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महाकुंभ में मोनालिसा

विश्वविख्यात चित्रकार लियोनार्दो द विंसी ने 16वीं सदी में एक तस्वीर बनाई थी, जो मोनालिसा के नाम से पूरी दुनिया में चर्चित हो गई

महाकुंभ में मोनालिसा
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- सर्वमित्रा सुरजन

महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए करोड़ों-अरबों रूपयों का खर्च, वीआईपी सुविधा का ख्याल, विदेशी आंगतुकों को देखकर उपजा कौतुहल, नामी-गिरामी हस्तियों का महाकुंभ में आना, ऐसी खबरों को देखकर लगता है कि धर्म और आध्यात्म पर आखिर में सांसारिकता ही भारी पड़ रही है।

विश्वविख्यात चित्रकार लियोनार्दो द विंसी ने 16वीं सदी में एक तस्वीर बनाई थी, जो मोनालिसा के नाम से पूरी दुनिया में चर्चित हो गई। तस्वीर में चित्रित नारी के चेहरे की रहस्यमयी मुस्कान आज भी लोगों को सम्मोहित करती है। मोनालिसा की पेंटिंग पर जितने शोध हुए, शायद ही किसी अन्य पेंटिंग पर हुए होंगे। इस पेंटिंग में जो नारी दिख रही है, क्या उसका असली नाम मोनालिसा ही है या कुछ और है। क्या वो फ्रांस के किसी व्यापारी की पत्नी है या इटली के किसी प्रांत से आई है, क्या लियोनार्दो ने खुद को ही नारी रूप में चित्रित किया है, ऐसे कई-कई सवाल इस पेंटिंग से जुड़े हैं और किसी का भी सटीक जवाब नहीं मिला। 16वीं सदी से चले आ रहे सवाल 21वीं सदी में भी कायम हैं और अब 21वीं सदी में भारत में एक नयी मोनालिसा चर्चा में आ गई हैं, जिससे कुछ और नए सवाल खड़े हो गए हैं।

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में धर्म-आध्यात्म से ज्यादा चर्चा चिमटे वाले बाबा, जटाओं वाली सुंदरी साध्वी, आईआईटी बाबा और माला बेचने वाली लड़की मोनालिसा की हो रही है। कत्थई चमकीली आंखों वाली मोनालिसा अपने परिवार के साथ मेले में माला बेचने आई थी, ताकि कुछ अतिरिक्त कमाई हो सके। लेकिन संगम में डुबकी लगाकर इहलोक-परलोक साधने की तमन्ना लिए आए बहुत से श्रद्धालुओं का ध्यान धर्म पर कम और मोनालिसा की आंखों पर अधिक रहा। रही-सही कसर सोशल मीडिया पर अतिसक्रिय जमात ने पूरी कर दी। मोनालिसा के नाम से सोशल मीडिया पर फेक एकाउंट बन गए और उनकी मर्जी लिए बगैर रील पर रील प्रसारित होने लगीं। सोशल मीडिया के जरिए मोनालिसा फिलहाल वायरल हो गई हैं, वायरल यानी मियादी बुखार, जो थोड़े वक्त बाद उतर ही जाएगा। मोनालिसा को इंटरनेट संसेशन इन दिनों कहा जा रहा है। संसेशन यानी सनसनी भी कुछ देर के बाद शांत हो ही जाएगी। वक्त के पन्नों को थोड़ा सा पलटेंगे तो ऐसे कई सनसनी मचाने वाले वीडियो याद आ जाएंगे, कभी व्हाय दिस कोलावेरी डी लोगों की जुबान पर चढ़ता है, कभी ये हमारी कार है, ये हम हैं और ये हमारी पार्टी हो रही है, की धूम मचती है, कभी प्रिया प्रकाश वारियर का वीडियो वायरल होता है, तो कभी यशराज मुखाटे का रसोड़े में कौन था, हिट हो जाता है। लोग भेड़ों में तब्दील हो रहे हैं, क्योंकि जमाना सोशल मीडिया की चाल पर चलने लगा है।

सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर यानी अपनी रील्स या वीडियो से समाज को प्रभावित करने वाले लोग, यूट्यूबर्स, या कलाकार अपनी मर्जी से वीडियो बनाएं, प्रसारित करें, समाज की आलोचना या प्रशंसा का पात्र बनें, यह उनका अधिकार है, लेकिन महाकुंभ में आई एक मासूम लड़की को जिस तरह सोशल मीडिया की गिरफ्त में इस समय जकड़ा गया है, वह वाकई चिंताजनक है। जानकारी के मुताबिक मोनालिसा का परिवार मध्यप्रदेश के महेश्वर इलाके का है और उनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर है। वर्ना महाकुंभ में रहकर मालाएं बेचने के लिए पूरे परिवार को नहीं आना पड़ता। मोनालिसा शायद शिक्षित भी नहीं है और उसकी उम्र 16 बरस के आसपास बताई जा रही है, अगर यह सही है तो मोनालिसा नाबालिग है। ऐसे में उसके वीडियो बनाना और उन्हें वायरल करना कानूनन सही नहीं है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग या महिला आयोग को इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर इस पर आपत्ति दर्ज करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसे किसी कदम की जानकारी सामने नहीं आई है। मोनालिसा के अब तक कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें बहुत से लोग उनसे बात करते हुए उसे रिकार्ड कर रहे हैं। कोई उनसे राजस्थान आने कह रहा है, कोई पूछ रहा है कि आप फिल्मों में काम करना चाहती हैं क्या, कोई उनसे अंग्रेजी आती है या नहीं, पढ़ी-लिखी हो या नहीं, ऐसे सवाल कर रहा है।

एक वीडियो में तो मोनालिसा एक ब्यूटी पार्लर में मेकअप कराती नजर आ रही हैं और उस पर भी लोग टिप्पणी कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि सादगी में ही सुंदरता है, कोई बता रहा है कि मेकओवर अच्छा हुआ है। एक वीडियो मोनालिसा, उनके बड़े भाई और किसी पार्लर चलाने वाली महिला का है, जो बता रही हैं कि उनका असली इंस्टाग्राम अकाउंट कौन सा है और लोग नकली अकाउंट को फॉलो न करें। इन तमाम वीडियो में मोनालिसा सहजता से बात करती और मुस्कुराती दिख रही हैं, यह बहुत स्वाभाविक भी है, क्योंकि चकाचौंध में निज अधिकारों की बात कई बार हाशिए पर चली जाती है। लेकिन एक वीडियो ऐसा भी सामने आया, जिसमें मोनालिसा के घर वालों को उन्हें शॉल से ढंक कर शिविर के भीतर भेजना पड़ा ताकि लोगों की नजरों और बातों से उन्हें बचा सकें। इस वीडियो में एक महिला मोनालिसा के पास आने की कोशिश करते लोगों को हटा रही है। बीच में खबर आई कि मोनालिसा को वापस उनके घर भेज दिया गया। हालांकि उनके दादा ने बताया कि अभी वो प्रयागराज में ही हैं। उनके दादा ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि इस अप्रत्याशित शोहरत के कारण उनका व्यापार ठप्प हो रहा है। कई लोगों से उधार लेकर इस परिवार ने सामान खरीदा था, ताकि महाकुंभ में बेच कर मुनाफा कमा सकें। मगर मोनालिसा का वायरल होना उन्हें दूसरे तरीके से भारी पड़ रहा है।

मोनालिसा और उनका परिवार उनके जीवन में आए इस बदलाव को किस तरह से स्वीकारता है, संभालता है, महाकुंभ खत्म होने के साथ ही मोनालिसा की चर्चा भी क्या खत्म हो जाएगी, क्या कोई निर्माता-निर्देशक मोनालिसा को फिल्मों में काम करने का प्रस्ताव देगा, क्या बिग बॉस निर्माता अपने अगले संस्करण के लिए मोनालिसा के नाम पर विचार कर रहे हैं, ऐसे कई सवालों के जवाब वक्त देगा। लेकिन इनके बीच धर्म और आध्यात्म के झंडाबरदारों को विचार करना चाहिए कि क्या मोनालिसा जैसे प्रसंग महाकुंभ के महात्म्य को कम नहीं करते हैं। महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए करोड़ों-अरबों रूपयों का खर्च, वीआईपी सुविधा का ख्याल, विदेशी आंगतुकों को देखकर उपजा कौतुहल, नामी-गिरामी हस्तियों का महाकुंभ में आना, ऐसी खबरों को देखकर लगता है कि धर्म और आध्यात्म पर आखिर में सांसारिकता ही भारी पड़ रही है।

भगवान की भक्ति में रमने वालों को इस बात से क्यों फर्क पड़ना चाहिए कि कुंभ के लिए स्टीव जॉब्स की पत्नी अमेरिका से आई हैं या गौतम अडानी अपनी पत्नी के साथ भोजन परोस रहे हैं। भगवान के दरबार में तो सब एक समान होते हैं, लेकिन प्रयागराज में ऐसा होता नहीं दिख रहा। प्रयागराज में शोहरत की छीना-झपटी चल रही है। 144 बरसों बाद ग्रहों-नक्षत्रों के अनूठे संयोग में हो रहे महाकुंभ का महत्व भौतिक चकाचौंध में गुम हो रहा है।


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