ललित सुरजन की कलम से- स्वच्छ प्रशासन की चिंता
'इस देश का कुलीन वर्ग हर समय किसी तरह की दैवी शक्ति से अपना मनचाहा हासिल करने की उम्मीद बांधे रहता है

'इस देश का कुलीन वर्ग हर समय किसी तरह की दैवी शक्ति से अपना मनचाहा हासिल करने की उम्मीद बांधे रहता है। भारत का मध्यवर्ग कुलीनों का अंधानुसरण करता है। आप देख सकते हैं कि कितने ही बड़े अफसर अपने दफ्तर में किसी देवी-देवता की या फिर किसी तथाकथित गुरु की फोटो लगाए रहते हैं। वे तंत्र-मंत्र में भी विश्वास रखते हैं और चमत्कार में भी, इसीलिए बाबाओं के आश्रम इतने फल-फूल रहे हैं।
यही वर्ग सारे समय किसी देवदूत के प्रकट होने की प्रतीक्षा करते नजर आता है। टीएन शेषन से लेकर अन्ना हजारे तक यह सिलसिला चला आ रहा है। यही कुलीन वर्ग अब नरेन्द्र मोदी पर दांव लगा रहा है। मजे की बात है कि प्रशासनतंत्र में गिरावट का रोना रोने वाले यही प्रभुता-सम्पन्न लोग अपने बेटों की शादी में करोड़ों का दहेज लेते हैं और अक्सर ऐसे अन्य काम करते हैं जिनकी इजाजत देश का कानून नहीं देता या जो सामाजिक मर्यादाओं के परे हैं।'
'देश की जनता को अपने अफसरों से यह सवाल करना चाहिए कि आप तो लोक सेवक हैं; जो भी सरकारी संस्थाएं हैं वे ठीक से काम करें यह देखना आपकी अपनी जिम्मेदारी है। फिर ऐसा क्यों है कि आप अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने नहीं भेजते; आपके घर में कोई बीमार पड़ता है तो आप सरकारी अस्पताल नहीं जाते, आप सार्वजनिक यातायात का कभी उपयोग नहीं करते; फिर अगर ये संस्थाएं ठीक से काम न करें तो इसमें दोष किसका है?'
(देशबन्धु में 7 नवम्बर 2013 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2013/11/blog-post.html


