ललित सुरजन की कलम से - हिमाचल प्रदेश-2 : आरामकुर्सी पर पसरा जलप्रपात
'कुछ और आगे चलकर भागसू जलप्रपात पर हम पहुंच गए। वह एक अत्यंत मनोहारी दृश्य था

'कुछ और आगे चलकर भागसू जलप्रपात पर हम पहुंच गए। वह एक अत्यंत मनोहारी दृश्य था। सामान्य तौर पर जलप्रपात लगभग नब्बे डिग्री के कोण पर उतरते हैं, लेकिन भागसू प्रपात अनुपम था।
बहुत ऊपर से जलराशि धीरे-धीरे तिरछे नीचे उतरती है मानो कोई आरामकुर्सी पर पैर पसार कर लेटा हो। इस कोण से उतरने पर जलप्रपात को एक लंबा आकार मिल जाता है।
नीचे उतरकर वह बांयी ओर मुड़कर फिर एक खड्ड का स्वरूप ले लेता है। भागसू प्रपात को हम बहुत देर तक मुग्धभाव से निहारते रहे। मन तो बहुत था कि नीचे उतरें, लेकिन भीड़ बहुत थी।
नीचे प्रपात के किनारे लोग बाकायदा पिकनिक मना रहे थे और वह हमें बहुत रुचिकर नहीं लगा। वापिस लौटे तो भागसू नाग मंदिर के सामने एक सार्वजनिक तरणताल (स्विमिंग पूल) देखा। पहाड़ से भीतर-भीतर बहकर आते झरने का हिमशीतल जल उसमें प्रवाहित हो रहा था और लोग मजे में स्नान कर रहे थे।'
(देशबंधु में 24 अगस्त 2017 को प्रकाशित)
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