देश के लिए शर्मिंदगी है ट्रंप का बयान
एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक को-ऑपरेशन सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण कोरिया पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने का दावा किया है

एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक को-ऑपरेशन सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण कोरिया पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाने का दावा किया है। ट्रंप ने नरेन्द्र मोदी को महान नेता, सुंदर व्यक्तित्व, लड़ाका बताते हुए तारीफ तो की, लेकिन इस तारीफ के साथ यह कहते हुए शर्मिंदा भी कर दिया कि उन्होंने टैरिफ़ लगाने की चेतावनी देकर भारत और पाक को युद्ध रोकने के मजबूर कर दिया था। ट्रंप ने केवल मोदी की तारीफ नहीं की, बल्कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की भी तारीफ़ की. और पाकिस्तान के फ़ील्ड मार्शल आसिम मुनीर की तारीफ़ करते हुए कहा कि वो जबरदस्त फ़ाइटर हैं। ट्रंप के बयान का यह वीडियो पूरी दुनिया में प्रसारित हो चुका है। अगर ट्रंप पहली बार ऐसा कुछ कहते और मोदी सरकार किंकर्तव्यविमूढ़ की मुद्रा में होती, तब माना जा सकता था कि ऐसे किसी अप्रत्याशित बयान का जवाब देने के लिए सरकार तैयार नहीं थी। लेकिन अमेरिका, जापान, सऊदी अरब, कतर, इजरायल, द.कोरिया हर जगह ट्रंप यही बात कहे जा रहे हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को व्यापार रोकने की धमकी दी। दोनों देश परमाणु संपन्न हैं और युद्ध रुकना जरूरी था। इसलिए ट्रंप ने कहा कि आप लड़ाई रोको वर्ना हम व्यापार रोकेंगे और उसके बाद नरेन्द्र मोदी और शाहबाज शरीफ दोनों युद्ध विराम के लिए राजी हो गए।
पाकिस्तान बेशक खुशी से इस तथ्य को स्वीकार करे कि उसने ट्रंप के सामने घुटने टेके हैं, लेकिन क्या भारत भी अब अपमान को सहज भाव से लेने लगा है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने तो बाकायदा नरेन्द्र मोदी को मौका दिया था कि वे संसद के भीतर कह दें कि डोनाल्ड ट्रंप झूठ कह रहे हैं और युद्धविराम उनके कहने पर नहीं हुआ था। अपनी ही देश की संसद से ज्यादा सुरक्षित स्थान नरेन्द्र मोदी के लिए नहीं हो सकता। अगर ट्रंप के डर का मुकाबला साथी सांसदों के साथ वे संसद के भीतर से करने की कोशिश करते तो शायद ट्रंप दुनिया भर में भारत का अपमान करते नहीं फिरते। लेकिन न जाने किन वजहों से नरेन्द्र मोदी आज तक ट्रंप को जवाब नहीं दे पाए हैं। क्या मोदी इस बात से खुश हैं कि ट्रंप ने उन्हें महान बताया, अच्छा मित्र और सुंदर व्यक्तित्व का बताया। लेकिन यही सारी बातें तो ट्रंप ने शाहबाज शरीफ के लिए भी कही हैं। बल्कि ट्रंप तो पाक फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की भी खूब तारीफ कर रहे हैं। जबकि यही जनरल मुनीर आए दिन भारत के लिए आग उगलते रहते हैं। अब तो बांग्लादेश के साथ मिलकर पाकिस्तान भारत के खिलाफ साजिश कर रहा है। हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस से आसिम मुनीर के डिप्टी शमशाद मिर्जा ने मुलाकात की। इस दौरान मो.युनूस ने एक किताब शमशाद मिर्जा को भेंट की। जिसमें ग्रेटर बांग्लादेश का मानचित्र है। लेकिन असल में इस मानचित्र में असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के कुछ भाग को बांग्लादेश का हिस्सा बताया गया है। भारत के राज्यों को अपना हिस्सा बताना मासूम गलती नहीं हो सकती है। इसमें बांग्लादेश ने भारत के साथ झगड़ा बढ़ाने का एक और विषय तैयार कर लिया है, ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें पाकिस्तान बांग्लादेश के साथ खड़ा हुआ है।
इस पूरी घटना के मद्देनजर जरा मोदी-शाह के बयानों को याद करें, जो अपनी हर चुनावी सभा में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उछालते हैं। अभी निर्वाचन आयोग ने देशव्यापी एसआईआर कराने का जो ऐलान किया है, उसका समर्थन करते हुए भाजपा के सारे नेता सबसे पहले बांग्लादेशी घुसपैठियों को ही बाहर करने की बात करते हैं। जनता इन बयानों में बहक कर यह मानने लगती है कि देश में वाकई दीमक की तरह घुसपैठियों की आमद हो चुकी है, जो उनके हक को चट कर रही है। लेकिन जिस जमीन पर वाकई जनता का हक है, और उसे पड़ोसी देश अपना बता रहा है, उस पर सरकार का क्या कहना है, यह भी अब जनता को पूछ लेना चाहिए। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के जाते ही पाकिस्तान और बांग्लादेश की नजदीकियां बढ़ रही हैं। यह भारत के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। अब तक पाकिस्तान से ही भारत को खतरा रहता था, लेकिन इसमें बांग्लादेश का नाम और जुड़ जाए तो यह खतरे के बढ़ने का संकेत है। इसका पूरा फायदा चीन और अमेरिका को मिलेगा।
वैसे भी ट्रंप अब चीन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा चुके हैं, यह घटना वैश्विक कूटनीति में बड़े यू-टर्न के रूप में देखी जा रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 27 अक्टूबर को यह घोषणा की है कि अमेरिका व चीन के बीच व्यापार समझौता होने जा रहा है। जो ट्रंप चीन के साथ ट्रेड और टैरिफ युद्ध छेड़ने की धमकी देकर पूरी दुनिया के व्यापार को प्रभावित करना चाहते थे, वो रेयर अर्थ मिनरल का दबाव पड़ते ही दोस्ती की जुबान बोलने लगे हैं। दुनिया में सबसे बड़ा इस्तेमाल करने के लिए तैयार रेअर अर्थ मिनरल्स यानी दुर्लभ खनिज का स्रोत चीन के अधीन है। और उसने इसे न केवल खनिज संसाधन, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन के हथियार के रूप में तब्दील कर दिया। इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर स्मार्ट फोन तक का कारोबार रेअर अर्थ मिनरल्स के बिना नहीं हो सकता है और रक्षा उपकरणों के निर्माण में भी रेअर अर्थ मिनरल अब जरूरी हो गया है।
चीन ने रणनीतिक तौर पर रेअर अर्थ मिनरल्स के उत्पादन-निर्माण और परिशोधन में निवेश किया। चीन केवल अयस्क नहीं निकालता, बल्कि उसकी माइनिंग-रिफाइनिंग व मैग्नेट बनाने तक के काम का बड़ा हिस्सा भी चीन के भीतर ही होता है। अर्थात उसके संसाधन पर उसका आधिपत्य है, जिसका इस्तेमाल चीन अपना आत्मसम्मान बचाने के लिए भी कर रहा है। भारत में भी ऐसे कई संसाधन और खनिज संपदा हैं, जिनके बूते हम वाकई दुनिया को झुका सकते हैं। लेकिन सरकार इन्हें भी कुछ उद्योगपतियों को सौंप कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है। जिस तरह चीन ने अमेरिका को झुकाया, हम भी झुका सकते थे। मोदीजी ने इस मौके को गंवा दिया।


