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ललित सुरजन की कलम से-अगर नक्सली चुनाव लड़ते!

'इंदिरा गांधी के कार्यकाल में एक बड़ा निर्णय तो यह ले ही लिया गया था कि असम को जनजातीय विशेषताओं के आधार पर विभाजित कर दिया जाए

ललित सुरजन की कलम से-अगर नक्सली चुनाव लड़ते!
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'इंदिरा गांधी के कार्यकाल में एक बड़ा निर्णय तो यह ले ही लिया गया था कि असम को जनजातीय विशेषताओं के आधार पर विभाजित कर दिया जाए। इस तरह अरुणांचल, नागालैण्ड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय ये छह नए प्रांत अस्तित्व में आए।

यह निर्णय पूरी तरह कारगर सिद्ध नहीं हुआ तथा असंतुष्ट कबीलों की छापामार कार्रवाईयां चलती रहीं। यह एक पेचीदा विषय है जिसकी बारीकियों में जाने का अवसर यहां नहीं है। जो तथ्य उल्लेखनीय है वह यह कि ललडेंगा के नेतृत्व में विद्रोह का झंडा उठाए मिजो जन केन्द्र सरकार से बातचीत के लिए राजी हुए।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दूतों के साथ उनकी बात चलती रही और 1986 में अंतत: वह दिन आया जब राजीव गांधी के साथे ललडेंगा ने ऐतिहासिक संधि पत्र पर हस्ताक्षर किए व मिजोरम में शांति का मार्ग प्रशस्त हुआ।

आज 30 साल के भीतर मिजोरम देश के सबसे उन्नत प्रदेशों में से एक बन चुका है। मानव विकास के सूचकांकों पर वह बहुत ऊपर है।'

(देशबन्धु में 06 जून 2013 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2013/06/blog-post.html


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