पर चढ़कर इस्लामी झंडा खींचकर गिरा रहा है और उसके साथ ही भगवा झंडा फहरा रहा है। दूसरे पक्ष का कहना है कि मामला इसी कारण से हिंसक टकराव में बदल गया। कई जगहों पर आगजनी हुई है तथा प्रदर्शन किये गये। पुलिस ने कई जगहों पर लाठियां भी चलाईं।

बहराइच की यह घटना पिछले कुछ वर्षों से युवाओं को भड़काने तथा उन्हें उन्मादी बनाने के व्यापक षड्यंत्र का परिणाम ही प्रतीत होता है। देखा गया है कि धार्मिक जुलूसों के दौरान कुछ न कुछ ऐसा बवाल होता है या पैदा कर दिया जाता है जिससे मुठभेड़ की नौबत आ जाती है। खासकर, मस्जिदों के सामने से गुजरते हुए या समुदाय विशेष के मोहल्लों से निकलते हुए भड़काऊ नारे लगाये जाते हैं या काम किये जाते हैं ताकि दूसरे वर्ग में नाराजगी फैले। पुलिस की कार्रवाई भी कई बार एकतरफा होती है। जिन घरों या इलाकों से पथराव करने के आरोप लगाये जाते हैं, उन क्षेत्रों में गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो जाता है। बहुत से ऐसे वीडियो सामने आये हैं जिनमें पता चलता है कि पुलिस स्टेशनों में उनकी पिटाई भी की जाती है। यह नागरिक अधिकारों का हनन एवं कानूनों का सरासर उल्लंघन है।

ऐसी घटनाएं किन लोगों की शह पर होती हैं, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि बहराइच में उन्मादी भीड़ पुलिस प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग और दूसरी तरफ उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जय-जयकार कर रही थी। निश्चित रूप से यह खतरनाक स्थिति है। अब तक तो यह भी देखा जाता रहा है कि ऐसे मामले होने पर, वह भी विशेषकर उत्तर प्रदेश में शिकायत दर्ज होते ही, बुलडोज़रों से आरोपियों के घरों को ध्वस्त कर दिया जाता रहा है। सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले के बाद ऐसी गैरकानूनी कार्रवाइयां फिलहाल स्थगित हैं। इसके बावजूद आरोपी, जो एक समुदाय विशेष के होते हैं, अन्य तरीकों से पुलिस एवं प्रशासन के हाथों प्रताड़ित होते हैं।
कहना न होगा कि इनमें से ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी एवं उसकी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अथवा उनके किसी अनुषंगिक संगठनों से जुड़े लोग होते हैं।

प्रत्यक्ष तौर पर तो ये धार्मिक जुलूस होते हैं लेकिन इनके पीछे राजनीतिक उद्देश्य निहित हैं। ऐसे जुलूसों के जरिए सियासी मकसद साधे जा रहे हैं- यह बात जुलूस में शामिल होने वालों, खासकर युवाओं को समझनी होगी। इसी मामले को देखें तो इसमें एक युवक को अपनी जान गंवानी पड़ी। लोगों को इस बात पर गौर करना चाहिये कि बड़े नेताओं के बच्चे ऐसे फसादों से दूर रहकर अपना कैरियर बनाते हैं या फिर अच्छी नौकरियां करते हैं। कम पढ़े-लिखे, ड्रॉप आउट्स, निम्न वर्गीय परिवारों के बच्चों को ऐसे जुलूसों में लाया जाता है। दरअसल ऐसे आयोजन करने वालों के लिये उन लोगों की जानें बहुत सस्ती होती हैं जो उन्हें भड़काकर धार्मिक व पवित्र आयोजनों को हिंसक वारदात में बदलकर धु्रवीकरण करते हैं और उनका अंतिम लाभ भी उन्हें या उनके राजनीतिक संगठनों को ही चुनावी सफलताओं के रूप में प्राप्त होता है।

पिछले दिनों गणेश विसर्जन के दौरान भी देश के कुछ हिस्सों में इसी तरह की घटनाएं हुईं। उनमें भी एक वर्ग विशेष के लोगों को दोषी ठहराया गया। यह नैरेटिव ही लोगों के दिमागों में बिठा दिया गया कि एक समुदाय विशेष के लोग पत्थरबाज होते हैं। यहां तक कि वंदे भारत जैसी ट्रेन पर पत्थर चलाने वाले कुछ शरारती तत्व थे लेकिन उन घटनाओं को कुछ इस तरह से पेश किया गया कि ये लोग भारत में ही रहकर देश की तरक्की से जलने वाले लोग हैं। इस विमर्श को यहां तक विस्तार दिया गया कि कुछ ट्रेन दुर्घटनाओं का कारण भी इन्हीं तत्वों द्वारा पटरियों में पत्थर रखना बतलाया गया।

विजयादशमी के अवसर पर आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा जो भाषण दिया गया, वह इसी मानसिकता को उकसाने वाला था। हिन्दुओं को डराने के उद्देश्य से संघ व भाजपा बहुसंख्यकों को थोड़े से मुस्लिम समुदायों से बड़ा खतरा बताती रही है जिसका अंजाम ऐसी घटनाओं के रूप में होता है।


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