Begin typing your search above and press return to search.
ललित सुरजन की कलम से- खुशी के पैमाने पर भारत
'हमारे देश का कायांतरण एक अशांत और विक्षुब्ध समाज के रूप में हो गया है

'हमारे देश का कायांतरण एक अशांत और विक्षुब्ध समाज के रूप में हो गया है। हम बात-बात में क्रोधित होने लगे हैं। आप चाहें तो इसका दोष सिनेमा, टीवी, अपसंस्कृति वगैरह-वगैरह को दे सकते हैं, लेकिन यह सच्चाई का एक छोटा हिस्सा है।
इस देश के धर्मोपदेशक और ईश्वर के दूत क्या कर रहे हैं? हमारे अपने घर का वातावरण क्या है? हम जिस मुहल्ले या कालोनी में रह रहे हैं क्या वहां सामाजिक समरसता है? अपने बच्चों को जिन स्कूलों में पढ़ने भेज रहे हैं क्या वहां समता व सौहार्द्र का वातावरण है? अगर वृहतर परिदृश्य में देखें तो पाएंगे कि हमने पूंजीवाद के उपकरण तो अपना लिए हैं, लेकिन सामंती संस्कार और कबीलाई मानसिकता से छुटकारा नहीं पा सके हैं।'
(देशबंधु में 22 मार्च 2018 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2018/03/blog-post_21.html
Next Story


