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नया टैक्स बिल 2025 : पारदर्शिता या डिजिटल निगरानी?

भारत सरकार ने नया टैक्स बिल 2025 संसद में पेश किया है, जिसका उद्देश्य मौजूदा कर प्रणाली को सरल बनाना और कर प्रशासन को तकनीकी रूप से अधिक उन्नत बनाना है

नया टैक्स बिल 2025 : पारदर्शिता या डिजिटल निगरानी?
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- सचिन श्रीवास्तव

नया टैक्स बिल 2025 कर प्रशासन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने का प्रयास करता है। यह डिजिटल कराधान, क्रिप्टो करेंसी और अनिवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों को स्पष्ट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, इसमें निजता की सुरक्षा, डिजिटल निगरानी के दुरुपयोग, छोटे व्यवसायों पर प्रभाव और विदेशी निवेश पर संभावित असर जैसी चुनौतियां भी हैं।

भारत सरकार ने नया टैक्स बिल 2025 संसद में पेश किया है, जिसका उद्देश्य मौजूदा कर प्रणाली को सरल बनाना और कर प्रशासन को तकनीकी रूप से अधिक उन्नत बनाना है। यह विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा और 2026 से प्रभावी होने की संभावना है। यह न केवल करदाताओं के लिए बल्कि भारत की आर्थिक और डिजिटल संरचना के लिए भी महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।

नए विधेयक के तहत कर अधिकारियों को करदाताओं के डिजिटल डेटा, सोशल मीडिया गतिविधियों, ऑनलाइन लेन-देन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुंचने की अनुमति दी गई है। सरकार का तर्क है कि इससे कर चोरी पर नियंत्रण आसान होगा, लेकिन इससे निजता के अधिकारों का उल्लंघन भी हो सकता है। यह सरकार और नागरिकों के बीच भरोसे को भी प्रभावित कर सकता है।

विधेयक में कर से जुड़े शब्दों और प्रावधानों को सरल भाषा में लिखा गया है, जिससे आम नागरिक इसे आसानी से समझ सकें। उदाहरण के लिए, 'असेसमेंट ईयरÓ को 'टैक्स ईयर' से बदला गया है। इससे कर अनुपालन दर बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।

पहली बार क्रिप्टो करेंसी को कर कानून के दायरे में लाया गया है। अब इसे 'अघोषित आय' की श्रेणी में रखा गया है और कर अधिकारियों को डिजिटल संपत्तियों की जब्ती का अधिकार दिया गया है। इससे क्रिप्टो निवेशकों में चिंता बढ़ सकती है और निवेश प्रवृत्तियों में बदलाव आ सकता है।
यदि कोई एनआरआई भारत में रुपए 15 लाख या उससे अधिक की आय अर्जित करता है, तो उसे भारतीय करदाता माना जाएगा। इससे भारत में निवेश करने वाले अनिवासी भारतीयों पर प्रभाव पड़ सकता है।

टैक्स प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की कोशिश निवेशकों के लिए भारत को अधिक आकर्षक बना सकता है। हालांकि, डिजिटल निगरानी का बढ़ा हुआ दायरा विदेशी कंपनियों के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

सरल भाषा और पारदर्शिता कर अनुपालन को बढ़ाने में मदद कर सकती है। करदाता अब जटिल कानूनी प्रावधानों से बच सकेंगे, जिससे सरकार को अधिक राजस्व मिल सकता है।

सरकार का बढ़ता डिजिटल हस्तक्षेप नागरिकों की निजता पर प्रश्नचिह्न लगा सकता है। यदि डेटा सुरक्षा कानून मजबूत नहीं किए गए, तो यह विधेयक सरकार के लिए आलोचना का कारण बन सकता है।

क्रिप्टो करेंसी पर सख्त नियमों से इस क्षेत्र में निवेश की गति धीमी हो सकती है। निवेशक अधिक लचीले कर नियमों वाले देशों की ओर रुख कर सकते हैं।
सरकार कर अधिकारियों को डिजिटल निगरानी का अत्यधिक अधिकार दे रही है, जिससे नागरिकों की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। यह निगरानी राज्य के रूप में सरकार की छवि बना सकता है।

नए डिजिटल अनुपालन मानदंडों को पूरा करना छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए कठिन हो सकता है। इससे उनका प्रशासनिक खर्च बढ़ सकता है।
विधेयक में कर दरों के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। यदि उच्च कर दरें लागू की जाती हैं, तो इससे मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है।

भारत में 15 लाख से अधिक कमाने वाले एनआरआईएस को निवासी करार देने से कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। इससे विदेशी निवेश और प्रवासी भारतीयों के भारत में व्यापार करने की इच्छा प्रभावित हो सकती है।

सरकार का यह कदम कर चोरी को रोकने और कर संग्रह बढ़ाने में मदद कर सकता है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया जाए, तो भारत की कर व्यवस्था अधिक कुशल और पारदर्शी बन सकती है।

इस विधेयक में निगरानी संबंधी प्रावधानों के कारण नागरिकों की निजता की सुरक्षा के लिए मजबूत डेटा सुरक्षा कानून बनाना आवश्यक होगा।
भारत में क्रिप्टो करेंसी के लिए स्पष्ट कर नियम आवश्यक होंगे, ताकि निवेशकों को अनिश्चितता से बचाया जा सके और सरकार को राजस्व का लाभ मिल सके।
भले ही यह विधेयक टैक्स प्रणाली को सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसे लगातार अद्यतन करने की जरूरत होगी ताकि यह बदलती अर्थव्यवस्था और तकनीकी परिदृश्य के अनुकूल बना रहे।

नया टैक्स बिल 2025 कर प्रशासन को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने का प्रयास करता है। यह डिजिटल कराधान, क्रिप्टो करेंसी और अनिवासी भारतीयों से जुड़े मुद्दों को स्पष्ट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि, इसमें निजता की सुरक्षा, डिजिटल निगरानी के दुरुपयोग, छोटे व्यवसायों पर प्रभाव और विदेशी निवेश पर संभावित असर जैसी चुनौतियां भी हैं। यदि सरकार इन खामियों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाती है, तो यह विधेयक भारत की कर प्रणाली में ऐतिहासिक सुधार ला सकता है।


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