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धधक रहा है मणिपुर... बुझाए कौन?

मणिपुर में हिसा की मौजूदा घटना कोई नया नहीं है। पिछले डेढ़ साल (566 दिन) से यह प्रदेश हिंसा की लपटों में धधक रहा है

धधक रहा है मणिपुर... बुझाए कौन?
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- राधा रमण

मणिपुर में हिंसा से हरकत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह महाराष्ट्र का अपना चुनावी दौरा छोड़कर दिल्ली पहुंचे। केंद्र सरकार ने छह थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) लागूकर दिया है। इस बीच दोनों समुदाय के लोग सड़कों पर उतर गए हैं। भाजपा के 19 विधायकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्री को पत्र भेजकर राज्य की एन बीरेन सिंह सरकार को बदलने की मांग की है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने एन बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।

मणिपुर में हिसा की मौजूदा घटना कोई नया नहीं है। पिछले डेढ़ साल (566 दिन) से यह प्रदेश हिंसा की लपटों में धधक रहा है और केंद्र तथा राज्य की सरकार मौन ओढ़े हुए हैं। सरकारी आँकड़ों पर भरोसा करें तो छोटे से उस राज्य में हिंसा की घटनाओं में अब तक 220 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। कई महिलाओं की आबरू लूटी गई और हजारों करोड़ की संपत्ति आग के हवाले कर दी गई। बता देना जरूरी है कि मणिपुर में भाजपा की चुनी हुई सरकार है लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सरकार असहाय दिखाई देती है। आम लोगों की कौन कहे मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के सरकारी आवास और पैतृक घर पर दो बार हमला और आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं। आबादी के लिहाज से देखें तो मणिपुर में मैतेई, कुकी और नगा का वर्चस्व है। राज्य में सर्वाधिक आबादी मैतेई समुदाय की है। उनकी संख्या लगभग 65 फीसदी है, जबकि कुकी और नगा मिलाकर कुल आबादी का 35 फीसदी हैं। समुदायों के बीच टकराव मणिपुर के लिए नया नहीं है। 90 के दशक में मणिपुर में कुकी और नगा समुदाय के बीच संघर्ष हुआ था। तब सैकड़ों लोगों की जान गई थी। बड़ी मुश्किल से तब हिंसा की आग बुझाई जा सकी थी।

वर्तमान में मैतेई और कुकी के बीच संघर्ष छिड़ा है। इसका कारण मैतेई समुदाय की आरक्षण की मांग है। मैतेई काफी दिनों से इसकी मांग कर रहे हैं। चूंकि मणिपुर की पहाड़ियों पर बसने वाले कुकी और नगा समुदाय के लोग अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल हैं और उन्हें इसका लाभ भी मिलता रहा है लेकिन मैतेई इस लाभ से वंचित हैं। यही वजह है कि मैतेई समुदाय के लोगों ने आरक्षण की मांग को तूल दिया। जबकि कुकी और नगा समुदाय के लोगों का कहना है कि मैतेई समुदाय के लोगों की पहले से विकास योजनाओं में अधिक भागीदारी रही है और उन्हें इसका लाभ मिलता रहा है। इसलिए उनके लिए अलग से आरक्षण की मांग बेमानी है। अगर मैतेई समुदाय को आरक्षण का लाभ मिला तो वे राज्य के संसाधनों के साथ-साथ सरकारी नौकरियों पर भी काबिज हो जाएंगे। ऐसे में कुकी समुदाय के लोगों के समक्ष भुखमरी की स्थिति हो जाएगी। इस विवाद ने तूल उस समय पकड़ लिया जब मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिया कि वह मैतेई समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजे। इससे पहले कि राज्य सरकार केंद्र को मैतेई समुदाय को आरक्षण के दायरे में लाने का प्रस्ताव भेजती कुकी समुदाय के लोग सड़कों पर उतर गए। मैतेई समुदाय के लोगों ने जब इसका विरोध किया तो सड़कों पर हिंसा का रौरव तांडव शुरू हो गया।

इसके अलावा मणिपुर में हिंसा की दूसरी वजह का वह कानून है जिसमें कहा गया है कि मैतेई समुदाय के वह लोग जो घाटी में बसे हैं वह पहाड़ी इलाकों में न तो घर बना सकते हैं और न ही जमीन खरीद सकते हैं। इसके उलट कुकी और नगा समुदाय के लोग घाटी में जमीन खरीद सकते हैं और घर बनाकर बस भी सकते हैं। मैतेई समुदाय के लोग इसका पहले से विरोध करते रहे हैं। वह एक राज्य एक कानून के तहत पहाड़ियों पर जमीन की खरीद का अधिकार चाहते रहे हैं।

मणिपुर की उस जघन्य घटना से पूरा देश मर्माहत और शर्मसार है जिसे पिछले साल 4 मई को अंजाम दिया गया था। उस घटना में दो महिलाओं को कपड़े उतारकर सड़कों पर घुमाया गया, सरेआम पीटा गया और गैंगरेप किया गया था। हैरत की बात यह कि इंसानियत को शर्मसार करने वाले उस घटना के दरिंदों पर कार्रवाई करने, पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की बजाय सरकारी मशीनरी ने उस घटना को ही छुपा लिया।

तब से लेकर आज तक मणिपुर लगातार सुलगता रहा है। बीच-बीच में हिंसक झड़पों की रिपोर्ट आती रहती है। राज्य सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। बल्कि यह कहने में गुरेज नहीं होना चाहिए कि मणिपुर के हालात पर पर्दा डाला जाता रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद के भीतर और बाहर कई दफा प्रधानमंत्री से मणिपुर मामले में हस्तक्षेप करने और वक्तव्य देने की मांग की। राहुल मणिपुर के शरणार्थी कैंप भी गए और उसमें रह रहे लोगों से बातचीत की।

मणिपुर में हिंसा की ताजा वारदात 11 नवंबर को सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में 10 बंदूकधारी उग्रवादियों के मारे जाने के बाद हुई। कुकी समुदाय ने मारे गए लोगों को विलेज गार्ड बताया और मुठभेड़ के जिम्मेदार सुरक्षाबलों पर कार्रवाई की मांग की। इसे संयोग कहें या प्रयोग कि उसी दिन जिरीबाम से दो महिलाओं समेत 6 लोगों का अपहरण कर लिया गया। अपहरण का आरोप कुकी उग्रवादियों पर लगाया गया। इसमें एक महिला जो तीन बच्चों की मां थी, सामूहिक दरिंदगी कर उसके शरीर में कीलें ठोंक दी गई और उसके शरीर को आग के हवाले कर दिया गया। इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस घटना से डॉक्टर भी हैरान हैं।

केंद्र सरकार ने मणिपुर के पांच जिलों इंफाल पूर्व और पश्चिम, थोबल, विष्णुपुर और काकचिंग में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया है और सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया है।

मणिपुर में हिंसा से हरकत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह महाराष्ट्र का अपना चुनावी दौरा छोड़कर दिल्ली पहुंचे। केंद्र सरकार ने छह थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) लागूकर दिया है। इस बीच दोनों समुदाय के लोग सड़कों पर उतर गए हैं। भाजपा के 19 विधायकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्री को पत्र भेजकर राज्य की एन बीरेन सिंह सरकार को बदलने की मांग की है। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने एन बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।
उधर, मणिपुर सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र भेजकर राज्य से अफस्पा हटाने की मांग की है। देखना जरूरी होगा कि मणिपुर पर केंद्र सरकार आगे क्या कदम उठाती है। फिलहाल तो मणिपुर धधक रहा है और प्रधानमंत्री नाइजीरिया का सर्वोच्च पुरस्कार ग्रहण कर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।


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