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ललित सुरजन की कलम से- अम्बानी एंड संस

'अमेरिका में एक कहावत प्रचलित है कि किसी अरबपति से यह मत पूछो कि उसने पहला एक करोड़ किस तरह कमाया था

ललित सुरजन की कलम से- अम्बानी एंड संस
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'अमेरिका में एक कहावत प्रचलित है कि किसी अरबपति से यह मत पूछो कि उसने पहला एक करोड़ किस तरह कमाया था। इसका मतलब है कि बड़े आर्थिक घरानों की नींव में यदि खुला अपराध नहीं, तो संदिग्ध गतिविधियाँ अवश्य रहती हैं। इस कहावत की पुष्टि अमेरिका में ही प्रचलित एक संज्ञा से होती है। वहां उन्नीसवीं और बीसवीं सदी में जिन लोगों ने आर्थिक साम्राज्य खड़े किए उन्हें, अक्सर 'रॉबर बैरन' कहकर याद किया जाता है। इसका सीधा अर्थ है कि उन लोगों ने कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए आम जनता को लूटकर पैसा कमाया। विवेच्य पुस्तक को पढ़कर लगता है कि भारत की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है।'

'यह हम जानते हैं कि भारत में आज जो पुराने सम्मानित आर्थिक घराने हैं उनमें से अनेक ने या तो चीन को अफीम बेचकर, या फिर सट्टा खेलकर या फिर अंग्रेज बहादुर की सेवा कर प्रारंभिक सफलताएं अर्जित की थीं।

लेकिन इधर जो हो रहा है वह तो भौंचक कर देने वाला है। यह सच है कि कोई भी व्यापार अनुकूल सरकारी नीतियों व सरकारी संरक्षण के बिना आगे नहीं बढ़ सकता: जापान, ताइवान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, फिलीपिंस, थाइलैण्ड, सिंगापुर आदि में तो सरकार और व्यापार का यह गठजोड़ अद्भुत तरीके से चलता है।

अगर वहां ऐसा होता है तो भारत में ही उस पर क्यों एतराज हो! किंतु इन देशों व भारत में एक फर्क है। वहां जब भी अनुचित तरीके से राजनैतिक संरक्षण मिलने की बात उजागर होती है, उस पर तुरंत कार्रवाई हो जाती है। इन देशों में मंत्रियों को ही नहीं, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्रियों को भी इस्तीफे देने पड़े और ऐसे उद्योगपतियों को कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। हमारे देश की स्थिति इसके विपरीत है। यहां बड़े से बड़ा कांड हो जाए, कानून अपना काम करेगा- इतनी दुहाई देने मात्र से राहत मिल जाती है।'

(11 नवम्बर 2010 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2012/04/blog-post_24.html


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