ललित सुरजन की कलम से- साथ-साथ चुनाव करवाने का विचार
हमारे सामने संयुक्त राज्य अमेरिका का उदाहरण है। वहां पर हर दो साल में एक तिहाई राज्यों में गवर्नर, विधानमंडल व सीनेट के लिए चुनाव होते हैं

'हमारे सामने संयुक्त राज्य अमेरिका का उदाहरण है। वहां पर हर दो साल में एक तिहाई राज्यों में गवर्नर, विधानमंडल व सीनेट के लिए चुनाव होते हैं। इस वर्ष भी राष्ट्रपति चुनाव के साथ सोलह या सत्रह राज्यों में राज्य के गवर्नर, विधानमंडल व अमेरिकी सीनेट के लिए चुनाव होंगे।
हमने ऊपर जो प्रस्ताव दिया है उसमें भी लगभग ऐसी स्थिति बनती है कि लोकसभा के साथ आधे राज्यों में चुनाव हो जाएं तथा बचे आधे राज्यों में बाद में। उनको भी शायद एक साल में साथ-साथ चुनाव कराने के लिए राजी करने की कोशिश की जा सकती है।
निश्चित रूप से केन्द्र सरकार एक साथ सारे चुनाव कराने की युक्ति ढूंढ़ रही होगी, किन्तु जिन राज्यों में भाजपा-विरोधी सरकारें हैं वहां समय पूर्व चुनाव करवाना टेढ़ी खीर साबित होगा, उससे देश के संघीय ढांचे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा तथा संवैधानिक प्रश्न भी उठ खड़े होंगे।'
(देशबन्धु में 23 जून 2016 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2016/06/blog-post_22.html


