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ललित सुरजन की कलम से- भाषण और आंकड़ों से परे

अभी मैंने कहीं पढ़ा कि बाल्टिक देश एस्तोनिया की सरकार ने सार्वजनिक यातायात को नि:शुल्क याने एकदम फ्री कर दिया है

ललित सुरजन की कलम से- भाषण और आंकड़ों से परे
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अभी मैंने कहीं पढ़ा कि बाल्टिक देश एस्तोनिया की सरकार ने सार्वजनिक यातायात को नि:शुल्क याने एकदम फ्री कर दिया है। सोवियत संघ में सार्वजनिक यातायात का भाड़ा बहुत कम होता था, परन्तु यह देश एक कदम आगे निकल गया।

जब सिटी बस में नागरिक बिना पैसे दिए सफर कर सकेगा तो उसे गैरेज से कार निकालने की जरूरत भला क्यों पड़ेगी? पैसा भी बचा, पार्किंग के लिए स्थान तलाशने की तवालत बची और पर्यावरण की रक्षा तो इससे होना ही है।

अगर अरविंद केजरीवाल इसे लागू कर सकें तो यह एक साहसिक और शायद सफल प्रयोग सिद्ध हो सकता है। लगभग बीस साल पहले चन्द्राबाबू नायडू ने बसों को शहर के बजाय रात को गांव में रोकने का निर्णय लिया था जिससे दूध और सब्जी वाले सुबह के समय पास के शहर तक नि:शुल्क आ सकते थे। यह उत्पादकों के लिए भी अच्छा फैसला था और उपभोक्ताओं के लिए भी।

आगे यह प्रयोग जारी रहा या नहीं इसकी जानकारी नहीं है।

देशबंधु में 05 जुलाई 2018 को प्रकाशित
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