ललित सुरजन की कलम से- दिल्ली में विश्वास मत
'कांग्रेस ने 'आप' को समर्थन देकर एक सही कदम उठाया है। वह जनभावना के अनुकूल था। यदि कांग्रेस समर्थन न देती तो दोबारा चुनाव की नौबत आ जाती जिसे न तो मतदाता पसंद करते, न स्वयं कांग्रेस के विधायक

'कांग्रेस ने 'आप' को समर्थन देकर एक सही कदम उठाया है। वह जनभावना के अनुकूल था। यदि कांग्रेस समर्थन न देती तो दोबारा चुनाव की नौबत आ जाती जिसे न तो मतदाता पसंद करते, न स्वयं कांग्रेस के विधायक। वैसे तो भाजपा के बत्तीस विधायकों को भी कांग्रेस का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसने उन्हें दुबारा चुनाव मैदान में जाने से बचा लिया।
बहरहाल, कांग्रेस ने अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि वह विश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगी। इस लिहाज से अरविंद केजरीवाल की शंका बेबुनियाद ही प्रतीत होती है। श्री केजरीवाल की राजनीति क्या है इसके बारे में अभी हमें कुछ भी नहीं पता। उनका सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का है। संभव है कि दिल्ली में उसका असर हुआ हो, लेकिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने भ्रष्टाचार को मुद्दा नहीं माना, यह स्पष्ट है।'
'ठोस राजनीतिक प्रश्नों पर श्री केजरीवाल के विचार शायद आगे चलकर स्पष्ट हों, लेकिन योगेन्द्र यादव और प्रोफेसर आनंद कुमार जैसे उनके साथियों को देखकर अनुमान होता है कि वे यूरोपीय समाजवादी ढांचे से प्रभावित हैं।'
(देशबन्धु में 02 जनवरी 2014 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2014/01/blog-post.html


