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योगी बंदर की लीला और जनजागरुकता

भारत का अपना एआई क्यों नहीं बन पाया, इस बारे में भी योगी बंदर ने बताया है कि हमारे पास डेटा ही नहीं है, सारा डेटा यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक के पास है

योगी बंदर की लीला और जनजागरुकता
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- सर्वमित्रा सुरजन

भारत का अपना एआई क्यों नहीं बन पाया, इस बारे में भी योगी बंदर ने बताया है कि हमारे पास डेटा ही नहीं है, सारा डेटा यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक के पास है। अमेरिका ने चैटजीपीटी, चीन ने डीप सीक बना लिया। हमारे इंजीनियरों ने जब कू ऐप बनाया था तो उसके जरिए डेटा इक_ा हो सकता था, लेकिन उन्हें सपोर्ट नहीं मिला और चार साल में ही कू ऐप बंद हो गया।

सोशल मीडिया पर रील्स, मीम्स बनाने का पागलपन, इस मंच को झूठी, नफरती खबरें फैलाने का जरिया बनाना, हर वर्ग के लोगों का अधिकाधिक वक्त सोशल मीडिया पर बीतना, इन सब बातों पर पिछले कुछ वक्त में काफी चिंता बढ़ी है। समाजशास्त्रियों के लिए यह अध्ययन का नया विषय ही बन गया है कि संचार क्रांति का यह कैसा दौर आया है, जिसमें एक के बाद एक नयी लहर उठती है। मियादी बुखार की तरह कभी भी कोई भी चीज वायरल हो जाती है। नैतिक-अनैतिक के बीच का हर अंतर सोशल मीडिया पर मिटाया जा चुका है। न किसी का लिहाज, न कोई पाबंदी, बस जिसे जो कहना है, लिखना है, दिखाना है, सुनाना है, वह अपने मन की करे। असल मायनों में मन की बात सोशल मीडिया पर चलती है। इसमें कभी कुछ ऐसा हो जाए, जिस पर बड़ा विवाद हो, तब कुछ पोस्ट्स को प्रतिबंधित किया जाता है, लेकिन तब तक उसका स्क्रीन शॉट सुरक्षित रख लिया जाता है या सामग्री ही किसी और तरीके से स्टोर कर ली जाती है। आसान शब्दों में, एक बार जो चीज सोशल मीडिया पर आ गई, उसे नष्ट करना मुश्किल होता है।

ऐसे सोशल मीडिया के दौर में 'बंदर लीला योगी' के वीडियो काफी वायरल हो रहे हैं। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है, इसमें एक बंदर साधु या योगी की वेशभूषा में बैठा हुआ नजर आता है और उसकी लीला यह है कि यह योगी बंदर ज्वलंत सामाजिक-राजनीतिक विषयों पर धीर-गंभीर बातें करता है। देश में शिक्षा की बदहाली से लेकर टीआरपी के लिए मीडिया की उछलकूद सब पर इस योगी बंदर का ध्यान है और वह अपने भक्तों को इस पर प्रवचन देता है कि उसकी निगाह में यह सही है या गलत।

एक वीडियो में कथावाचक बना बंदर कहता है, 'जिस देश में सरकारी स्कूलों की छतें टपकती हों और मंदिर सोने से जड़े हों, वो देश कभी विकसित नहीं हो सकता। अगर मंदिरों का पैसा स्कूलों में लगाया जाए तो भारत विकसित हो सकता है, लेकिन ऐसा इसलिए नहीं होगा क्योंकि कुछ लोगों को डर है कि अगर बच्चे पढ़ गए, तो सवाल पूछेंगे। वहीं एक प्रवचन में योगी बंदर ने कहा कि 'अगर मंदिर में चढ़ाया गया पैसा भगवान का है, तो फिर वो जनता में क्यों नहीं बांटा जाता?'

पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के वक्त मीडिया के बड़े हिस्से ने जिस किस्म की रिपोर्टिंग की, उसकी धज्जियां भी योगी बंदर ने उड़ाईं हैं। इसमें उसने कहा है कि अगर सर्कस देखना हो तो बाहर मत जाना, मोबाइल पर टीवी चैनल खोल देना। टीआरपी के लिए इतने मरे जा रहे कि हमारे सैनिक बार्डर पर खड़े हैं और ये कह रहे हैं इस्लामाबाद पर कब्जा। ये वही लोग हैं, जिन्होंने मुंबई हमलों के दौरान एनएसजी की लोकेशन ब्रॉडकास्ट कर दी और कहीं न कहीं उससे आतंकवादियों को मदद मिली। वो कहते हैं कि भारत अब विकसित होने ही वाला है। अरे लोगों के पास स्कूल-कॉलेज की फीस भरने के पैसे नहीं हैं, और तुम हवा में भारत को विकसित बना रहे हो।

एक अन्य वीडियो में योगी बंदर ने बताया है कि अगर श्री राम भारत के प्रधानमंत्री होते तो कैसा भारत होता। जिसमें आस्ट्रेलिया की तरह प्रदूषण मुक्त हवा होती। पुलिसवाले भाग-भागकर एफआईआर लिखते, भले सामने नेता का बेटा ही क्यों न हो। भारत का ट्रेड और एग्रीकल्चर फल फूल रहा होता। सबको समान न्याय मिलता, छुआछूत को मिटा दिया जाता, जाति को काम के आधार पर किया जाता, न कि जन्म के आधार पर। सरकारी अस्पतालों में साफ-सफाई होती। मंदिरों में भगवान का नाम लेकर साइंस और टेक्नॉलॉजी का ज्ञान साझा किया जाता। किसान खुदकुशी नहीं करते। वोटरों को बांटने के लिए नफरती भाषण नहीं दिए जाते। आरटीआई एक्टिविस्टों की हत्या नहीं होती। गंगा नदी एकदम साफ होती। आम आदमी के कोर्ट केस 20-20 साल नहीं चलते। मूवी का हीरो एक साथ सौ लोगों की हत्या करे तो उसे ग्लोरिफाई नहीं किया जाता और ऐसी फिल्मों की भारत में कोई जगह नहीं होती। अगर किसी कारण से जंगल काट भी दिए जाते तो ट्राइबल लोगों को गर्वमेंट आईडी दी जाती और उनकी शिक्षा का ख्याल रखा जाता।

एक और वीडियो में योगी बंदर ने कहा कि अगर आज हनुमान जी होते तो कहते कि मुझे तुम्हें अपना वंशज कहने में शर्म आती है। एक कंपनी का सीईओ भी बिल्ली के रास्ता काटने पर रुक जाता है। अरे तुम सीईओ हो कि चूहे हो। हमने तो रावण को घर में घुसकर मारा था, तुम एक बिल्ली से डर गए। तुम विश्वगुरु कैसे बनोगे, तुम डेढ़ सौ करोड़ हो, लेकिन डरे हुए हो। वो बताते कि हमने राम सेतु मंत्र फूंककर नहीं बनाया था, नल और नील नाम के दो इंजीनियरों से बनवाया था। वो तुम्हें जागृत करते कि जहां समाज डरा हुआ हो, वहां साइंटिस्ट कम और गुलाम ज्यादा पैदा होते।

भारत का अपना एआई क्यों नहीं बन पाया, इस बारे में भी योगी बंदर ने बताया है कि हमारे पास डेटा ही नहीं है, सारा डेटा यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक के पास है। अमेरिका ने चैटजीपीटी, चीन ने डीप सीक बना लिया। हमारे इंजीनियरों ने जब कू ऐप बनाया था तो उसके जरिए डेटा इक_ा हो सकता था, लेकिन उन्हें सपोर्ट नहीं मिला और चार साल में ही कू ऐप बंद हो गया।

श्रीराम के शासन का भारत, हनुमानजी की सीख से लेकर मीडिया की नैतिकता, अंधविश्वास, विज्ञान और टेक्नॉलॉजी सभी विषयों पर यह एआई जनरेटेड योगी बंदर प्रवचन देता है। इसमें जो बातें कहीं गई हैं, उन्हें अक्सर लोग आपसी चर्चाओं में करते हैं, लेकिन अब माहौल ऐसा हो चुका है कि इन्हें खुलकर कहने की हिम्मत नहीं दिखाई जा रही। जो ऐसी हिम्मत दिखाते हैं, उन्हें किसी न किसी तरह की प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है।

इस एआई जनरेटेड बंदर को जिसने भी बनाया है, उसने ज्वलंत मुद्दों को रोचक तरीके से जनता तक पहुंचाने का काम किया है। धर्मभीरू भारतीय समाज को उसकी भलाई के लिए सलाह देने का यह तरीका कारगर है कि उसमें धर्म का आवरण डाल दिया जाए। यही बंदर अगर शिक्षक, वैज्ञानिक, अंतरिक्ष यात्री, किसान, मजदूर या नेता की तरह दिखाई देता, तब भी उसकी बातें रोचक और जागरुक करने वाली तो होतीं, लेकिन उनका वह असर नहीं दिखाई पड़ता, जो अब दिख रहा है। बंदर बैठकर प्रवचन दे रहा है, यह बात तो रोचक है ही, दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह बंदर रूढ़िवादिता को खारिज कर आधुनिक युग के हिसाब से चलने की सलाह भक्तों को दे रहा है। वर्ना इस समय समाज की बुद्धि ऐसे प्रवचनकारियों ने भ्रष्ट की हुई है, जो हथेली को मोबाइल बनाकर हनुमानजी से सीधे बात करने का ढोंग करते हैं और भक्तों को मूर्ख बनाते हैं। लोगों में इतनी चेतना भी दिखाई नहीं देती कि वे पूछ सकें कि अगर हनुमान जी से सीधे बात हो ही जाती है, तब हथेली को मोबाइल बनाने की भी क्या जरूरत, इस सीधे कनेक्शन के लिए तो किसी भी चीज की दरकार नहीं होनी चाहिए। लेकिन लोगों को मूर्ख बनाकर ही ऐसे ढोंगी खुद ऐशो आराम का सारा सामान जुटा लेते हैं। दुनिया की सैर करते हैं, महंगे कपड़े, जूते, चश्मे पहन कर रौब झाड़ते हैं कि सवाल मत पूछना वर्ना और महंगा पहन कर चिढ़ाऊंगा।

भारत विकसित हो रहा है, भारत विश्वगुरु बन रहा है, इस तरह का भ्रम फैलाने में ऐसे ही ढोंगी साधु, बाबा, योगी सरकार की मदद करते हैं। सत्ता पर बैठे लोग इन की आरती उतारते हैं, इनके आडंबर को बढ़ावा देते हैं। कोई अपने घर में कितना भी अंधविश्वास माने, पाखंड को बढ़ावा दे, भक्ति के नाम पर कट्टरता फैलाए, उसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन जब जनता के पैसे पर समाज में इन चीजों को बढ़ाया जा रहा है और देश का नुकसान हो रहा है, तब तो आवाज उठानी ही चाहिए। जनता का काम करने के लिए बैठी सरकारों से सवाल होने चाहिए कि आपका वक्त लोककल्याणकारी कार्यों से ज्यादा पूजा पाठ में क्यों लग रहा है। जनता के पैसे ढोंगियों पर लुटाने के अपराध पर इन्हें सत्ता से बाहर किया जाना चाहिए। लेकिन इस समय डरा हुआ समाज यह नहीं कर रहा है। ऐसे में पुनर्जागरण के एक नए दौर की जरूरत महसूस हो रही है।

योगी बंदर की बातें काफी क्रांतिकारी हैं, और इसमें प्रयुक्त भाषा बिल्कुल आम बोलचाल की है, ताकि जनता इसे फौरन समझ ले। हालांकि इन बातों का सिलसिला, ऐसे वीडियो आगे कब तक जारी रहेंगे, कहा नहीं जा सकता। खुद इस एआई से बने योगी बंदर ने कहा है कि हो सकता है ये वीडियो प्रतिबंधित हो जाएं। अगर ऐसा नहीं भी होता है, तब भी अभी बातों में जो धार दिख रही है, वह बरकरार रहे और किसी भी तरह मुद्दे से न भटका जाए, संविधान के उद्देश्यों को केंद्र में रख कर जन जागरुकता फैलाई जाए, यह जरूरी है।


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