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ऑपरेशन सिंदूर मनोरंजन के मंच पर

कौन बनेगा करोड़पति यानी केबीसी के 17 वें सीजन का आगाज़ हो चुका है। 15 अगस्त को आने वाले केबीसी के एपिसोड में भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और ले. कमांडर प्रेरणा देवस्थली को बतौर खास मेहमान बुलाया गया है

ऑपरेशन सिंदूर मनोरंजन के मंच पर
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कौन बनेगा करोड़पति यानी केबीसी के 17 वें सीजन का आगाज़ हो चुका है। 15 अगस्त को आने वाले केबीसी के एपिसोड में भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और ले. कमांडर प्रेरणा देवस्थली को बतौर खास मेहमान बुलाया गया है। थल सेना, वायु सेना और नौसेना की तीनों अधिकारियों को हाल ही में सामने आए एक प्रोमो में शो के मेज़बान अमिताभ बच्चन के साथ देखा गया, जहां वे ऑपरेशन सिंदूर जैसे अहम सैन्य मिशन के अनुभव साझा कर रही हैं। अपनी सत्ता बचाने के लिए भारत की कोई निर्वाचित सरकार कितने निम्न स्तर पर भी गिर सकती है, यह उसकी ताजा मिसाल है।

मोदी सरकार में पहली बार ऐसा नहीं हुआ है। पहले भी राजनैतिक शिष्टाचार, कूटनीति, सौहार्द्र आदि को धता बताकर श्रीमान मोदी ने कई ऐसे फैसले लिए या कार्य किए जिन पर विवाद उठे हैं। संसद में किसी महिला सांसद के लिए शूर्पणखा का संबोधन, पूर्व प्रधानमंत्री के लिए रेनकोट पहनकर नहाने जैसी मिसालें, विदेश जाकर यह कहना कि न जाने कौन से जन्म का पाप है कि भारत में पैदा होना पड़ा, विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से जबरदस्ती गले मिलना, पीठ थपथपाना, हाथ पकड़ना, बराक ओबामा को श्री ओबामा न कहकर सीधे बराक कहना, डोनाल्ड ट्रंप के लिए अमेरिका जाकर प्रचार कर लेना, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बैठकर जबरन की भावुकता दिखाना या अपनी गरीबी का रोना रोना, ऐसे न जाने कितने कारनामे 11 सालों में देश ने देखे हैं। ऐसी हर (दु:)घटना के बाद लगता कि अब इससे नीचे तो सरकार नहीं गिरेगी, लेकिन नरेन्द्र मोदी हैरान करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं।

22 अप्रैल को हुआ पहलगाम हमला इस देश को मिला ऐसा जख्म है जिसके घाव भरने की जगह बार-बार उसे कुरेद कर नमक छिड़का जा रहा है। 26 नवंबर को मुंबई या 13 दिसंबर को संसद पर किए गए आतंकी हमलों समेत कई आतंकवादी घटनाएं देश में हुई हैं। जिन पर सरकारों को घेरा गया और सवाल भी उठे। कई हमलों में दोषियों को मारा गया, फांसी की सजा मिली या उन पर शिकंजा कसा गया। लेकिन कभी इस तरह पीड़ितों को मोहरा बनाकर राजनीति का शतरंज नहीं खेला गया। 6 और 7 मई की आधी रात को जब ऑपरेशन सिंदूर शुरु हुआ, और चंद घंटों में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने की खबर आई तो इस पर पूरे देश को संतोष हुआ कि एक बड़ी जवाबी कार्रवाई की गई है।

लेकिन फिर इसमें न जाने कहां से डोनाल्ड ट्रंप आ गए, जिन्होंने दावा किया कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम हो गया है, क्योंकि मैंने दोनों देशों के नेताओं से कहा है कि हमें व्यापार करना है, इसलिए युद्ध बंद करो। अब तक शायद 35-36 बार ट्रंप यही दावा दोहरा चुके हैं और मई से लेकर अगस्त आधा निकलने तक नरेन्द्र मोदी ने ट्रंप का नाम लेकर एक बार भी यह नहीं कहा कि यह दावा बेबुनियाद है और ट्रंप झूठ बोल रहे हैं।

विपक्ष ने नरेन्द्र मोदी से संसद में भी यही मांग की कि आप एक बार ऐसा कह दीजिए, लेकिन मोदीजी मुंह पर ऊंगली रखकर बैठे हुए हैं। उन्हें ऑपरेशन सिंदूर पर जब भी बात करनी होती है, वे वीर रस की धाराएं बरसाने लगते हैं। मेरी रगों में गर्म सिंदूर है, लहू नहीं है। धरती के आखिरी कोने तक जाकर आतंकियों को पकड़ेंगे। दुनिया ने नए भारत का चेहरा देखा है। और न जाने कितने किस्म के घटिया फिल्मी संवाद जैसी बातें प्रधानमंत्री के भाषणों का हिस्सा बनीं। मगर वे चारों आतंकी कहां हैं, ऑपरेशन महादेव में वही मारे गए हैं या कोई और, आतंकी पहलगाम तक पहुंचे कैसे, पर्यटकों की सुरक्षा के लिए वहां सुरक्षा बल क्यों नहीं था, ऐसे कई सवाल अब तक अनसुलझे हैं।

इस बीच ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी प्रेस को देने के लिए जिन कर्नल सोफिया कु रैशी को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उनके बारे में मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह ने कथित तौर पर बेहूदा टिप्पणी की थी कि, जिन आतंकवादियों ने हमारी माता-बहनों को सिंदूर देख कर मारा, उनके कपड़े उतारने मोदी जी ने उन्हीं की बहन को भेज दिया। इस बयान पर पूरे देश में खूब बवाल हुआ था। अदालत ने स्वत: संज्ञान लेकर श्री शाह पर कार्रवाई के आदेश दिए थे। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। अभी 18 अगस्त को इस मामले पर अगली सुनवाई होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह के सार्वजनिक रूप से माफी न मांगने पर कड़ी टिप्पणी की थी। अब अदालत से श्री शाह के लिए क्या फैसला आता है, यह तो बाद में ही पता चलेगा। लेकिन इस बीच नरेन्द्र मोदी, अमित शाह या जे पी नड्डा चाहते तो कर्नल सोफिया कुरैशी के सम्मान की खातिर ही विजय शाह पर कोई सख्त फैसला ले सकते थे। लेकिन यहां भी नरेन्द्र मोदी ने पहले सत्ता का फायदा देखा।

चुनावी सभाओं से लेकर संसद तक और सड़कों पर लगे बड़े-बड़े होर्डिंग्स में ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर अपना नाम चमकाने की भरपूर कोशिश नरेन्द्र मोदी ने की। शायद इससे भी भाजपा को अपेक्षित लाभ नहीं मिला है तो अब कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और ले. कमांडर प्रेरणा देवस्थली को कौन बनेगा करोड़पति का हिस्सा बनाया गया है। जबकि यह पूर्णत: एक व्यावसायिक और लाभकारी उपक्रम है। सरकार का दावा है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, फिर किस तरह इससे जुड़े लोगों को किसी मनोरंजक कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। देश के इतिहास में अब तक किसी सैन्य मिशन के जारी रहते हुए इस तरह उसका व्यावसायीकरण नहीं किया गया था। लेकिन मोदी सरकार अपने प्रचार के लिए ऑपरेशन सिंदूर को मनोरंजन के लिए इस्तेमाल कर रही है। इसका पुरजोर विरोध होना चाहिए।


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