ललित सुरजन की कलम से- इस्लाम बनाम आतंकवाद
'एक तो इस तथ्य पर गौर करना चाहिए कि दुनिया में धर्म के नाम पर राष्ट्रों का निर्माण कब कैसे हुआ

'एक तो इस तथ्य पर गौर करना चाहिए कि दुनिया में धर्म के नाम पर राष्ट्रों का निर्माण कब कैसे हुआ। इतिहास में बहुत पीछे न जाकर बीसवीं सदी की ही बात करें तो ऐसा क्यों हुआ कि लगभग एक ही समय में धर्म पर आधारित दो देशों का उदय हुआ।
मैं इस बात को कुछ समय पूर्व लिख चुका हूं कि इस्लाम पर आधारित पाकिस्तान और यहूदी धर्म पर आधारित इजरायल दोनों की स्थापना द्धितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद हुई। इनके निर्माण की पृष्ठभूमि क्या थी? पाकिस्तान के बारे में भारतवासी बहुत कुछ जानते हैं। वे ये भी जान लें कि इजरायल की स्थापना में भी उन्हीं साम्राज्यवादी पश्चिमी ताकतों का हाथ था।
हिन्दी में इस विषय पर बहुत कम लिखा गया है, लेकिन जिज्ञासु पाठक महेन्द्र कुमार मिश्र की पुस्तक फिलिस्तीन और अरब इसराइल संघर्ष पढ़ सकते हैं। अंग्रेजी समझने वाले पाठक गीता हरिहरन द्वारा संपादित पुस्तक फ्रॉम इंडिया टू पैलेस्टाइन -एसेज इन सॉलीडरीटी (भारत से फिलिस्तीन- एकजुटता में निबंध) पढ सकते हैं।
इस्लाम की एक गंभीर अध्येता करेन आर्मस्ट्रांग ने इस विषय पर अनेक पुस्तकें लिखी हैं। उनका मानना है कि धर्म के नाम पर जितना खून- खराबा हुआ है उससे कई गुना अधिक हिंसा दूसरे कारणों से हुई है जिनमें एक कारण जनतंत्र की रक्षा करना भी गिनाया गया है।'
(अक्षर पर्व दिसंबर 2015 अंक की प्रस्तावना)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/12/blog-post_13.html


