कंगना और प्रियंका
हिमाचल प्रदेश इस समय भारी बारिश से मची तबाही से जूझ रहा है। कई दिनों से लगातार हो रही तेज बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने आम आदमी की जान सांसत में डाल दी है

हिमाचल प्रदेश इस समय भारी बारिश से मची तबाही से जूझ रहा है। कई दिनों से लगातार हो रही तेज बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं ने आम आदमी की जान सांसत में डाल दी है। एक बेहद मार्मिक तस्वीर सामने आई है, जिसमें एक 11 महीने की बच्ची महिला अधिकारी की गोद में खेल रही है, उसे पता नहीं कि वह अब अनाथ है, उसके मां-बाप, दादा-दादी समेत पूरा परिवार बह चुका है और वो इस दुनिया में अकेली है। दर्द के ऐसे सैकड़ों किस्से इस समय हिमाचल प्रदेश में दिखाई-सुनाई दे रहे हैं, लेकिन खुद को शान से हिमाचली बताने वाली कंगना रानौत को ऐसे दुख के वक्त में भी हंसी आ रही है।
कंगना रानौत का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें पत्रकार उनसे पूछ रहे हैं कि उन्हें यहां आने में देर क्यों हुई। साथ ही राहत और बचाव कार्य को लेकर भी सवाल हुए तो कंगना ने बाकायदा खुलकर हंसते हुए कहा कि मेरे पास न तो कोई केबिनेट मंत्री का पद है, न फंड हैं कि मैं कुछ कर सकूं । बता दें कि हिमाचल प्रदेश के मंडी समेत कई जिलों में बाढ़ कहर बरपा रही है, जिसके चलते लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। 20 जून से आए मानसून के बाद बारिश इतनी बढ़ी कि अब तक कम से कम 80 लोगों की जान चली गई है, अकेले मंडी जिले में ही 14 लोगों की मौत हुई है। कई लोग लापता हैं। मवेशी, पशु-पक्षी भी बड़ी संख्या में हताहत हुए हैं। खेती और व्यापार तबाह हो रहे हैं। बाढ़ की वजह से 572 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो चुका है। पेयजल, सड़क, बिजली आदि की सुविधाओं में बड़ी समस्या तो खड़ी हो ही चुकी है, इनसे जुड़ी बड़ी परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं। सैकड़ों कच्चे और पक्के मकान क्षतिग्रस्त हैं। हिमाचल प्रदेश में पर्यटन आजीविका का एक बड़ा आधार है और इस बार की बारिश में जो तबाही आई है, उसका सीधा असर इस व्यवसाय पर भी पड़ेगा।
फिलहाल राज्य की कांग्रेस सरकार मदद और बचाव में लगी है। कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के भी स्थानीय नेता हालात पर नजर बनाए रखे हैं और लोगों के दर्द सुन रहे हैं। लेकिन कंगना रानौत को इस मौके पर भी राजनीति सूझ रही है। पहले तो कंगना रानौत आपदाग्रस्त क्षेत्र में आने की जगह घूमती-फिरती रहीं और जब रविवार को कंगना ने आपदाग्रस्त सिराज विधानसभा का दौरा किया तो उसमें भी प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करने का मौका नहीं छोड़ा। कंगना ने कहा कि केंद्र सरकार ने तुरंत सेना भेजकर राहत अभियान चलाया है। प्रधानमंत्री भले ही विदेश यात्रा पर हों, लेकिन उन्हें यहां क्या हो रहा है, इसकी जानकारी है। इसके बाद अपनी सीमित भूमिका का जिक्र करते हुए कंगना ने कहा कि एक सांसद के तौर पर मेरा काम फंड लाना और जमीनी हकीकत को सरकार तक पहुंचाना है। मेरे पास अपना तो कोई फंड है नहीं, न कोई अधिकारी हैं और न ही कोई कैबिनेट है। सांसद का काम सीमित होता है। केंद्र का फंड राज्य सरकार के पास आता है, ये लोग पैसा खाकर बैठे हैं। मेरे पास तो फं ड आएगा नहीं, देना तो उन्हीं (हिमाचल सरकार) को है।
कंगना के इस बयान से जाहिर है कि उन्हें न हालात की गंभीरता समझ आ रही है, न ही उन्हें मुद्दों की कोई समझ है। वे बस अभिनेत्री होने की लोकप्रियता को भुनाकर संसद पहुंच गई हैं, लेकिन सही मायनों में जनप्रतिनिधि नहीं बनी हैं। याद कीजिए कि पिछले साल इन्हीं दिनों में केरल में भूस्खलन हुआ था। तब नयी-नयी सांसद बनी प्रियंका गांधी और उनके साथ राहुल गांधी केरल पहुंचे थे और दोनों ने घूम-घूमकर सारे आपदाग्रस्त इलाकों का दौरा किया था, पीड़ितों का दर्द बांटा था। प्रियंका गांधी ने लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बनाया था कि केरल के लिए विशेष राहत पैकेज घोषित करे। प्रियंका गांधी की ही मुहिम का असर था कि फिर नरेन्द्र मोदी को भी राज्य का दौरा करना पड़ा था। प्रियंका गांधी संवेदनशीलता के साथ अपनी सांसद की भूमिका को निभा रही हैं, लेकिन कंगना रानौत यहां पूरी तरह से नाकाम दिखीं।
बल्कि अपनी कमजोरी ढंकने के लिए कंगना हिमाचल प्रदेश की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही हैं। बिना किसी सबूत के कंगना ने कह दिया कि प्रदेश में भ्रष्टाचारी सरकार काम कर रही है। पूर्व में भी केंद्र सरकार ने आपदा के समय जो हजारों करोड़ रुपए भेजे थे, उसे प्रदेश सरकार ही डकार गई है। उन्होंने आशंका जताई कि अब भी केंद्र से जो रिलीफ फंड आयेगा, वो भी प्रभावितों तक पहुंचेगा या नहीं। प्रभावितों तक हर मदद पहुंचे, इसके लिए कोई रास्ता निकालना होगा। कंगना ने मुख्यमंत्री सुक्खू और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह को निशाने पर लेते हुए कहा कि जिनका काम है वो लापता है, उनका मानना है कि कंगना आकर काम कर जाती तो अच्छा था या तो कंगना यहां रहकर मुख्यमंत्री और पीडब्ल्यूडी के काम कर जाती तो वो अच्छा था। खैर हमसे जो भी बन पड़ेगा वो किया जाएगा।
कंगना रानौत सामान्य नेता नहीं हैं, बल्कि निर्वाचित सांसद हैं, इसलिए उन्हें अगर राज्य सरकार पर कोई आरोप लगाना हो तो उसके सबूत भी पेश करने चाहिए। लेकिन वो ऐसा नहीं कर रहीं हैं। वहीं दूसरी ओर अपनी मजबूरी बता रही हैं कि मेरा कोई कैबिनेट तो है नहीं, मेरा काम है केंद्र से राहत कोष लेकर आना। यहां कंगना को पता होना चाहिए कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सांसद की कई भूमिकाएं और जिम्मेदारियां होती हैं। एक सांसद के पास सरकार के खर्चों को मंजूरी देने और नियंत्रित करने की शक्ति होती है, यह शक्ति उन्हें बजट और कराधान पर नियंत्रण रखने के कारण हासिल होती है। सांसद यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार का पैसा प्रभावी ढंग से और जनता के हित में खर्च किया जाए। गौरतलब है कि 1993 में शुरू की गई सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) के तहत हर सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में विकास के लिए हर साल 5 करोड़ रुपए दिए जाते हैं। इस योजना का संचालन सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से किया जाता है। एमपीएलएडीएस के तहत सांसद निधि को जिले में संबंधित कार्यान्वयन एजेंसियों के जरिए भेजा जाता है। जिससे सांसद अपने क्षेत्र में विकास परियोजनाओं की सिफारिश करते हैं। इसमें सड़कें, स्कूल, अस्पताल, पेयजल सुविधाएं और अन्य बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, सांसद जनता की समस्याओं को संसद में उठाते हैं और सरकार से उनके समाधान के लिए अपील करते हैं। प्राकृतिक आपदाओं के समय सांसद अपने क्षेत्र के लोगों को राहत प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। राहत सामग्री, राशन, मेडिकल सहायता, राहत शिविर लगाने के साथ-साथ और सरकार से राहत पैकेज की मांग कर सकते हैं। प्रियंका गांधी ने केरल में यही सब किया था। लेकिन कंगना रानौत अपनी जिम्मेदारी निभाने की जगह बहाने बना रही हैं।


