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केंद्रीय बजट में झलकता है बदलाव का समग्र दृष्टिकोण

टियर-टू और टियर-थ्री शहरों में वैश्विक क्षमता केंद्र (ग्लोबल कैपिबिलटी सेंटर) स्थापित करने को प्रोत्साहन इन शहरों को विकसित करेगा

केंद्रीय बजट में झलकता है बदलाव का समग्र दृष्टिकोण
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- जी एन बाजपयी

टियर-टू और टियर-थ्री शहरों में वैश्विक क्षमता केंद्र (ग्लोबल कैपिबिलटी सेंटर) स्थापित करने को प्रोत्साहन इन शहरों को विकसित करेगा। इसके साथ ही नवोदित पेशेवरों को घर के पास रोजगार के अवसर तथा प्रासंगिक कौशल प्रदान करेगा। इस तरह मेट्रो शहरों पर दबाव कम होगा और विदेशों से निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

पिछली तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण नीति निर्माता परेशान हो गए। आर्थिक विशेषज्ञों में भी इस मुद्दे पर मतभेद नजर आए। कई आलोचकों ने धीमी खपत को मंदी के लिए मुख्यत: दोषी ठहराया। वित्त वर्ष 2025-2026 के केंद्रीय बजट को इसकी सहज प्रवृत्ति, ड्राइव एवं निहितार्थ के इस संदर्भ में देखा जाना चाहिए। नीति निर्माताओं के सामने उस समय मुख्य सवाल यह था कि सरकार निराशाजनक दृष्टिकोण के बीच विकासशील भारत के लक्ष्यों को कैसे सुनिश्चित करती है जिसे बदलती वैश्विक गतिशीलता ने बदतर बना दिया है? घरेलू मोर्चे पर देखें तो लगता है कि अर्थव्यवस्था का मंदी के धुंधलके की ओर झुकाव है। वैश्विक मोर्चे के नजरिए से देखें तो भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिकी व्यापार नीतियों, डॉलर की बढ़ती कीमतों और भू-राजनीतिक संबंधों में संदेह की असाधारण स्थितियों से जूझ रही है।

इन परिस्थितियों को देखते हुए यह काफी हद तक कहा जा सकता है कि बजट का डिजाइन करना एक चुनौतीपूर्ण काम था। वित्त मंत्री ने मैक्रो-इकॉनामिक स्थिरता बनाए रखने, निवेश को समर्थन देने व उपभोग को बढ़ावा देने का तरीका खोजने के तीन लगभग असंभव काम करने की कोशिश की है।

इस वर्ष का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.8 प्रतिशत आंका गया है जो गत जुलाई के बजट में उल्लिखित से कम है तथा वित्त वर्ष 26 के लिए अभी भी 4.5 फीसदी से कम है। 2024-25 में जीडीपी अनुपात में 57.1 प्रश ऋ ण को घटाकर 2030 में लक्षित 50 प्रति सैकड़ा तक कम करके 2026 में 1फीसदी की स्पष्ट कटौती के कारण धीरे-धीरे भरोसा बढ़ा है। सकल उधार 14.83 लाख करोड़ रुपये पर सीमित है जो पिछले साल की तुलना में सिर्फ 5.6 फीसदी अधिक है। नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 4 प्रतिशत के डिफ्लेटर के साथ 10.1फीसदी पर आंकी गई है जो राजस्व और व्यय अनुमानों के भरोसे को बढ़ाती है एवं रिजर्व बैंक को भार उठाने में संतुलन बनाने का सूक्ष्म संदेश देती है।

वित्त वर्ष 2019 में सार्वजनिक निवेश जीडीपी के डेढ़ प्रतिशत की तुलना में बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 3.2 फीसदी हो गया। पिछले चार वर्षों में यह दोगुना हो गया है। अगले साल का आवंटन 11.2 लाख करोड़ रुपये है जो पिछले साल के संशोधित अनुमान से 10.9 फीसदी ज्यादा है। बुनियादी ढांचा बनाने में निजी क्षेत्र की भागीदारी की सुविधा पूंजीगत निवेश में वृद्धि करेगी। सभी संबंधित मंत्रालयों को परियोजनाओं के बारे में तीन साल की पाइप लाइन तैयार करने का आदेश दिया जा रहा है।
सकल घरेलू उत्पाद के 0.3 प्रतिशत की कर कटौती के जरिए खपत को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है। आयकर में एक बार में ही एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कटौती ने मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले 2 करोड़ से अधिक (तत्काल लाभार्थियों) करदाताओं के चेहरों पर रौनक ला दी है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि कर कटौती का 80 फीसदी उपभोग के लिए और 20 प्रतिशत बचत के लिए उपयोग किया जाता है। खपत में यह वृद्धि उन आलोचकों को जवाब देगी जिन्होंने नोट किया है कि पिछले वर्ष खपत में गिरावट आई थी।

बजट प्रस्तावों को तीन फ्रेमों- लघु, मध्यम और दीर्घकालिक में बांटा जा सकता है। अल्पावधि में यह जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा देता है, मध्यम अवधि में उच्च जीडीपी विकास की स्थिरता को बढ़ाने का प्रयास करता है और लंबी अवधि में यह फसल समृद्धि की सुविधा प्रदान करता है। इसमें अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों - कृषि, विनिर्माण और सेवाओं को शामिल किया गया है। यह ग्रामीण भारत तथा शहरी लोगों के कल्याण को समान रूप से बढ़ावा देता है और इन अर्थों में सर्व समावेशी है।
छह क्षेत्रों- बिजली, खनन, जल सहित शहरी विकास, वित्तीय क्षेत्र, व्यापार करने तथा रहने में आसानी व कराधान के लिए परिवर्तनकारी सकारात्मक सुधारों का प्रस्ताव है। चिकित्सा पर्यटन, चमड़ा, कपड़ा उद्योग और समुद्री उत्पादों, पर्यटन सहित 50 चिन्हित लक्ष्यों पर फोकस प्रस्तावित है। ये सभी कृषि के साथ अन्य क्षेत्रों में रोजगार के लाखों अवसर पैदा करेंगे।

प्रस्तावों पर नजर डालें तो विकास, उत्पादकता और किसानों की आय पर बल देते हुए कृषि को उच्च प्राथमिकता देना उचित ही है। आत्मनिर्भरता के लिए तुअर, उड़द और मसूर के राष्ट्रीय मिशन, उच्च उपज तथा जलवायु प्रतिरोधक विभिन्न बीजों के विकास के लिए उच्च उपज वाले बीज और कपास उत्पादन में स्थिर उत्पादकता को कम करने के लिए इन क्षेत्रों को एक समन्वित दृष्टिकोण प्रदान करेंगे। धन धान्य कृषि योजना के कारण कम उत्पादकता वाले सौ जिलों में प्रस्तावित समेकित कृषि विकास से 1.7 करोड़ किसान लाभान्वित होंगे।

राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई- माईक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राईज़ेस) के सूक्ष्म उद्यमियों के लिए बढ़े हुए क्रेडिट गारंटी कवर, चुनिंदा 27 क्षेत्रों में स्टार्ट-अप को 1 प्रतिशत गारंटी शुल्क पर ऋ ण, 20 करोड़ रुपये तक के सावधि ऋण, पांच लाख तक के अनुकूलित क्रेडिट कार्ड आदि से अत्यधिक लाभ होगा। एमएसएमई को क्लीन टेक मैन्युफैक्चरिंग में भी मदद मिलेगी। इन्हें खिलौना निर्माण, जूते निर्माण आदि के लिए केंद्रों द्वारा पूरक बनाया जाएगा। राष्ट्रीय निर्यात मिशन निर्यात, विशेष रूप से एसएमई और एमएसएमई को बढ़ाएगा जो सबसे बड़ा रोजगार निर्माता है।

टियर-टू और टियर-थ्री शहरों में वैश्विक क्षमता केंद्र (ग्लोबल कैपिबिलटी सेंटर) स्थापित करने को प्रोत्साहन इन शहरों को विकसित करेगा। इसके साथ ही नवोदित पेशेवरों को घर के पास रोजगार के अवसर तथा प्रासंगिक कौशल प्रदान करेगा। इस तरह मेट्रो शहरों पर दबाव कम होगा और विदेशों से निवेश को बढ़ावा मिलेगा। बीमा में 100 फीसदी विदेशों से सीधे पूंजी निवेश (एफडीआई) सहित कई उपायों की परिकल्पना की गई है ताकि एफडीआई की बड़ी मात्रा को आकर्षित किया जा सके।

स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास को भी स्पष्ट रूप से उल्लिखित कार्य योजनाओं के साथ पर्याप्त संसाधन आवंटित किए गए हैं। वित्त वर्ष 26 में 200 कैंसर केन्द्र स्थापित करने की घोषणा के साथ ही तीन साल में सभी जिलों में कैंसर केंद्र बनाने का संकल्प किया गया है। अस्पतालों एवं उनकी सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। मध्यवर्ती वस्तुओं पर सीमा शुल्क को कम करके कई दवाओं की लागत को कम किया जा रहा है। गिग वर्कर्स (गिग अर्थव्यवस्था एक मुक्त बाज़ार प्रणाली है जिसमें अस्थायी अनुबंध होता है और संगठन अल्पकालिक जुड़ाव के लिये स्वतंत्र श्रमिकों के साथ अनुबंध करते हैं। भारत के गिग वर्क फोर्स में सॉफ्टवेयर, साझा सेवाओं और पेशेवर सेवाओं जैसे उद्योगों में 15 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं) को हेल्थ कवर दिया जाएगा। सभी स्कूलों में ब्रॉडबैंड कनेक्शन स्थापित किए जाएंगे एवं बेहतर शिक्षा देने के लिए भारत भाषा योजना के तहत क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराएगी। मेडिकल कॉलेजों और आईआईटी में सीटों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि की जा रही है। वित्त वर्ष 26 में अतिरिक्त 40 हजार किफायती घर पूरे किए जाएंगे।

जहाज निर्माण एवं 100 ग्रीन फील्ड हवाई अड्डों के लिए सहायता, उड़ान योजना के तहत 120 नए गंतव्यों को जोड़ना, परमाणु ऊर्जा के लिए संसाधन और सुविधा आदि सभी का उपयोग भविष्य के बुनियादी ढांचे के निर्माण होगा। भारत को दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए नवाचार, डिजिटल परिवर्तन, एआई विकास और डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पर्याप्त धन आवंटित किया गया है। भू-स्थानिक मिशन से भूमि अभिलेखों व शहरी नियोजन के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी।
रेगुलेटरी कंोलेस्ट्रॉल की लंबी प्रक्रिया को अनुबंधित करने के लिए समिति की स्थापना (एक शोध के अनुसार, व्यवसाय शुरु करने लिए समग्र रूप से 1536 कानूनों, 69,233 अनुपालनों और 6,618 फाइलिंग के जंजाल से गुजरना होता है जिसके बाद मंजूरी मिलती है। इस पूरी प्रक्रिया में बहुत समय लगता है।) एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आसान प्रमाणन और लाइसेंसिंग, 100 से अधिक कानूनी प्रावधानों के डिक्रिमिनलाइजेशन, कराधान के सरलीकरण, जन विश्वास 2.0 और आवधिक अद्यतन आदि सहित केवाईसी के लिए एकल पोर्टल रहेगा। यह आसानी से व्यापार करने और निवास तथा भरोसे को जोड़ता है।

बजट में कमियां और खामियां हैं। कुछ राज्यों की इच्छाएं अधूरी रह गई हैं लेकिन साझेदारी से दोहरे इंजन का विकास हो सकता है। जब विकास में गिरावट शुरू होती है तब अर्थशास्त्र राजकोषीय समेकन के बजाय अधिक खर्च के प्रति चक्रीय दृष्टिकोण को निर्धारित करता है। हालांकि वैश्विक अनिश्चितताएं अज्ञात परिस्थितियों से लड़ने के लिए कुछ ताकत आरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। फिर भी दिए गए संसाधनों के भीतर, संतुलन और अनुकूलन के लिए बजट में एक गंभीर प्रयास किया गया है।

(लेखक सेबी और एलआईसी के पूर्व अध्यक्ष हैं। सिंडिकेट: द बिलियन प्रेस)


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