ललित सुरजन की कलम से- अनशन से फायदा किसे
'आजकल के जो संचार माध्यम हैं उनकी उपयोगिता से कौन इंकार करेगा, लेकिन इसी रविवार को द हिन्दू में सेवंती नाइनन ने एक गंभीर प्रश्न उठाया है कि जो नया सामाजिक मीडिया आया है

'आजकल के जो संचार माध्यम हैं उनकी उपयोगिता से कौन इंकार करेगा, लेकिन इसी रविवार को द हिन्दू में सेवंती नाइनन ने एक गंभीर प्रश्न उठाया है कि जो नया सामाजिक मीडिया आया है, क्या वह हमेशा समाज हितैषी ही होगा या उसकी कोई नुकसानदायक भूमिका भी हो सकती है!
उन्होंने इंग्लैण्ड के हाल के उपद्रवों का उदाहरण देकर बताया है कि कैसे फेसबुक, ट्विटर आदि का दुरुपयोग किया गया। इसी बात को भारत के संदर्भ में रखकर देखें। ये माध्यम बच्चों के खिलौने नहीं हैं, इनका शौक रखना एक बात है, लेकिन इनके अच्छे और बुरे प्रभावों के बारे में विचार करना भी आवश्यक है।'
'यह समझा जाता है कि अरब जगत में खासकर टयूनीशिया और इजिप्त में सत्ता परिवर्तन में इन माध्यमों ने अहम् भूमिका अदा की। ऐसा लगता है कि भारत का मीडिया उस समय से ही उतावला था कि यहां भी वैसा कुछ कर दिया जाए। मैं एक बार फिर मार्शल मैकलुहान की उक्ति याद करता हूं कि 'माध्यम ही संदेश है' (मीडिया इंज द मैसेज)।
जैसा कि सब जानते हैं मीडिया अब पत्रकारों के हाथ में नहीं, बल्कि कार्पोरेट घरानों के हाथ में है। विश्व की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर नियंत्रण करने के लिए इन महापूंजीपतियों के पास मीडिया के रूप में एक सशक्त अस्त्र आ गया है।'
(19 अगस्त 2011 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2012/04/


