Top
Begin typing your search above and press return to search.

ललित सुरजन की कलम से - उत्तराखंड: भविष्य के सवाल

पुराने समय के तीर्थयात्री ऋषिकेश से हनुमानचट्टी, गरुड़चट्टी आदि पड़ावों को पार करते हुए पैदल बद्रीनाथ जाते थे या फिर पहाड़ी खच्चरों का सहारा लेते थे

ललित सुरजन की कलम से - उत्तराखंड: भविष्य के सवाल
X

पुराने समय के तीर्थयात्री ऋषिकेश से हनुमानचट्टी, गरुड़चट्टी आदि पड़ावों को पार करते हुए पैदल बद्रीनाथ जाते थे या फिर पहाड़ी खच्चरों का सहारा लेते थे। इसमें न तो चौड़ी सड़कों की आवश्यकता होती थी और न वाहनों का प्रदूषण फैलता था; यात्री भी भक्तिभाव में गहरे रम कर इस पथ पर जाते थे।

उन्हें पांच सितारा होटलों की भी जरूरत नहीं पड़ती थी। लेकिन पिछले पचास साल में शनै: शनै: परस्थिति बदल गई। मैंने 2005 में इस अंचल की यात्रा से लौटकर लिखा था कि ऋषिकेश से बद्रीनाथ के बीच सेना व आवश्यक सामग्री के परिवहन के अलावा मोटर यातायात पूरी तरह बंद कर देना चाहिए।

मोटर यातायात से उस इलाके का तापमान लगातार बढ़ रहा था, जिसके चलते वहां की पहाड़ियों पर साल भर जमा रहने वाली बर्फ मई-जून आते-आते पिघलने लगी थी। जाहिर है कि ऐसा सुझाव किसी के काम का नहीं था।

(देशबन्धु में 30 जून 2013 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2013/07/blog-post.html


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it