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गाजा में बीमार भूखे फिलिस्तीनियों की हत्याएं सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी

दक्षिणी शहर राफा में गवाहों ने कहा कि इजरायली सैनिकों ने गोलीबारी की, क्योंकि भीड़ जीएचएफ द्वारा संचालित एक अन्य खाद्य वितरण स्थल तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी

गाजा में बीमार भूखे फिलिस्तीनियों की हत्याएं सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी
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- असद मिर्जा

दक्षिणी शहर राफा में गवाहों ने कहा कि इजरायली सैनिकों ने गोलीबारी की, क्योंकि भीड़ जीएचएफ द्वारा संचालित एक अन्य खाद्य वितरण स्थल तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी। दो गवाहों ने कहा कि वितरण स्थल से कई सौ मीटर दूर शाकौश क्षेत्र में हजारों फिलिस्तीनियों के इकठ्ठा होने पर इजरायली सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी।

इजरायल-ईरान मिसाइल युद्ध ने जहां एक ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, वहीं गाजा में निर्दोष और निहत्थे फिलिस्तीनियों की इजरायल द्वारा हत्या को लगभग अनदेखा किया गया। कथित तौर पर, अमेरिकी राहत संगठन द्वारा चलाये जा रहे सहायता केंद्रों या खाद्य केंद्रों के पास 450 फिलिस्तीनियों की हत्या की खबर आयी है। लेकिन तथाकथित इस्लामी देश और यहां तक कि भारत, जिसने हमेशा फिलिस्तीनी मुद्दों की वकालत की है, चुप है। सवाल यह है कि हम कब तक इजरायली सेना द्वारा भूखे फिलिस्तीनियों की इन क्रूर और अमानवीय हत्याओं को जारी रहने देंगे। पिछले 14 दिनों से ऐसा लग रहा है कि दुनिया गाजा को भूल गयी है। इन 14 दिनों के दौरान इजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) द्वारा निहत्थे फिलिस्तीनियों को गोली मारे जाने की कई रिपोर्टें सामने आयी हैं।

17 जून को, दक्षिणी गाजा में इजरायली सेना द्वारा अमेरिकी-इजरायली सहायता के वितरण के दौरान एक ही दिन में 70 फिलिस्तीनी मारे गये - विशेष रूप से खान यूनिस और राफा में।

डेली टाइम्स ऑफ इजरायल ने 25 जून को रिपोर्ट की कि गाजा में, इजरायली बलों ने (24 जून को 71 फिलिस्तीनियों को मार डाला, जिनमें कम से कम 50 लोग ऐसे थे जो सहायता प्राप्त करने की प्रतीक्षा कर रहे थे। मृतकों में कम से कम 27 लोग शामिल हैं जो मध्य गाजा में भोजन की प्रतीक्षा कर रहे नागरिकों पर इजरायली हमले में मारे गये, एक ऐसा हमला जिसमें दर्जनों लोग घायल भी हुए और एक राहत स्थल को एक फिलिस्तीनी अधिकारी ने 'मौत का खुला मैदान' कहा।

कथित मौतों पर प्रतिक्रिया देते हुए, इजरायली रक्षा सेना (आईडीएफ)ने बाद में कहा कि मध्य गाजा में नेत्ज़ारिम गलियारे में उसके सैनिकों के 'आसन्न' क्षेत्र में रात भर एक भीड़ की पहचान की गयी थी, जहां अमेरिका और इज़राइल समर्थित गाजा मानवतावादी फाउंडेशन (जीएचएफ) सहायता समूह को भोजन वितरित करने के लिए जाना जाता है।

इस महीने की शुरुआत में, आईडीएफ ने फिलिस्तीनियों को स्थानीय समयानुसार शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे के बीच गाजा मानवतावादी फाउंडेशन साइटों की ओर जाने वाले मार्गों पर न जाने की चेतावनी दी थी, उन सड़कों को बंद सैन्य क्षेत्र बताया था। हालांकि, जीएचएफ ने विरोधाभासी रूप से संकेत दिया है कि यह उन घंटों के दौरान खुला हो सकता है।

मध्य गाजा में, तीन गवाहों ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि सेना ने तब गोलीबारी की जब लोग वादी गाजा के दक्षिण में सहायता ट्रकों की ओर पूर्व की ओर बढ़ रहे थे। 'यह एक नरसंहार था,' अहमद हलावा ने कहा। उन्होंने कहा कि टैंकों और ड्रोन ने लोगों पर गोलीबारी की, 'जब हम भाग रहे थे। कई लोग या तो शहीद हो गये या घायल हो गये।'

एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी, होसम अबूशाहदा ने कहा कि ड्रोन क्षेत्र के ऊपर उड़ रहे थे, भीड़ पर नज़र रख रहे थे, फिर जब लोग पूर्व की ओर बढ़ रहे थे, तो टैंकों और ड्रोन से गोलीबारी हुई। उन्होंने लोगों द्वारा भागने की कोशिश के दौरान एक 'अराजक और खूनी' दृश्य का वर्णन किया।

दक्षिणी शहर राफा में गवाहों ने कहा कि इजरायली सैनिकों ने गोलीबारी की, क्योंकि भीड़ जीएचएफ द्वारा संचालित एक अन्य खाद्य वितरण स्थल तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी। दो गवाहों ने कहा कि वितरण स्थल से कई सौ मीटर दूर शाकौश क्षेत्र में हजारों फिलिस्तीनियों के इक_ा होने पर इजरायली सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी।

हमास स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार, मई के अंत से सहायता मांगते समय इजरायली गोलीबारी में कम से कम 450 लोग मारे गये और लगभग 3,500 घायल हुए। बचाव कर्मियों के अनुसार, कई घटनाएं जीएचएफ द्वारा संचालित स्थलों के पास हुईं।

सहायता वितरण में हमास को रोकने के लिए स्थापित अमेरिका और इजरायल समर्थित संगठन जीएचएफ ने मंगलवार को इजरायली सेना से शिकायत की कि वादी गाजा साइट की ओर जा रहे 'हमारे काफिलों पर इजरायली सैनिकों द्वारा संभावित उत्पीड़न' किया जा रहा है।

इजरायल ने कहा कि 79 मानवीय सहायता ट्रक सोमवार को केरेमशालोम और ज़िकिम क्रॉसिंग के माध्यम से गाजा पट्टी में प्रवेश कर गये, उसने वितरण स्थलों के पास संदिग्ध लोगों पर चेतावनी शॉट फायर करने की बात स्वीकार की है, लेकिन नागरिकों को निशाना बनाने या युद्ध के हथियार के रूप में भुखमरी का उपयोग करने से इनकार किया है, और हमास पर सहायता वितरण को हाईजैक करने और नागरिकों के बीच घुसने का आरोप लगाया है।

जेनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रवक्ता थामीनअल-खेतन ने कहा, 'इजरायल ने मानवीय सहायता तंत्र का सैन्यीकरण कर दिया है।'

यह पूछे जाने पर कि क्या इजरायल खाद्य वितरण को हथियार बनाने का दोषी है, उन्होंने कहा, 'कानूनी निर्धारण न्यायालय द्वारा किया जाना चाहिए। लेकिन, नागरिकों के लिए खाद्य पदार्थों का हथियारीकरण, जीवन-निर्वाह सेवाओं तक उनकी पहुंच को प्रतिबंधित करने या रोकने के अलावा, एक युद्ध अपराध है और, कुछ परिस्थितियों में, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अन्य अपराधों के तत्व भी बन सकते हैं।'

फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के प्रमुख ने भी जीएचएफ प्रणाली पर निशाना साधा। यूएनआरडब्ल्यूए प्रमुख फिलिप लाज़ारिनी ने बर्लिन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'नवनिर्मित तथाकथित सहायता तंत्र एक घृणित चीज़ है, जो हताश लोगों को अपमानित करती है। यह एक मौत का जाल है जो बचाने से ज़्यादा लोगों की जान ले लेता है।'

'यूएनआरडब्ल्यूए सहित मानवीय समुदाय के पास विशेषज्ञता है और उन्हें अपना काम करने और सम्मान और गरिमा के साथ सहायता प्रदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए,' लाज़ारिनी ने कहा। 'गाजा पट्टी में भूखमरी की चुनौतियों का समाधान करने के लिए कोई अन्य विकल्प नहीं है।'

इज़राइल ने यूएनआरडब्ल्यूए पर हमास के गुर्गों को प्रश्रय प्रदान करने का आरोप लगाया है और इस वर्ष की शुरुआत में एजेंसी को इज़रायली धरती पर काम करने या अधिकारियों से संपर्क करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख सहायता समूहों ने जीएचएफ के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया है क्योंकि उन्हें लगता है कि इसे इज़रायली सैन्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया था। मार्च की शुरुआत में हमास के साथ पिछले युद्धविराम-बंधक समझौते के टूटने के बाद इज़रायल द्वारा पट्टी पर लगाये गये लगभग तीन महीने के नाकेबंदी के बाद जीएचएफ ने गाजा में 19 मई से काम करना शुरू किया है।

यह आश्चर्य की बात है कि तथाकथित इस्लामी देशों में से किसी ने न तो हत्याओं की गंभीर निंदा की है और न ही सहायता योजना ही बनायी है। इस्लामी देशों का सबसे बड़ा संगठन आईओसी अपने पड़ोस में ही मारे जा रहे मुसलमानों से ज़्यादा भारतीय मुसलमानों की दुर्दशा के बारे में चिंतित है। वेबसाइट ट्रुथआऊटडॉटऑर्ग में अपने लेख में दलिया अबू रमज़ान ने सही कहा है कि गाजा में मानवीय संकट सिर्फ एक मानवीय त्रासदी नहीं है,यह इस भूमि पर हर जीवित प्राणी के लिए एक व्यापक आपदा है। युद्ध की शुरुआत से ही, जानवरों को भी नहीं बख्शा गया है - घोड़ों और गधों को जानबूझ कर मार दिया जाता है और नष्ट कर दिया जाता है ताकि वे हमें चलने और जीवित रहने में मदद न कर सकें। जानवरों को जानबूझ कर निशाना बनाना आबादी को स्थिर करने और हमारी पीड़ा को बढ़ाने की एक व्यवस्थित रणनीति का हिस्सा है। ये जानवर, जो कभी हमारे जीवन का अभिन्न अंग और समर्थन का एक महत्वपूर्ण स्रोत थे, अब भूख और जानबूझ कर हत्या के कारण मौत के कगार पर हैं, दलिया ने लिखा।


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