ललित सुरजन की कलम से- असत्य का पारावार-2
आर्थिक मंदी का दौर शुरू होने पर डेट्रायट की तीनों बड़ी कार कंपनियों ने सरकार से बेल आउट पैकेज मांगा

आर्थिक मंदी का दौर शुरू होने पर डेट्रायट की तीनों बड़ी कार कंपनियों ने सरकार से बेल आउट पैकेज मांगा। सीनेट कमेटी के सामने उनकी सुनवाई हुई। तीनों कंपनियों के अध्यक्ष इस गिरी अवस्था में भी अपने-अपने चार्टर विमान लेकर वाशिंगटन गए। इस पर सीनेट के सदस्यों ने उन्हें बेहद खरी-खोटी सुनाई और उम्मीद की कि वे अब शेयर धारकों के धन का बेजा इस्तेमाल करने से बचेंगे।
यानी इसी तर्ज पर भारत में भी बड़ी कंपनियों द्वारा सार्वजनिक धन का निजी उपयोग में अपव्यय करने पर पाबंदी लगना चाहिए। इतना याद करना प्रासंगिक व आवश्यक है कि पहले भी हमारे यहां उद्योगपति इसी तरह से कंपनी की जमा पूंजी पर ऐश करते रहे हैं। एक दौर में तमाम कपड़े कारखाने बीमार घोषित कर दिए गए और तब इंदिरा गांधी ने साहसिक कदम उठाते हुए नेशनल टेक्सटाइल्स कंपनी का गठन कर उनका राष्ट्रीयकरण किया। निजी क्षेत्र की अन्य कंपनियों के मामले में भी इसी तरह के कदम उठाए गए। अगर आगे ये ठीक से नहीं चल सके तो वह मिलीभगत के कारण। अगर सरकार सच में चाहे तो सत्यम को इस उपाय से अभी भी बचाया जा सकता है। सत्यम के ऑडिटर प्राइस वॉटरहाऊस कूपर का भी जिक्र करना यहां लाजिमी है। इस फर्म ने सार्वजनिक पत्र जारी किया है कि उसकी ऑडिट रिपोर्ट पर एतबार ना किया जाए। यह विचित्र तर्क है। अगर इसे मान लें तो फर्म अनेकानेक सवालों के घेरे में आ जाती है।
हमारी चिंता इस बिन्दु पर है कि ऐसा अनेक फर्मों को विभिन्न केन्द्रीय विभागों और विभिन्न प्रदेश सरकारों ने तगड़ी फीस देकर परामर्शदाता नियुक्त किया हुआ है। हम मांग करना चाहेंगे कि इनके द्वारा दी गई रिपोर्टों पर जो भी काम चल रहा हो उसे तत्काल रोक दिया जाए। कल इनके सुझाए रास्ते पर चलकर कोई गड़बड़ होगी तो ये अपना पल्ला झाड़ लेंगे कि हमारी रिपोर्ट पर विश्वास ना किया जाए।
मुझे सबसे ज्यादा चिंता उन नौजवानों के बारे में है जो ऊंची-ऊंची डिग्रियां हासिल करते हैं और फिर सत्यम या प्राइसवॉटर हाऊस कूपर जैसी कंपनियों में आकर्षक पैकेज की नौकरी पाकर अपने जीवन को धन्य मान बैठते हैं, जबकि इस तरह की कंपनियां इन युवाओं को बेईमान बना रही हैं, पैसे का गुलाम बना रही हैं और इनके आत्मिक बल को खोखला कर रही हैं। स्वर्णमृग के पीछे भागने से कितने दुख मिलते हैं- यह नए सिरे से याद करने का अवसर है।
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