Top
Begin typing your search above and press return to search.

इंडिया ब्लॉक की अगली चुनौती 2025 और 2026 के सात विधानसभा चुनाव

देश में 2024 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों का आखिरी दौर समाप्त हो गया। महाराष्ट्र चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति की भारी जीत ने भाजपा को छह महीने पहले हुए 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई करने का नया आत्मविश्वास दिया है

इंडिया ब्लॉक की अगली चुनौती 2025 और 2026 के सात विधानसभा चुनाव
X

- नित्य चक्रवर्ती

इस साल 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से इंडिया ब्लॉक की कोई उच्च स्तरीय बैठक नहीं हुई है। अब समय आ गया है कि ब्लॉक एक अत्यधिक सक्रिय समन्वय निकाय के रूप में काम करे। राज्यों में कई ऐसे मुद्दे हैं जिनमें केंद्रीय स्तर पर तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। यह काम इंडिया ब्लॉक के नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर करना होगा।

देश में 2024 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों का आखिरी दौर समाप्त हो गया। महाराष्ट्र चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति की भारी जीत ने भाजपा को छह महीने पहले हुए 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को हुए नुकसान की भरपाई करने का नया आत्मविश्वास दिया है। इंडिया ब्लॉक के लिए झारखंड विधानसभा चुनावों में मिली शानदार जीत एक सकारात्मक संकेत है। फिर भी 2025 और 2026 के विधानसभा चुनाव अगली चुनौती होगी।

2024 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में हुए विधानसभा चुनावों ने दिखा दिया है कि भारतीय मतदाता अपने चुनावी व्यवहार में काफी अस्थिर हैं और उनका मूड बहुत तेजी से बदलता है।

लोकसभा चुनाव के बाद पिछले छह महीनों में इंडिया ब्लॉक के लिए चुनाव नतीजों में कुछ झटके लगे हैं, लेकिन कुछ अच्छी बातें भी हैं। इंडिया ब्लॉक को इस उलटफेर से उचित सबक लेना होगा और सुधार की प्रक्रिया शुरू करनी होगी, ताकि एनडीए, खासकर भाजपा को एनडीए शासित राज्यों में रोका जा सके, जहां अगले दो साल में विधानसभा चुनाव होने हैं।

दो सबक हैं। पहला, महाराष्ट्र में महिला केंद्रित योजनाओं के अंतिम समय में क्रियान्वयन ने महिला मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव डाला, जिसके कारण महायुति की भारी जीत हुई। दूसरा, झारखंड में आदिवासी भाजपा के हेमंत विरोधी सभी अभियानों को धत्ता बताते हुए इंडिया ब्लॉक के साथ डटे रहे।

2025 में पहला चुनाव फरवरी में दिल्ली विधानसभा के लिए होगा। इसके बाद साल के अंत में बिहार विधानसभा के चुनाव होंगे। दिल्ली के संबंध में, संकेत हैं कि आप और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। आप का मानना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में नतीजे चाहे जो भी हों, पार्टी आने वाले चुनावों में अकेले लड़कर भाजपा को हराने में सहज रहेगी। अगर इंडिया ब्लॉक के दोनों सहयोगी दल एकमत रहे तो त्रिकोणीय मुकाबला होगा, जिसका फायदा भाजपा को मिलेगा।

आप को यह ध्यान रखना चाहिए कि दिल्ली केरल नहीं है। भाजपा का दिल्ली में आधार बहुत मजबूत है और इस बार वह आप की चुनौती का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में है। इंडिया ब्लॉक के वरिष्ठ नेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए कि 2024 के लोकसभा चुनाव की तरह ही आपसी सहमति बन जाये। अगर ऐसा नहीं होता है तो परिणाम किसी भी तरफ जा सकते हैं।

बिहार के मामले में इंडिया ब्लॉक की ओर से मुख्य जिम्मेदारी राजद की है। पिछले विधानसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक मामूली अंतर से हारा था, लेकिन लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक के प्रचार में कुछ बड़ी खामियां सामने आई हैं। अब इन पर ध्यान देने की जरूरत है और राजद नेता तेजस्वी यादव को पूरे इंडिया ब्लॉक के नेता के रूप में पार्टी से इतर एनडीए को हराने के उद्देश्य से काम करना होगा। कांग्रेस को अपनी ताकत के हिसाब से सीटों के लिए मोलभाव करना पड़ रहा है। पिछले चुनाव में उसका स्ट्राइक रेट सबसे कम रहा था।

2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया ब्लॉक पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा सहज है। बंगाल में कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन हो या न हो, तृणमूल कांग्रेस कुल 294 में से 223 सीटों की मौजूदा ताकत से अपनी सीटें बढ़ाने के लिए सहज स्थिति में है। दरअसल इस सप्ताह की शुरुआत में टीएमसी नेतृत्व की हालिया उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2026 के विधानसभा चुनाव में 294 में से 260 सीटें जीतने का लक्ष्य टीएमसी नेताओं को दिया है। इसी के मुताबिक टीएमसी अगले साल की शुरुआत से बूथ स्तर की मशीनरी को संगठित कर रही है। 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में 77 सीटें मिली थीं, लेकिन उपचुनावों में हार और दलबदल के बाद उसकी मौजूदा ताकत घटकर 69 रह गयी है।

केरल में 2026 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस फायदे की स्थिति में है। लेकिन सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाला सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सत्ता बरकरार रखने के लिए उतनी ही बड़ी लड़ाई लडऩे की तैयारी कर रहा है। किसी भी तरह से, जीतने वाली पार्टी इंडिया ब्लॉक की होगी।

तमिलनाडु में, डीएमके सुप्रीमो एम के स्टालिन सभी घटकों को प्रभावी ढंग से साथ लेकर इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व कर रहे हैं। अब तक, डीएमके सरकार को कोई खतरा नहीं है। सभी संकेत बताते हैं कि डीएमके के नेतृत्व वाला इंडिया ब्लॉक आराम से सत्ता में वापस आ जायेगा। पुडुचेरी में, इंडिया ब्लॉक को सत्ता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। थोड़ी और योजना और अच्छे उम्मीदवारों का चयन इसे संभव बना सकता है।

इंडिया ब्लॉक के लिए, बड़ी समस्या असम है, जिस पर 2016 से भाजपा का शासन है। मुख्यमंत्री हिमंत विस्वाशर्मा एक चतुर राजनीतिज्ञ हैं और उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए इंडिया ब्लॉक पार्टियों को सफलतापूर्वक विभाजित किया है। राज्य में इंडिया ब्लॉक की प्रमुख पार्टी के रूप में कांग्रेस को विपक्षी खेमे में विभाजन रोकने के लिए बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी।

असम के हालिया उपचुनावों में दरार के बाद वस्तुत: कोई इंडिया ब्लॉक नहीं है। जहां कांग्रेस एक पारंपरिक सीट सहित सभी सीटों पर हारी, वहां भी जहां पार्टी कभी नहीं हारी। कुछ क्षेत्रीय दलों, टीएमसी और वामपंथी दलों की भागीदारी के साथ इंडिया ब्लॉक को सक्रिय करना होगा। इंडिया ब्लॉक के नेतृत्व में संयुक्त विपक्ष द्वारा हिमंत सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलन करना होगा। असमिया लोगों का एक बड़ा हिस्सा हिमंत से तंग आ चुका है, लेकिन उन्हें कोई विकल्प नहीं दिख रहा है क्योंकि इंडिया ब्लॉक पार्टियां संयुक्त रूप से काम करने में असमर्थ हैं। यह सही समय है कि इंडिया ब्लॉक नेतृत्व असम के विपक्ष को सही रास्ते पर लाने के लिए काम करे। विधानसभा चुनाव और उपचुनावों ने इंडिया ब्लॉक पार्टियों में नये और पुराने दोनों ही तरह के चेहरे सामने लाये हैं, जो ब्लॉक के लिए बदलाव के वाहक के रूप में काम कर सकते हैं और भाजपा के खिलाफ संघर्ष की गति को तेज कर सकते हैं। केरल के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र में हुए हालिया उपचुनाव में लोकसभा में प्रवेश करने वाली प्रियंका गांधी विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ आगामी लड़ाई में इंडिया ब्लॉक के लिए एक बड़ी संपत्ति हो सकती हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले से ही बंगाल के सभी चुनावों में भाजपा को हराकर दिग्गज के रूप में पहचानी जाती हैं। वह महिलाओं, वृद्ध और युवा दोनों की मदद के लिए योजनाओं के अभिनव दृश्य पेश करने वाली पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। उनके मॉडल का अन्य राज्यों द्वारा बड़े पैमाने पर अनुसरण किया जा रहा है।
इसी तरह हेमंत सोरेन झारखंड विधानसभा चुनावों में और मजबूत होकर उभरे हैं। भाजपा की चुनौती का सामना करने के लिए हेमंत को राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया ब्लॉक के आदिवासियों के चेहरे के रूप में पेश किया जाना चाहिए। उनमें राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाने की बड़ी क्षमता है। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन का इंडिया ब्लॉक द्वारा उचित उपयोग किया जा सकता है।

इसके अलावा, सीपीआई (एमएल)-एल के दीपांकर भट्टाचार्य एक ऐसे संभावित नेता के रूप में उभरे हैं, जिनकी प्रतिभा का इंडिया ब्लॉक के नेताओं द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर उपयोग किया जा सकता है। उनके पास मजदूरों और आदिवासियों दोनों के बीच लंबे संघर्ष का रिकॉर्ड है। दीपांकर वास्तव में इंडिया ब्लॉक में सीताराम येचुरी की जगह भर सकते हैं जो इस साल अगस्त में उनके अचानक निधन के बाद खाली हो गयी है।

इस साल 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से इंडिया ब्लॉक की कोई उच्च स्तरीय बैठक नहीं हुई है। अब समय आ गया है कि ब्लॉक एक अत्यधिक सक्रिय समन्वय निकाय के रूप में काम करे। राज्यों में कई ऐसे मुद्दे हैं जिनमें केंद्रीय स्तर पर तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। यह काम इंडिया ब्लॉक के नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर करना होगा। नेतृत्व को तुरंत एक नये संयोजक पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। दो नामों पर विचार किया जा सकता है ममता बनर्जी और एम के स्टालिन। काफी समय बर्बाद हो चुका है। इंडिया ब्लॉक को फिर से एक गतिशील निकाय के रूप में काम करना चाहिए।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it