Top
Begin typing your search above and press return to search.

ललित सुरजन की कलम से- यात्रा वृतांत : मणिपुर : दो हजार साल पुराना किला!

'हम होटल इम्फाल में ठहरे थे। पहले यह पर्यटन विभाग का होटल था और ले-देकर चलता था

ललित सुरजन की कलम से- यात्रा वृतांत : मणिपुर : दो हजार साल पुराना किला!
X

'हम होटल इम्फाल में ठहरे थे। पहले यह पर्यटन विभाग का होटल था और ले-देकर चलता था। इसे बाद में निजी हाथों में सौंप दिया गया। यहां बरकत नामक युवा ने कमरे तक मेरा सामान पहुंचाया। मैंने उसे सामान्य पोर्टर समझा था। बातचीत में मालूम हुआ कि वह राजनीतिशास्त्र में एम.ए. है। सरकारी नौकरी मिलना कठिन है इसलिए जो काम मिल गया, कर रहा है।

पिता नहीं है, परिवार को चलाना है। बरकत ने बताया कि मणिपुर में अल्पसंख्यक तेरह-चौदह प्रतिशत हैं और वे स्थानीय निवासी ही हैं और उनका खान-पान व अधिकतर रीति रिवाज वैसे ही हैं जो अन्य जातीय समुदायों के हैं। वैसे मणिपुर में तीन जातीय समुदाय मुख्य हैं- मैतेई, कूकी और नगा। इनके बीच जातीय संघर्ष चलते रहते हैं। मैतेई वैष्णव हैं और मुस्लिम बाकी देश से न्यारे मणिपुरी मुस्लिम कहलाते हैं। वे इम्फाल घाटी में मुख्यत: रहते हैं। कूकी ईसाई हैं, उनका वास चूड़ाचांदपुर (चूड़ाचांद भी एक महाराजा थे) और उसके आसपास के पहाड़ी क्षेत्र में है। नगा भी पहाड़ी क्षेत्र के ही निवासी हैं।'

'इस समय मणिपुर में सबसे बड़ी राजनीतिक चिंता वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा किए गए गुप्त नगा समझौते को लेकर है। किसी को नहीं पता कि इसमें क्या है। वे चिंतित हैं कि भारत सरकार कहीं नगा समुदाय के सामने झुककर नगालिम याने वृहतर नगालैंड की मांग स्वीकार न कर ले जिसमें मणिपुर से कुछ जिले भी उनको दे दिए जाने का प्रस्ताव है। प्रदेश में जोड़-तोड़ से बनी भाजपा सरकार है और वह नागरिकों को हर तरह से आश्वस्त करने में लगी है कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी ऐसा आश्वासन दे चुके हैं। लेकिन जनता को इन पर विश्वास नहीं हो रहा है।'

(देशबन्धु में 28 दिसंबर 2017 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it