ललित सुरजन की कलम से- कोयला घोटाला : कुछ प्रश्न
'एनडीटीवी पर भले ही मध्यावधि चुनाव के लिए जनमत सर्वेक्षण का प्रपंच रच रहा हो, हमें नहीं लगता कि भाजपा सहित कोई भी पार्टी और कोई भी लोकसभा सदस्य मध्यावधि चुनाव के लिए उत्सुक या तैयार हैं

'एनडीटीवी पर भले ही मध्यावधि चुनाव के लिए जनमत सर्वेक्षण का प्रपंच रच रहा हो, हमें नहीं लगता कि भाजपा सहित कोई भी पार्टी और कोई भी लोकसभा सदस्य मध्यावधि चुनाव के लिए उत्सुक या तैयार हैं।
भाजपा के सामने यह दुविधा भी है कि 2014 में उसकी ओर से प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन होगा? भारत का कारपोरेट जगत शायद नरेन्द्र मोदी को आगे लाना चाहेगा, संघ परिवार की पहली पसंद शायद नितिन गडकरी होंगे, लेकिन फिर आडवानी जी का क्या होगा?
क्या नरेन्द्र मोदी उन्हें गांधीनगर से जीतने देंगे? भाजपा ही नहीं, अन्य दलों में भी एक असमंजस की स्थिति उभरेगी। एनडीए के संयोजक और गंभीर संसदवेत्ता शरद यादव क्या नीतीश कुमार के लिए अपना दावा छोड़ देंगे?
क्या मुलायम सिंह चुपचाप बैठेंगे? ऐसे बहुत से प्रश्न हैं, लेकिन फिलहाल इतना कहकर बात खत्म करना होगी कि कांग्रेस के पास स्पष्ट बहुमत का अभाव, वाणिज्यिक घरानों की राजनीति में निरंतर बढ़ती दिलचस्पी और अनियंत्रित पूंजीवादी नीतियों के चलते ही यह अवांछनीय और अस्वस्थ वातावरण निर्मित हुआ है।'
(देशबन्धु में 6 सितम्बर 2012 को प्रकाशित)
https://lalitsurjan.blogspot.com/2012/09/blog-post.हटम्ल