ललित सुरजन की कलम से- वैदिक-सईद मुलाकात के निहितार्थ
'यह जगजाहिर है कि सईद को पाकिस्तान की कुख्यात आईएसआई का संरक्षण प्राप्त है। वहां की चुनी सरकार उस पर हाथ नहीं डाल सकती

'यह जगजाहिर है कि सईद को पाकिस्तान की कुख्यात आईएसआई का संरक्षण प्राप्त है। वहां की चुनी सरकार उस पर हाथ नहीं डाल सकती। अदालतें भी उसके खिलाफ कार्रवाई करने में लाचारी महसूस करती है। ऐसे व्यक्ति से मिलना निश्चित ही एक कठिन काम है। संघ परिवार से सीधा ताल्लुक रखने वाले एक भारतीय पत्रकार को आईएसआई ने अपने संरक्षण प्राप्त एक विश्व अपराधी से मिलने की अनुमति किस आधार पर दी? किस के कहने पर दी और उससे क्या हासिल होने की उम्मीद थी?'
'वेदप्रताप वैदिक जोर देकर कहते हैं कि वे एक पत्रकार की हैसियत से उससे मिले थे। एक बार पत्रकार सो जीवन भर पत्रकार- यह तर्क श्री वैदिक अपने ऊपर लागू कर रहे हैं। सच यह है कि वे सक्रिय पत्रकारिता बरसों पहले छोड़ चुके हैं। वे स्वयं को एक समाजचिंतक के रूप में देखते हैं व उनके लेख एवं भाषण इस दूसरे रोल के मुताबिक ही होते हैं। अगर वे पत्रकार के रूप में मिलने गए थे तो इतने महत्वपूर्ण और सनसनीखेज साक्षात्कार को उन्होंने तुरंत ही किसी अखबार में प्रकाशित क्यों नहीं किए?'
(देशबन्धु में 17 जुलाई 2014 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/07/blog-post_16


