Top
Begin typing your search above and press return to search.

ललित सुरजन की कलम से- बौने टिड्डी बनकर छा गए

'बड़ी संख्या में ऐसे लोग जो बुध्दि विवेक में बौने हैं, आए दिन किसी न किसी रूप में सम्मानित, पुरस्कृत और अलंकृत होते रहते हैं

ललित सुरजन की कलम से- बौने टिड्डी बनकर छा गए
X

'बड़ी संख्या में ऐसे लोग जो बुध्दि विवेक में बौने हैं, आए दिन किसी न किसी रूप में सम्मानित, पुरस्कृत और अलंकृत होते रहते हैं। उन्हें सर-आंखों पर बैठाते समय कोई भी यह सवाल नहीं पूछता कि उनका बौध्दिक स्तर क्या है।

बौध्दिक स्तर से आशय यहां सिर्फ कॉलेज या विश्वविद्यालय की डिग्री से नहीं है। ऐसा व्यक्ति विवेक सम्पन्न है या नहीं, उसमें सिध्दांतों पर टिके रहने की जिद है या नहीं, वह बौध्दिक रूप से कितना ईमानदार है- इन बातों की तरफ शायद ही किसी की तवज्जो जाती हो।

इस अनदेखी का ही परिणाम है कि देश की जनतांत्रिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण और निर्णयकारी स्थानों पर ऐसे-ऐसे लोग काबिज हो चुके हैं जो कि उसके सर्वथा अयोग्य थे और इस गफलत की भारी कीमत हमें सामूहिक रूप से चुकाना पड़ रही है।'

(देशबंधु में 11 अप्रैल 2013 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2013/04/blog-post_11.html


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it