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ललित सुरजन की कलम से- क्या तिलिस्म टूट रहा है?

विश्व के स्वघोषित सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी की ऐसी छवि जनमानस में हाल के बरसों में बस गई थी

ललित सुरजन की कलम से- क्या तिलिस्म टूट रहा है?
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'विश्व के स्वघोषित सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी की ऐसी छवि जनमानस में हाल के बरसों में बस गई थी मानो वह कार्टून कथा के जादूगर मैंड्रेक के जनाड़ू (xanadu) जैसा तीन लोक से न्यारा, कल्पना में न समाने वाला ऐसा कोई अजूबा हो जो दूर से देखने पर चमत्कृत करे, और पास चले गए तो उसकी भूल-भूलैया में भटक कर रह गए।

वह एक ऐसे अभेद्य किले के रूप में सामने था जिस पर कितने भी तीर बरसें, कितनी भी तोपें चलें, कोई असर होने वाला नहीं है। वह एक ऐसा भव्य राजमहल था जो राहगीरों को बरबस अपनी ओर खींच लेता था। इस नए जनाडू के जादूगर मैंड्रेक के कारनामे भी ऐसे कि जो सुने दांतों तले उंगली दबा ले। उसे भारत की जनता ने इक्कीसवीं सदी का सिकंदर माना।

ऐसा सिकंदर जो विश्व विजय पर निकला है और जिसके हाथ की लकीरों में सिर्फ जीत ही दर्ज है। लेकिन इस बीच ऐसा कुछ तो हुआ है कि यह छवि अब दरकती सी प्रतीत होने लगी है!

(देशबंधु में 27 सितम्बर 2018 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2018/09/


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