अव्यवस्था का मोदी मॉडल
देश में चारों तरफ अफरा-तफरी और घबराहट, सड़कों पर उतरे परेशान नागरिक, अपने सवालों के जवाब मांगते लोग ऐसा माहौल अक्सर किसी आपातकालीन अवसर पर बनता है
देश में चारों तरफ अफरा-तफरी और घबराहट, सड़कों पर उतरे परेशान नागरिक, अपने सवालों के जवाब मांगते लोग ऐसा माहौल अक्सर किसी आपातकालीन अवसर पर बनता है, लेकिन मोदी सरकार में ऐसे नजारे आम हो चुके हैं। 2014 में जब नरेन्द्र मोदी सत्ता संभालने आए तो गुजरात मॉडल का खूब प्रचार किया गया। मानो गुजरात भारत का हिस्सा नहीं, नरेन्द्र मोदी की सरपरस्ती में बना हुआ धरती का कोई स्वर्ग है। देश को वैसा ही स्वर्ग जैसा साफ, सुंदर, भ्रष्टाचार मुक्त, हर तरह से विकसित बनाने का दावा श्री मोदी ने किया था। मजे की बात ये है कि 2014 से लेकर 2025 बीतने को है और अब तक यही सपने देश को दिखाए जा रहे हैं। अभी शीतकालीन सत्र शुरु होने से पहले नरेन्द्र मोदी ने पत्रकारों के सामने शब्दों का यही खिलवाड़ किया था, एक राष्ट्रनीति, मजबूत प्रशासन, डिलीवरी और न जाने क्या-क्या। ऐसा लगता है मानो प्रधानमंत्री किसी स्वप्नलोक में ही विचरण करते रहते हैं, जो उन्हें जमीनी हकीकत पता ही नहीं चलता। अन्यथा पिछले पांच दिनों से देश भर के हवाई अड्डों पर अव्यवस्था का जो आलम है, कम से कम उस पर खेद तो प्रकट कर ही सकते थे। लेकिन अगर प्रधानमंत्री मोदी ने किसी बात पर अपनी गलती मान ली, तो फिर सूरज पश्चिम से निकलने लगेगा।
मोदी के पहले कार्यकाल से लेकर तीसरे कार्यकाल तक बार-बार जनता ने मनमाने फैसलों से उपजी अव्यवस्था को ही भुगता है। पहले कार्यकाल में 2016 में नोटबंदी का फैसला हो या दूसरे कार्यकाल में 2020 में लगा लॉकडाउन जनता में घबराहट का माहौल बना और इस तीसरे कार्यकाल में यही अफरा-तफरी एसआईआर को लेकर बिहार में बनी, अब देश के बाकी 12 राज्यों में लोग ऐसे ही परेशान हो रहे हैं। वहीं ट्रेनों के साथ-साथ फ्लाइट्स ऑपरेशन की गड़बड़ियों ने लाखों लोगों को मुश्किल में डाल दिया है। देश में सबसे ज्यादा चलने वाली इंडिगो की उड़ानें पिछले पांच दिनों से रद्द या देरी से चल रही हैं। इसकी वजह है नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) का एक नया नियम। फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन इस नियम में पायलट्स और क्रूमेंबर्स को पर्याप्त आराम देने जैसे प्रावधान हैं। लेकिन इस नियम को लागू करने से पहले पूरी तैयारी नहीं की गई, लिहाजा इंडिगो को कम से कम हजार फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ी। इसके कारण भारी अव्यवस्था फैली और पानी सिर के ऊपर से निकला तो शुक्रवार को नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू ने बैठक की और सारी व्यवस्थाएं ठीक करने का निर्देश दिया। इस बीच इंडिगो को नियमों में ढील दी गई ताकि वह उड़ान संचालन ठीक से बहाल करे। हालांकि इस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि जब नियम पायलट्स की थकान और उनके काम के घंटे निर्धारित करने के लिए था, तो क्या इसमें ढील देना सही है। इधर लगातार पांच दिन से उड़ानों के रद्द होने से अन्य एयरलाइन कंपनियों ने अपने टिकट दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी की तो उसमें भी शनिवार को जाकर नागरिक उड्डयन मंत्रालय हरकत में आया और घोषणा की कि वह अपने नियामकीय अधिकारों का प्रयोग करते हुए सभी प्रभावित रूट्स पर किराया नियंत्रण लागू कर रहा है।
शुक्रवार को इंडिगो का मामला संसद में भी उठा। इससे पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 'इंडिगो की विफलता इस सरकार के एकाधिकार मॉडल की कीमत है।'
देरी, कैंसिलेशन और लाचारी के रूप में एक बार फिर, इसकी कीमत आम भारतीयों को चुकानी पड़ रही है। भारत हर क्षेत्र में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का हकदार है, न कि मैच-फिक्सिंग वाले एकाधिकार का।'
यहां जिस मैच फिक्सिंग की बात राहुल गांधी ने की है, वह समझना कठिन नहीं है। जिस तरह देश की सारी संपत्ति और संसाधन दो-तीन लोगों के हाथों में ही केन्द्रित हो चुके हैं, वह एक खतरनाक स्थिति है। उद्योगों और उद्योगपतियों को बढ़ावा देना एक बात है, लेकिन वे अपनी शर्तों पर सरकार चलवाने लगे, यह स्थिति न देश के लिए न राजनैतिक दलों के लिए सही होगी। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी इस बारे में चेतावनी दी है कि उद्योगपति अगर सरकार से अधिक ताकतवर हो जाएं, तो फिर वही होगा जो आज हम भुगत रहे हैं।
इधर शनिवार को कांग्रेस ने इंडिगो संकट के लिए केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या नागरिक उड्डयन मंत्री के. राम मोहन नायडू इस वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदारी लेंगे और माफी मांगेंगे। कांग्रेस सांसद शशिकांत सेंथिल ने कहा कि जब आठ जनवरी, 2024 को उड़ान ड्यूटी समय सीमा नियम जारी कर दिए गए थे, तो यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया गया कि वर्तमान स्थिति पैदा ना हो।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पिछले 11 वर्षों में विमानन क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी और विविध बनाने की बजाय इसे एकाधिकार और 'डुओपॉली' में सिमटने क्यों दिया? डीजीसीए यह सुनिश्चित करने में क्यों विफल रहा कि इंडिगो जनवरी 2024 में जारी किए गए नियमों का पालन करे? क्या सरकार ने इंडिगो को कोई चेतावनी या पालन नोटिस दिया या विमानन कंपनी को नियमों से पूरी तरह बचाया गया?' उन्होंने दावा किया कि चुनावी बॉण्ड के खुलासे यह दिखाते हैं कि 'इंटरग्लोब समूह' (इंडिगो की प्रवर्तक कंपनी) और उसके प्रवर्तक द्वारा भारी राशि भाजपा को गई।
श्री सेंथिल ने सवाल किया कि क्या भाजपा और इंडिगो की यह वित्तीय नज़दीकी ही कारण है कि विमानन कंपनी को यात्रियों की सुरक्षा की कीमत पर भी असाधारण रियायतें दी गईं?
कांग्रेस के ये काफी गंभीर आरोप हैं और उम्मीद की जानी चाहिए कि इस पर देश को सही जवाब मिलेंगे। शनिवार को ही इंडिगो मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका भी दायर की गई और इसे संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन बताया गया है। अब अदालत इस पर सुनवाई करता है या नहीं यह भी देखने की बात है। लेकिन यह तथ्य है कि इन चार-पांच दिनों की अव्यवस्था ने वाकई कई लोगों को गंभीर संकट में डाला है, जिन्हें इंसाफ मिलना ही चाहिए।




