ललित सुरजन की कलम से- गुडगांव में एक अच्छी पहल
'अखबारों में पढ़ा कि गुडगांव शहर को सप्ताह में एक दिन वाहनमुक्त रखने का प्रयोग किया जा रहा है

'अखबारों में पढ़ा कि गुडगांव शहर को सप्ताह में एक दिन वाहनमुक्त रखने का प्रयोग किया जा रहा है। नागरिकों को सलाह दी गई कि वे मोटर कार लेकर सड़क पर न आएं। जहां तक संभव हो मेट्रो रेल सेवा और साइकिलों का उपयोग करें। इस प्रयोग का नागरिकों ने बहुत उत्साह के साथ स्वागत किया तथा अगले दिन सड़कों पर बहुत कम मोटर कारें चलीं।
इस दिन के जो चित्र लिए गए उनका पुराने चित्रों से मिलान करने पर सिद्ध हुआ कि कम वाहनों के कारण वायु प्रदूषण में भारी कमी आई। उस दिन गुडग़ांव का आकाश कुछ अधिक चमकीला और निरभ्र था। यह अनुमान हम कर सकते हैं कि ध्वनि प्रदूषण में भी कमी आई होगी, सड़कों पर पैदल और साइकिल पर चलने वालों को अधिक सुरक्षा महसूस हुई होगी, दुर्घटनाएं कम हुई होंगी और नाहक के विवाद भी कम ही हुए होंगे।'
'कुल मिलाकर यह सफल प्रयोग सिद्ध हुआ। इससे उत्साहित होकर गुड़गांव के प्रशासन ने प्रयोग को स्थायी बनाने पर विचार करने प्रारंभ कर दिया है। यह उल्लेखनीय है कि गुडगांव में ही कुछेक वर्ष पूर्व राहगीरी कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी, जिसमें रविवार को नगर की किसी प्रमुख सड़क पर ऑटो यातायात प्रतिबंधित कर उस इलाके को जनता की चहल-पहल हेतु कुछ घंटों के लिए खोल दिया जाता है। यह प्रयोग भोपाल में भी चल रहा है।
यद्यपि अभी खबरें मिली हैं कि भोपाल प्रशासन इस ओर से उदासीन हो गया है तथा राहगीरी के कार्पोरेट प्रायोजकों ने अपना हाथ खींचना शुरु कर दिया है। खैर, गुडगांव को सप्ताह में एक दिन वाहनमुक्त रखने के प्रयोग का दिल्ली पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ा है तथा दिल्ली सरकार ने माह में एक दिन इस प्रयोग को अपनाने का वायदा किया है। देखते हैं कि गुडगांव की यह पहल कहां तक रंग लाती है।'
(देशबन्धु में 1 अक्टूबर 2015 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/10/blog-post.html


