गोवा अग्निकांड : असली दोषी कहां हैं
गोवा के रोमियो लेन नाइट क्लब में शनिवार रात लगी आग में 25 लोग अकाल मौत मारे गए

गोवा के रोमियो लेन नाइट क्लब में शनिवार रात लगी आग में 25 लोग अकाल मौत मारे गए। यह हादसा गोवा की बड़ी त्रासदियों में से एक माना जा रहा है। अक्टूबर से लेकर फरवरी-मार्च तक गोवा में पर्यटकों की भीड़ होती है। खासकर विदेशी पर्यटकों के लिए यह बड़ा आकर्षण का केंद्र रहा है। जम्मू-कश्मीर की तरह गोवा का मुख्य व्यवसाय भी पर्यटन ही है। लेकिन इस घटना ने गोवा में पर्यटकों की सुरक्षा पर बड़ा निशान खड़ा कर दिया है।
बताया जा रहा है कि जिस वक्त क्लब में आग लगी, करीब डेढ़ सौ लोग वहां थे। हालांकि मरने वालों में 20 लोग क्लब के कर्मचारी थे और उनके साथ पांच पर्यटकों की मौत हुई। इनमें से चार तो दिल्ली के एक ही परिवार के सदस्य थे। शनिवार रात के हादसे के बाद रविवार सुबह ही मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने क्लब का दौरा करते हुए जांच के आदेश दिए थे। साथ ही चेतावनी थी कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। अब सवाल ये है कि इस हादसे का दोषी किसे माना जाएगा। प्रत्यक्ष तौर पर तो क्लब के मालिकान सौरभ लूथरा और गौरव लूथरा ही हादसे के दोषी हैं, और उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई। लेकिन ये दोनों भाई तो रविवार सुबह साढ़े पांच बजे ही देश छोड़कर निकल चुके थे। मतलब मुख्यमंत्री जब दोषियों को पकड़ने के आदेश दे रहे थे, जिस वक्त पुलिस मौके पर सबूत जुटा रही थी और आग बुझाने की कोशिशें चल रही थीं, उस समय तक लूथरा बंधु देश से निकल चुके थे।
ये भाजपा के सख्त प्रशासन की असलियत है। हैरानी की बात ये है कि सात दिसम्बर की सुबह लूथरा बंधु भाग चुके थे और शायद पुलिस इससे बेखबर थी, क्योंकि सात तारीख की शाम को गोवा पुलिस के अनुरोध पर दिल्ली पुलिस ने लूथरा बंधुओं के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया था। जबकि मुंबई में ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने जानकारी दी कि दोनों भाई सात दिसंबर की सुबह 5.30 बजे यानी घटना के फौरन बाद इंडिगो की सीधी फ्लाइट से थाइलैंड के फुकेत भाग चुके थे। अब गोवा पुलिस दोनों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए इंटरपोल से मदद ले रही है। लेकिन पिछले अनुभव बताते हैं कि भगोड़ों को वापस लाने में मोदी सरकार नाकाम ही रही है। विजय माल्या, नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चोकसी ये सब कहां हैं, क्या कर रहे हैं, इसकी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। इनमें से कुछ भगोड़े तो विदेश में आलीशान दावतें करते हैं और देश से कई नामी-गिरामी लोग उन दावतों में शामिल होते हैं, फिर भी इनका बाल भी बांका नहीं होता, क्योंकि धन और सत्ता का रक्षाकवच इनके पास है। अब देखना होगा कि लूथरा बंधुओं को यह कवच मिलता है या नहीं।
वैसे थाइलैंड भागने की उनकी योजना बताती है कि वो कितने शातिर हैं। थाईलैंड में भारतीयों को प्रवेश करने पर वीजा मिल जाता है। ऐसे में उन्हें थाइलैंड जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई। फुकेत एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र है और यहां हर दिन बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं। ऐसे में किसी भारतीय के लिए यहां भीड़ में घुलमिल जाना और अपनी पहचान छिपाना भी आसान है। वहीं लूथरा बंधुओं का होटल और क्लब बिजनेस भारत समेत और चार देशों में फैला हुआ है। हो सकता है कि थाईलैंड में उन्हें अपने व्यावसायिक रिश्तों से कुछ मदद मिल रही हो।
बहरहाल, इन दोनों आरोपियों के फुकेत में होने की जानकारी होने के बावजूद क्या उन्हें वापस लाना संभव होगा, यह एक उलझा हुआ सवाल है। 2015 में थाईलैंड से भारत की प्रत्यर्पण संधि हुई थी, इसके बावजूद सरकार को ये साबित करना होगा कि दोनों के खिलाफ गंभीर अपराध दर्ज हैं और उनके भारत लौटने से जांच आगे बढ़ेगी। प्रत्यर्पण के मामलों में विदेशी अदालतें भी सबूत, मामले की गंभीरता और मानवाधिकारों का आकलन करती हैं, जिसके कारण प्रक्रिया लंबी और जटिल हो जाती है। इसलिए पहले तो लूथरा बंधुओं को ढूंढना होगा और अगर वे मिल गए तो उन्हें वापस लाने की लंबी प्रक्रिया पूरी करनी होगी, तब जाकर प्रमोद सावंत की दोषियों को सजा देने वाली बात सही होगी।
वैसे लूथरा बंधुओं के देश में 22 शहरों में रेस्तरां, बार और क्लब चलते हैं। बताया जाता है कि दिल्ली के सिविल लाइन्स में भी एक रेस्तरां है, जिसमें तय क्षमता से अधिक ग्राहकों को बैठाने के लिए स्वच्छता को लेकर एमसीडी ने पिछले साल नोटिस जारी किया था। मगर रेस्तरां और बार दोनों चल रहा है। और एमसीडी ने क्या कार्रवाई की, कुछ पता नहीं। इसलिए प्रमोद सावंत जब दोषियों की बात करते हैं, तो यहां मालिकान के अलावा उन दोषियों की शिनाख्त भी करनी चाहिए जिनके कारण नियमों का उल्लंघन कर ऐसी इमारतें बनती हैं और व्यवसाय संचालित होते हैं।
गोवा में जहां रोमियो लेन का क्लब था, वो तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) के अंतर्गत आने वाला एक पूर्व साल्टपैन है, जहां इंटरटाइडल पैच यानी उच्च ज्वार और निम्न ज्वार का क्षेत्र होने के कारण निर्माण की अनुमति नहीं है। फिर भी क्लब बना और चल भी रहा था। इसकी छत लकड़ी की थी और जब क्लब के भीतर इलेक्ट्रिक पटाखे चलाए गए, उसकी चिंगारियों से छत ने आग पकड़ी और फिर सारा क्लब जलकर राख हो गया। क्लब में आने-जाने का रास्ता एक ही था और अंदर फंसे लोग जान बचाने के लिए बेसमेंट की तरफ भागे। जहां दम घुटने से उनकी मौत हो गई। गोवा सरकार के अनुसार, क्लब में आग से बचने का कोई भी प्रबंधन नहीं किया गया था। यह क्लब खुद को 'आइलैंड क्लबÓ के नाम से प्रमोट करता था, जहां तक पहुंचने का रास्ता काफी संकरा था। ऐसे में आग लगने के बाद दमकल की गाड़ियां भी 400 मीटर से पहले रुक गईं और समय पर आग न बुझने के कारण कई लोगों की जान चली गई।
क्लब के मरने वाले कर्मचारी असम, बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल से आए थे। रोजगार के लिए अपना गांव-शहर छोड़कर आने वाले इन लोगों को क्या मुआवजे से इंसाफ मिल पाएगा। फिलहाल पुलिस ने नाइट क्लब के चीफ जनरल मैनेजर, गेट मैनेजर, बार मैनेजर और जनरल मैनेजर को गिरफ्तार किया है। क्या इन का दोष मालिकों और अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले अधिकारियों से ज्यादा है। क्या 25 लोगों की अकाल मौत के बाद भी भाजपा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ पाएगी, सोचना होगा।


