ललित सुरजन की कलम से- वैमनस्य की राजनीति
'भारत में एक ऐसा वर्ग है जो देश में कुछ भी गलत हो उसका दोष पंडित नेहरू या उनके वंशजों पर सुविधापूर्वक मढ़ देता है

'भारत में एक ऐसा वर्ग है जो देश में कुछ भी गलत हो उसका दोष पंडित नेहरू या उनके वंशजों पर सुविधापूर्वक मढ़ देता है। यह सिलसिला 1947 से अब तक चला आ रहा है। 2004 में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री बन जाने की संभावना मात्र से ही सामान्यत: हँसमुख सुषमा स्वराज किस कदर बिफर गई थीं!
उन्होंने अपना सिर मुंडवाने तक की धमकी दे डाली थी। उन्होंने यह न सोचा था कि सोनिया गांधी स्वयं प्रधानमंत्री पद ठुकरा देंगी। इधर 2014 के चुनावों में ऐसी उग्र प्रतिक्रियाएं बार-बार देखने-सुनने मिल रही हैं।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक नहीं, दो बार कहा कि मोदी सरकार बनेगी तो राबर्ट वाड्रा को जेल भेज देंगे। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि देश का कानून क्या कहता है और अभी तो यह भी तय नहीं है कि उनकी सरकार बनेगी कि नहीं। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी तो पहले दिन से ही राहुल गांधी को शहजादा कहकर मखौल उड़ानेे की कोशिश कर रहे हैं।
उन्हें छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के समय कवर्धा में दिया अपना भाषण याद नहीं रहा कि यदि डॉ. रमन सिंह कांग्रेस में होते तो अपने बेटे अभिषेक को चुनाव लड़ाते, न कि सामान्य कार्यकर्ता अशोक साहू को। अब वही अभिषेक सिंह मोदी के नेतृत्व में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में जब नरेन्द्र मोदी मतदाताओं से कहते हैं कि वे उन पर विश्वास करें तो उनके वचनों का खोखलापन प्रकट होने लगता है।'
(देशबन्धु में 08 मई 2014 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/05/blog-post_7.html


