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ललित सुरजन की कलम से- अमेरिका : पूंजीवाद की शतरंजी चालें

विश्व राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले पाठकों को शायद पता हो कि कार्टर के चुनाव मैदान में उतरने से कुछ वर्ष पहले अमेरिका में ट्राइलेटरल कमीशन नामक एक संस्था स्थापित हुई थी

ललित सुरजन की कलम से- अमेरिका : पूंजीवाद की शतरंजी चालें
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विश्व राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले पाठकों को शायद पता हो कि कार्टर के चुनाव मैदान में उतरने से कुछ वर्ष पहले अमेरिका में ट्राइलेटरल कमीशन नामक एक संस्था स्थापित हुई थी। जैसा कि नाम से स्पष्ट है अपने आपको आयोग कहने वाला यह एक त्रिपक्षीय प्रतिष्ठान था। इसमें अमेरिका, उत्तरी यूरोप और जापान ये तीन पक्ष थे याने इन देशों के बहुराष्ट्रीय निगम।

कमीशन की स्थापना 1973 में अमेरिका के बड़े इजारेदार जॉन डी. रॉकफेलर ने की थी और हम समझ सकते हैं कि इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय पूंजीवाद को बढ़ावा देना था। दुनिया के मजदूरों एक हो का नारा तो कमजोर होने लगा था उसका स्थान एक नया नारा ले रहा था- दुनिया के पूंजीपतियों एक हो। गो कि पूंजीपति मजदूरों की तरह सड़कों पर आकर नारे नहीं लगाते।

उनका नारा बोर्ड रूम की कार्रवाईयों में अनुगूंजित होता है। जिमी कार्टर इस ट्राइलेटरल कमीशन के द्वारा मैदान में उतारे गए थे। यह बात कुछ-कुछ तब स्पष्ट हुई जब हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जिबीग्न्यू ब्रज़ेज़िन्स्की प्रोफेसरी छोड़कर पहले तो कमीशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी बने और कार्टर के राष्ट्रपति बनते साथ उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त कर दिए गए।

(अक्षर पर्व मार्च 2017 अंक की प्रस्तावना)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2017/03/blog-post_9.html


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