Top
Begin typing your search above and press return to search.

विश्वशांति के लिए सर्वधर्म समन्वय अनिवार्य

धर्मों के रेडक्लाइजेशन को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है. आज की यह सबसे बड़ी समस्या है. समाधान क्या है? क्या सर्वधर्म समन्वय संभव है

विश्वशांति के लिए सर्वधर्म समन्वय अनिवार्य
X

- डा. सामबे

धर्म समन्वय की जरूरत इसलिए है कि विभिन्न धर्मों के बीच विवाद,वैमनस्य और झगड़े हैं। अगर धर्मों के बीच विवाद न होता, तो धर्म समन्वय की जरूरत ही न होती! इस बीमारी का यही एक इलाज है। बीमारी लाइलाज लगता है, मगर यकीनन इलाज तो यही लगता है। अगर देश, दुनिया और समाज में शांति और सुख से रहने की तमन्ना है। गौरतलब है कि अमन और चैन के बिना किसी भी प्रकार की प्रगति और विकास संभव नहीं है।

धर्मों के रेडक्लाइजेशन को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है. आज की यह सबसे बड़ी समस्या है. समाधान क्या है? क्या सर्वधर्म समन्वय संभव है?

वैदिक या हिन्दू धर्म में वैष्णव, शैव और शाक्त के बीच विवाद,वैमनस्य और लड़ाई रही है, यह सब जानते हैं. ईसाई में कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट का संघर्ष, इस्लाम में शिया और सुन्नी की लड़ाई, बौद्ध धर्म में हीनयान और महायान का तनाव और जैन धर्म में दिगंबर और श्वेताम्बर के मतभेद जगजाहिर हैं।

इजराइल में यहूदी और इस्लाम के बीच संघर्ष वर्षों से संसार देख रहा है. ईसाई और इस्लाम के बीच भी झगड़े होते रहते हैं. तीन धर्मों : यहूदी, ईसाई और इस्लाम का उदय एक ही स्थल इजराइल से अलग-अलग समय में हुआ है।

ऐसे ही एक स्थान बिहार से जैन, बौद्ध, सिख (संपूर्ण स्वरूप), हिन्दू (बाल्मीकि रामायण) धर्मों का उदय हुआ है. हिन्दू और बौद्ध धर्म के भी बीच विवाद रहे हैं और हिन्दू एवं जैन धर्म के भी बीच तनाव रहे हैं। हिन्दू- मुस्लिम तनाव उग्र रूप ले लेता है।

इसके बावजूद हम धर्म समन्वय की बात करते हैं। धर्म समन्वय की जरूरत इसलिए है कि विभिन्न धर्मों के बीच विवाद,वैमनस्य और झगड़े हैं। अगर धर्मों के बीच विवाद न होता, तो धर्म समन्वय की जरूरत ही न होती! इस बीमारी का यही एक इलाज है। बीमारी लाइलाज लगता है, मगर यकीनन इलाज तो यही लगता है। अगर देश, दुनिया और समाज में शांति और सुख से रहने की तमन्ना है। गौरतलब है कि अमन और चैन के बिना किसी भी प्रकार की प्रगति और विकास संभव नहीं है।

मालूम हो कि हमारे रामकृष्ण परमहंसजी महाराज, स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी, डा. भगवानदास, डा. राधाकृष्णन और महर्षि मेंहीं आदि महापुरुषों ने सर्वधर्म समन्वय की गंभीरता से चिंतन मनन किया है। हमारे संतों से प्रभावित होकर पाश्चात्य विद्वानों में यथा मैक्समूलर, फरे, हाकिंग अंडरहील आदि ने भी इसी विचारधारा को आगे बढ़ाया है।

विभिन्न धर्मों में एकता के भाव और विचारों को स्थापित करना ही सर्वधर्म समन्वय है।

आज धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन को स्कूल और कालेज में अनिवार्य रूप से पाठ्यक्रम में शामिल करने की जरूरत है। सभी धर्मों में धर्म के सार और समान तत्व होते हैं, जिसे पंथाई भाव के चलते दबा दिया जाता है।

एक तर्कसंगत ढंग से विभिन्न धर्मों में एकता स्थापित की जा सकती है। इसके लिए धर्मों के ज्ञान तत्व पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत है। इसके लिए धर्म समन्वय में तर्कसंगता ढ़ूंढना जरूरी होता है।

डा. राधाकृष्णन, ग्रंथ- ईस्ट एंड वेस्ट इन रिलीजन

'एक सामान्य विषय की ओर सभी धर्म सहयोगी की तरह बढ़ रहे हैं'। एक सत्य, एक परमतत्व, एक परमात्मा को अलग-अलग ढंग से अलग-अलग भाषा में अभिव्यक्त किया जाता है। इस परमतत्व और परमसत्य का ज्ञान नहीं होने के कारण विभिन्न धर्मों के बीच विवाद और वैमनस्य है. उपासना की पद्धति अलग है, मगर ध्यान पूजा की अनुभूतियां एक ही सत्य और तत्व को व्यक्त करती है।

उनका मानना है कि हिन्दू धर्म सर्वोच्च आत्मतत्व पर जोर देता है, जो विश्व के सभी धर्मों में देखा जाता है। हिन्दू धर्म में अन्य धर्मों के प्रति सहनशीलता का भाव है। इसलिए भारत में सभी धर्मों के मानने वाले नजर आते हैं। हिन्दू धर्म में व्यापकता है।

यहां यह समझने की जरूरत है कि हिन्दू धर्म और हिन्दुत्व अलग है। हिन्दू धर्म आध्यात्मिक विचारधारा है और हिन्दुत्व राजनीतिक विचारधारा।

हिन्दू धर्म के अनुसार, सभी धर्मों के सार एक हैं। मूल्यों के आधार पर देखा जाए, तो सभी धर्म सत्य, अहिंसा, दया, परोपकार और आत्मसंयम को महत्व देते हैं। सभी धर्मों का आधार है - सत्य और यही सभी धर्मों की एकता का आधार भी है। सभी धर्मों की क्रिया कलापों में भी समानता नजर आती है।

ईस्टर्न रिलीजन एंड वेस्टर्न थाट में डा. राधाकृष्णन का कथन है- 'विभिन्न धर्म अब एक साथ हो रहे हैं'। उन्होंने सुझाव दिया है कि सभी धर्मों को धर्म संघर्ष और प्रतिस्पर्धा छोड़कर ग्रहणशीलता के भाव को विकसित करना चाहिए, जिससे सभी धर्मों के मानने वाले के पूर्वाग्रहों और आदि। इसलिए हमारे महर्षि मेंहीं परमहंसजी महाराज कहते हैं-

सब क्षेत्र क्षर अपरा परा पर औरू अक्षर पार में,

निर्गुण सगुण के पार सत असतहु के पार में!

सब नाम रूप के पार में...।

भागलपुर वाले के लिए यह सुखद सूचना है कि यहां के प्रथम विधायक सत्येन्द्र अग्रवाल, डा. भगवानदास के रिश्तेदार थे और दिल्ली में मंडी हाउस के समीप इनके नाम से एक रोड है- डा. भगवानदास रोड. वे दर्शनशास्त्र के बड़े विद्वान थे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it