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ललित सुरजन की कलम से- मुस्लिम देशों में हिन्दू मंदिर!

'प्रधानमंत्री ओमान में एक शिव मंदिर में दर्शन करने गए। मोतीश्वर महादेव नामक यह मंदिर, जैसा कि बताया गया सवा सौ साल से अधिक पुराना है

ललित सुरजन की कलम से- मुस्लिम देशों में हिन्दू मंदिर!
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'प्रधानमंत्री ओमान में एक शिव मंदिर में दर्शन करने गए। मोतीश्वर महादेव नामक यह मंदिर, जैसा कि बताया गया सवा सौ साल से अधिक पुराना है। अर्थात इसके निर्माण अथवा प्राण-प्रतिष्ठा का समय उन्नीसवीं सदी के अंत के आसपास पड़ता है। इस दृष्टि से यह एक विरासत स्थल है।

प्रचलित परिभाषा के अनुसार एक सौ वर्ष से अधिक पुराने भवन को धरोहर निधि माना जाता है। मेरे मन में सवाल उठता है कि 1890 के आसपास इस मंदिर की स्थापना कैसे हुई? इसका एक सामान्य उत्तर हो सकता है कि भारत और ओमान के बीच व्यापारिक संबंध थे। दोनों देशों के व्यापारी और वाणिज्य दूत आदि एक-दूसरे के यहां आते-जाते रहे होंगे।'

'खबरों में कहीं हल्का सा जिक्र भी था कि किन्हीं गुजराती व्यापारियों ने इस मंदिर की स्थापना की थी। इसका नामकरण मोतीश्वर मंदिर भी शायद इसलिए हुआ होगा कि भारत के व्यापारी इस खाड़ी देश से मोती खरीदते होंगे! मैं पाठकों को याद दिलाऊं कि एक समय बसरा के मोती बहुत प्रसिद्ध थे।

बसरा इरान में है याने फारस की खाड़ी में और ओमान भी फारस की खाड़ी में है तो वहां शायद मोतियों की मंडी रही होगी! ओमान में भारत के देवता का मंदिर है यह तथ्य जानकर अच्छा लगता है। हम गर्व भी कर सकते हैं कि भारतीय संस्कृति कैसे दूर-दूर तक फैली है। लेकिन हमारे हिन्दुत्ववादी मित्रों को यह तथ्य जानकर कुछ असुविधा होगी कि आज से सवा सौ साल पहले एक मुस्लिम देश ने कैसे एक हिन्दू देवता का मंदिर बनाने की अनुमति दी थी!'

(देशबन्धु में 22 फरवरी 2018 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2018/02/blog-post_22.html


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